Critical and Chronological History of Modern Garhwali (Asian) Poetry –-308
Literature Historian: Bhishma Kukreti
आदिम
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मनख्यूं की घिमसांण मा कख हरचणु च आदिम ।
यखुळ्या-यखुलि अफु थैं अफि ख्वजणु च
आदिम ॥
यखुळ्या-यखुलि अफु थैं अफि ख्वजणु च
आदिम ॥
गौं-गळ्या मा त्वैथै फुलफुल देळि किळै
दिखेण ।
फुलदेई की कुंगळि जैड़्यूं थै उपड़णु च
आदिम ॥
दिखेण ।
फुलदेई की कुंगळि जैड़्यूं थै उपड़णु च
आदिम ॥
अब चखुलों का च्युचांण फर भि चिरड़ै जांद ।
तबि त कन्दुड़ु अपणा अंगुळा क्वचणु च आदिम ॥
तबि त कन्दुड़ु अपणा अंगुळा क्वचणु च आदिम ॥
बाघ बांदर सुंगर चौका खळ्याण म छन रिटणा ।
अपणा यूं दगड़्यौं दगड़ क्य ब्वलणु च आदिम ॥
अपणा यूं दगड़्यौं दगड़ क्य ब्वलणु च आदिम ॥
अफु से जादा चंट चालाक कैथै च नि चिताणु ।
तबि त दुख दलेदरा का थौला ब्वकणु च
आदिम ॥
तबि त दुख दलेदरा का थौला ब्वकणु च
आदिम ॥
हैंसि खुसि घड़ेक अपणि धणैत लगै ले
'पयाश' ।
कन ह्यळि गडि गडिक रुंदरौ थै द्यखणु च
आदिम ॥
'पयाश' ।
कन ह्यळि गडि गडिक रुंदरौ थै द्यखणु च
आदिम ॥
@ पयाश पोखड़ा ॥
त्वै उज्यळा दीणा का बाना
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उमाळ जिकुड़ि कु सुदि त नि
खत्याई होलु ।
कुछ न कुछ वींल त्वैथैं कन नि
बताई होलु ॥
खत्याई होलु ।
कुछ न कुछ वींल त्वैथैं कन नि
बताई होलु ॥
रामि बौराणि सि वा जरुर पुंगड़ि
ग्वडणि रै होलि।
तबि त तिल अपरि कपळि रंगुड़ु
लगाई होलु ॥
ग्वडणि रै होलि।
तबि त तिल अपरि कपळि रंगुड़ु
लगाई होलु ॥
इन लगद कि तिल अपणि खुटि
जादै अळगै दीं ।
तबि त तिल सबसे पैलि यो सरग
लिमाई होलु ॥
जादै अळगै दीं ।
तबि त तिल सबसे पैलि यो सरग
लिमाई होलु ॥
आंख्यूं मा तेरि लाज सरम त
लुकईं त रै होलि ।
तबि त से झुठन्दरा ल अपणु मुक
फरकाई होलु ॥
लुकईं त रै होलि ।
तबि त से झुठन्दरा ल अपणु मुक
फरकाई होलु ॥
सर्या जिदंगि चखुलों का फंखुड़ु
छिनरणा रै जो।
अब क्य जो बुढैण दां क्वी फत्यलु
बचाई होलु ॥
छिनरणा रै जो।
अब क्य जो बुढैण दां क्वी फत्यलु
बचाई होलु ॥
'पयाश' नि बोल कि य आग वीकीं
पिळचईं होलि ।
त्वै उज्यळा दीणा का बाना जिकुड़ु
जळाई होलु ॥
पिळचईं होलि ।
त्वै उज्यळा दीणा का बाना जिकुड़ु
जळाई होलु ॥
@पयाश पोखड़ा ॥
बाटा, जो आज भि त्वै जग्वाळ कना छन
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ढुंगा गारौं थैं किटदा-किटदा बाटा ।
ठण्डु मठु कै हिटदा-हिटदा बाटा ॥
ठण्डु मठु कै हिटदा-हिटदा बाटा ॥
मोळ-माटल भलिकै लप्वण्यां बाटा ।
चुना-कम्यड़ल छक्वै छप्वण्यां बाटा ॥
चुना-कम्यड़ल छक्वै छप्वण्यां बाटा ॥
द्यप्तों मा दुर्बा आसीस मंगदा बाटा ।
माद्यौ-मंदिर की देळि भ्यटदा बाटा ॥
माद्यौ-मंदिर की देळि भ्यटदा बाटा ॥
पाटि-ब्वळ्ख्या बस्ता ब्वक्दा बाटा । इसक्वळ्या छ्वारों थैं ट्वक्दा बाटा ॥
धर्या-धार उचा-निसा डांडो का बाटा ।
नवळि पंद्यरिम अग्यर्या भांडो का बाटा ॥
नवळि पंद्यरिम अग्यर्या भांडो का बाटा ॥
घास लखुड़ु की बिठिगि बिसौण्यां बाटा ।
ख्वींडी दाथि थमळि थैं पळ्यौण्यां बाटा॥
ख्वींडी दाथि थमळि थैं पळ्यौण्यां बाटा॥
दगड़्यों को दगुड़ु ख्वज्दा-ख्वज्दा बाटा।
सौंजड़्यों का दगड़ रुज्दा-रुज्दा बाटा॥
सौंजड़्यों का दगड़ रुज्दा-रुज्दा बाटा॥
तेरि खुदेड़ खुद का समळ्यौण्यां बाटा।
बिसरीं छुवीं बातु का बिसरौण्यां बाटा॥
बिसरीं छुवीं बातु का बिसरौण्यां बाटा॥
पुरणा बाटों जनै वी नज़र पुर्यांदा बाटा ।
खाळा-म्याळों मा वी खिर्तू उर्यांदा बाटा॥
खाळा-म्याळों मा वी खिर्तू उर्यांदा बाटा॥
औडळ बथौं मा भलिकै भतड़ेदां बाटा ।
हैंस्दा-ख्यल्दा कुरचेन्दा पतड़ेदां बाटा ॥
हैंस्दा-ख्यल्दा कुरचेन्दा पतड़ेदां बाटा ॥
कमर टुटीं डुण्डि सि उकळि का बाटा।
घुण्डों की खपचईं सि उंधरि का बाटा॥
घुण्डों की खपचईं सि उंधरि का बाटा॥
थक्यां-थक्यां म्वरण्यां-म्वरण्या बाटा।
चिगैं चिंग्वात चिरण्यां-चिरण्यां बाटा॥
चिगैं चिंग्वात चिरण्यां-चिरण्यां बाटा॥
पैटगीं इखरु सांस ल्हिदां-ल्हिदां बाटा।
बैठगीं रस्तम तमखू पींदा-पींदा बाटा ॥
बैठगीं रस्तम तमखू पींदा-पींदा बाटा ॥
डुण्डा ब्यगड़ा तिर्वण्यां मर्वण्यां बाटा।
मुर्क्या भड़क्यां चिर्यां चिर्वण्यां बाटा ॥
मुर्क्या भड़क्यां चिर्यां चिर्वण्यां बाटा ॥
खैड़-कत्यार छील-छींजा उकरदा बाटा।
ज्यूंदा-म्वर्यां थैं कांधिम लिखरदा बाटा॥
ज्यूंदा-म्वर्यां थैं कांधिम लिखरदा बाटा॥
कै दगड़ भि आणि न जाणि करदा बाटा।
यकुंलास मा भि यखुलि नि डरदा बाटा॥
यकुंलास मा भि यखुलि नि डरदा बाटा॥
अब त तुमरा चौकम बिसयां छन बाटा। द्वरढक्कि देखिकि खिसयां छन बाटा॥
दुबट्टा तिबट्टा अर चौबट्टा बाटा ।
झणि कनै लिजाला इ घंघत्वळ्या बाटा॥
झणि कनै लिजाला इ घंघत्वळ्या बाटा॥
घूम-घामिक ये रिटदा-रिटदा बाटा ।
कै गौं जाणा ह्वाला ये हिटदा बाटा ॥
कै गौं जाणा ह्वाला ये हिटदा बाटा ॥
ठ्यलेंदा रस्ता अर सरकदा बाटा ।
द्यख्दै-द्यख्दा सर्र-सर हरचदा बाटा ॥
द्यख्दै-द्यख्दा सर्र-सर हरचदा बाटा ॥
रोज़ तेरि लब्बी लपग्यूं थैं गैंणदा बाटा ।
रोज़ अपणि जिकुड़ि थैं खैंणदा बाटा ॥
रोज़ अपणि जिकुड़ि थैं खैंणदा बाटा ॥
हां, तुमरि जग्वाळ करदा-करदा बाटा ।
से गीं अपणि निंद मरदा-मरदा बाटा ॥
से गीं अपणि निंद मरदा-मरदा बाटा ॥
@पयाश पोखड़ा ॥
काश........!!!
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मि वल छाल अर तू पल छाल नि हूदुं ।
काश ! हमरा बीचम यो पहाड़ नि हूदुं ॥
काश ! हमरा बीचम यो पहाड़ नि हूदुं ॥
हमत तुमथैं सानि कैकि भि न्युति दींदा ।
काश ! आंख्यूं बीचम यो पहाड़ नि हूदुं ॥
काश ! आंख्यूं बीचम यो पहाड़ नि हूदुं ॥
जिंदगि मा सदनि मौत थैं ख्वजणा रवां ।
काश ! मौत कु मैती यो पहाड़ नि हूदुं ॥
काश ! मौत कु मैती यो पहाड़ नि हूदुं ॥
हमरा गिच्च फर तुमरि छुवीं नि आंदी ।
काश ! हुंग्रा पुर्याणु यो पहाड़ नि हूदुं ॥
काश ! हुंग्रा पुर्याणु यो पहाड़ नि हूदुं ॥
मि अपणि लगांदु त तुमरि भि सुणुदु ।
काश ! रुसयूं-खिसयूं यो पहाड़ नि हूदुं॥
काश ! रुसयूं-खिसयूं यो पहाड़ नि हूदुं॥
खौळ्यां सि चौका-खल्याणा का बीच मा।
काश ! चौंफ्ळा ख्यळ्दु यो पहाड़ नि हूदुं॥
काश ! चौंफ्ळा ख्यळ्दु यो पहाड़ नि हूदुं॥
'पयाश' दगड़ तुमरा गौं हम भि आंदा ।
काश ! मुख ऐथर खड़ु यो पहाड़ नि हूदुं॥
काश ! मुख ऐथर खड़ु यो पहाड़ नि हूदुं॥
@ पयाश पोखड़ा ।
"कुछ त बोलि जैई"
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आख्यूं-आंख्यूं मा कबरि-कबरि कुछ त बोलि जैई ।
छुयूं-छुयूं मा अपणि गठ्यईं गेड़ खळ्ळ खोलि जैई ॥
छुयूं-छुयूं मा अपणि गठ्यईं गेड़ खळ्ळ खोलि जैई ॥
सच्चि-झूटी भलि-बुरि सबि छुवीं म्यारा बांठ धैरिगे ।
आंदा-जांदा कबरि अपणि खुचिलि भि टटोळि जैई ॥
आंदा-जांदा कबरि अपणि खुचिलि भि टटोळि जैई ॥
जौं छुवीं सुणि-सुणिक दुख्यरि जिकुड़ि होलि कैकि ।
सच्ची भि होलि ता, बोलि ना, प्वारम धोळि जैई ॥
सच्ची भि होलि ता, बोलि ना, प्वारम धोळि जैई ॥
भ्यलि कि डैळि सि मिठ्ठि होलि तेरि छुयांळ गैळि ।
पर घुघुति कफु हिंलास का दगड़ा दगड़ि
तोलि जैई ॥
पर घुघुति कफु हिंलास का दगड़ा दगड़ि
तोलि जैई ॥
कभि न कभि क्वी, कन नि आलु , द्वार उगाड़ि राखि ।
अपणि मयळ्दु माया कि मंदिरि कूणि मा बिटोळि जैई ॥
अपणि मयळ्दु माया कि मंदिरि कूणि मा बिटोळि जैई ॥
बिरणा ह्वैकि भि अपणा आंसु किळै लुकंया छन ।
'पयाश' की खालि खुचिलि मा द्वि बूंद फोळि जैई ॥
'पयाश' की खालि खुचिलि मा द्वि बूंद फोळि जैई ॥
@पयाश पोखड़ा ॥
"वो क्वी हौरि ह्वाला"
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हे बगत ! मि सड़म हिट नि सकदु
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हैरि ह्वाला जु त्वै अधमिरा
बाटों मा छौंपला ॥
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हैरि ह्वाला जु त्वै अधमिरा
बाटों मा छौंपला ॥
हे डौंड्यां ! मि द्यप्ता नि ह्वै सकुदु
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हौरि ह्वाला जु द्यप्तुळ मा
द्यप्ता सि कौंपला ॥
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हौरि ह्वाला जु द्यप्तुळ मा
द्यप्ता सि कौंपला ॥
हे ढुंगेर ! मि नि घण्टे सकुदु डाळि
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हौरि ह्वाला जु लंगलंगि
भौक्यूं थैं लौंपला ॥
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हौरि ह्वाला जु लंगलंगि
भौक्यूं थैं लौंपला ॥
हे मायादार ! मि नि ह्वै सकुदु मयळ्दु
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हौरि ह्वाला जु जिकुड़ि थैं
'पयाश' म सौंपला ॥
त्वै बरोबर ।
वो क्वी हौरि ह्वाला जु जिकुड़ि थैं
'पयाश' म सौंपला ॥
@पयाश पोखड़ा ॥
आजादी......? Kavita
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पाड़ बटैकि आजादी ....?
पाड़ भ्यटैकि आ जादी ॥
पाड़ भ्यटैकि आ जादी ॥
पाड़ छोड़िक आजादी ....?
पाड़ बौड़िक आ जादी ॥
पाड़ बौड़िक आ जादी ॥
पाड़ मुक फरकाणा कि आजादी ....?
पाड़ कु मुक द्यखणा कु आ जादी ॥
पाड़ कु मुक द्यखणा कु आ जादी ॥
पाड़ जनि छैं च सिनै आजादी ....?
पाड़ कि ज्वनि पाड़ जनै आ जादी ॥
पाड़ कि ज्वनि पाड़ जनै आ जादी ॥
@पयाश पोखड़ा ॥
जो सदनि हैंका कि कूड़ि-पुंगड़ि थैं हत्याणा रैं
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जो सदनि हैंका कि कूड़ि-पुंगड़ि थैं हत्याणा रैं ।
वो भग्यान अफु खुण अफि खड्वळु खत्याणा रैं ॥
वो भग्यान अफु खुण अफि खड्वळु खत्याणा रैं ॥
मुण्ड नवै, धुपणु दिवै, करणा रैं डौण्ड्या का ठाउ मा ।
पर वो द्यप्ता पुजै मा भि सदनि अपणो थैं
घत्याणा रैं ॥
पर वो द्यप्ता पुजै मा भि सदनि अपणो थैं
घत्याणा रैं ॥
अपणा-पर्यो फर प्वणि भारी बिपत देखि-
सुणिकि भि ।
छपछिपी प्वाड़ जिकुड़ि मा जौंकि वो पीठ थमथ्याणा रैं ॥
सुणिकि भि ।
छपछिपी प्वाड़ जिकुड़ि मा जौंकि वो पीठ थमथ्याणा रैं ॥
गुर्रौ अपणु कांचळ निखोळिक अफार वे
द्वळणा बैठ्यूं चा ।
अर ये लकीरा का फक़ीर कोरी कांचळ थथ्याणा रैं ॥
द्वळणा बैठ्यूं चा ।
अर ये लकीरा का फक़ीर कोरी कांचळ थथ्याणा रैं ॥
मीनत, मजूरि कैकि जाड़ा बैठ्यां लोग टुक्कू पौंछिगीं ।
ये बड़आदिम बिरणि पीठि मा अफुथैं पत्याणा रैं ॥
ये बड़आदिम बिरणि पीठि मा अफुथैं पत्याणा रैं ॥
छांछ छोळि-छाळिक वो गुन्दकि नौणि कि घूळि गैन ।
ये कपळि फर रंगुड़ु लपोड़िक भाग थैं लत्याणा रैं ॥
ये कपळि फर रंगुड़ु लपोड़िक भाग थैं लत्याणा रैं ॥
बाटा बिरड़ा छाया जु सुबेर, रुम्कां घार बौड़ जाला ।
यो थारम दे-देकि "पयाश" पापी पराण बुथ्याणा रैं ॥
यो थारम दे-देकि "पयाश" पापी पराण बुथ्याणा रैं ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"वो"
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घुट्ट-घुट्ट भडूळ्यं मा 'वो'
इन ब्वना छन ।
कि उंका हाल भि ऐन-सैन
मि जना छन ॥
इन ब्वना छन ।
कि उंका हाल भि ऐन-सैन
मि जना छन ॥
उळ्यरु पराण, हरचीं जिकुड़ि,
ख्वजदेर आंखि ।
झणि कैका खयालु मा 'वो'
कै जनै ह्यना छन ॥
ख्वजदेर आंखि ।
झणि कैका खयालु मा 'वो'
कै जनै ह्यना छन ॥
बल मुखड़ि मनखि कि भौत
कुछ बतै दींद ।
तबि त 'वो' करळि नज़र इनै-
उनै धना छन ॥
कुछ बतै दींद ।
तबि त 'वो' करळि नज़र इनै-
उनै धना छन ॥
दिनम पोतळ, राति जोगण अब
मेरि दगड़्या ह्वैगीं ।
पर जून-गैंणौं दगड़ अब 'वो'
क्य कना छन ॥
मेरि दगड़्या ह्वैगीं ।
पर जून-गैंणौं दगड़ अब 'वो'
क्य कना छन ॥
घुंघट्या की ढण्डी से गैरी
मेरि जिकुड़ि चा ।
'वो' बल भक्कम फाळ मरणा कु
सांसु कना छन ॥
मेरि जिकुड़ि चा ।
'वो' बल भक्कम फाळ मरणा कु
सांसु कना छन ॥
हे घुघती, कफू, हिंलास आ
म्यारा खळ्याण मा ।
तुमरि बोलि सुणि लगद जन
'वो' ब्वना छन ॥
म्यारा खळ्याण मा ।
तुमरि बोलि सुणि लगद जन
'वो' ब्वना छन ॥
भारी चलेतर, चबौड़्या, चुकलेर
ह्वै ग्या हवा भि ।
तबि त 'वो' बन्द भितरों का
द्वार ख्वना छन ॥
ह्वै ग्या हवा भि ।
तबि त 'वो' बन्द भितरों का
द्वार ख्वना छन ॥
म्यारा खुदेड़ गीत, गज़ल थैं
पैड़ि-सुणि की ।
'वो' अपणि मयल्दु माया खुण
"पयाश" ब्वना छन ॥
पैड़ि-सुणि की ।
'वो' अपणि मयल्दु माया खुण
"पयाश" ब्वना छन ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"ढुगौं का ठप्पकौण्यां"
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कत्गा रौला-बौला त उनि छप्पत्वळै कि
तैर ग्या वो ।
पर हम खुणै त ढुगौं का ठप ठप्पकौण्यां
धैर ग्या वो ॥
तैर ग्या वो ।
पर हम खुणै त ढुगौं का ठप ठप्पकौण्यां
धैर ग्या वो ॥
जाणिकि भि अजाण बणिकै वैका काख-
धाड़ बैठु मि ।
द लाटु अपणि जगा छोडिकि सर्र फुण्डै
सैर ग्या वो ॥
धाड़ बैठु मि ।
द लाटु अपणि जगा छोडिकि सर्र फुण्डै
सैर ग्या वो ॥
क्युंकळि, किसळि, कादै अर जिकुड़ि मा
भटुळि सि लगैकि ।
आंख्यूं-आंख्यूं मा झणि क्य-क्या सानि
कैर ग्या वो ॥
भटुळि सि लगैकि ।
आंख्यूं-आंख्यूं मा झणि क्य-क्या सानि
कैर ग्या वो ॥
तिसळा पराणा की छम्वट्या तीस भि
तिसळि रै ग्याइ ।
म्यारा रुफ़ड़ांदा सरैल देखिकि जणि
डैर ग्या वो ॥
तिसळि रै ग्याइ ।
म्यारा रुफ़ड़ांदा सरैल देखिकि जणि
डैर ग्या वो ॥
दुन्यां का समणि गिच्चु उफरणा की
हिकमत नि छे ।
ब्वन-बच्याणा कु कभि भितर त कभि
भैर ग्या वो ॥
हिकमत नि छे ।
ब्वन-बच्याणा कु कभि भितर त कभि
भैर ग्या वो ॥
दीनद्वफरि का चुड़ापट्टि का घाम मा
ठण्डू छैल सि ।
जांदा-जांदा अचाणचक "पयाश" खुणै
ठैर ग्या वो ॥
ठण्डू छैल सि ।
जांदा-जांदा अचाणचक "पयाश" खुणै
ठैर ग्या वो ॥
पर हम खुणै त ढुगौं का ठप ठप्पकौण्यां
धैर ग्या वो ॥
धैर ग्या वो ॥
@पयाश पोखड़ा ।
"जिकुड़ि का मोर-संगाड़"
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इत्गा भि यखुल्या-यखुलि कभि नि राया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ।
कभि त क्वी,संगुळु बजालु,तरसणा छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ।
कभि त क्वी,संगुळु बजालु,तरसणा छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
द ब्वाला, अब कैमा लगाणै अपणि,
खैरि-बिपदा, सुख-दुख ।
अब त गौं मा भि कैका नि उगड़्यां छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
खैरि-बिपदा, सुख-दुख ।
अब त गौं मा भि कैका नि उगड़्यां छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
अपणु-पर्याअ, दाइ-दुसमन, वाडा सरै
अर उज्याड़ खवै ।
सर्या रुड़ी-बसगाळ भलिकै सैड़िगे छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
अर उज्याड़ खवै ।
सर्या रुड़ी-बसगाळ भलिकै सैड़िगे छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
पल ख्वाळा का बूथा दाजि ब्वना छाया,
अपणा नाती-नतण्यूं मा ।
वे जमन मा दिन-रात खुल्यां रैंदा छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
अपणा नाती-नतण्यूं मा ।
वे जमन मा दिन-रात खुल्यां रैंदा छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
एक जमनु इन भि अयूं च अचकाळ,
म्यार गौं का वार-प्वार ।
भिचोळि-भिचोळिक भि नि खोलि पाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
म्यार गौं का वार-प्वार ।
भिचोळि-भिचोळिक भि नि खोलि पाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
मिल त अपणि छुवीं-बत्था सदनि,
दिल का भित्नै लुकाणु रौं ।
पर दिवल्युं का भि कच्चा कंदुड़ छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
दिल का भित्नै लुकाणु रौं ।
पर दिवल्युं का भि कच्चा कंदुड़ छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
ल्हेलु भि त कनकै ल्हेलु अपणि
जागा-जमीनि की फ़रद ।
घूसखवा पट्वर्री का पट बन्द कर्यां छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
जागा-जमीनि की फ़रद ।
घूसखवा पट्वर्री का पट बन्द कर्यां छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
कोठि,बग्लां, कार, फून हौरि झणि
क्य-क्या झमकयूं चा ।
फेरि भि खन्द्वार सि किळै दिखेणा छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
क्य-क्या झमकयूं चा ।
फेरि भि खन्द्वार सि किळै दिखेणा छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
कभि न कभि, क्वी न क्वी, कन नि आलु
म्यारा भि ध्वार-धरम ।
तुमरा भर्वंसा "पयाश" का ख्वल्यां छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
म्यारा भि ध्वार-धरम ।
तुमरा भर्वंसा "पयाश" का ख्वल्यां छाया,
जिकुड़ि का मोर-संगाड़ ॥
@ पयाश पोखड़ा ।
हम भि कै जमन"
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बरखा का दीड़ों मा भिज्दा छाया,
हम भि कै जमन ।
सौणा का स्वीणों मा रुज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
हम भि कै जमन ।
सौणा का स्वीणों मा रुज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
सर्र कुएड़ि सि लौकेन्दि छे,
जब-जब जिकुड़ि मा ।
तुमरा सौं तुमथैं त ख्वज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
जब-जब जिकुड़ि मा ।
तुमरा सौं तुमथैं त ख्वज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
आंखि-आंख्यूं मा मायादार,
छुवीं-बत्था बिंगै कि ।
छुयांळ आंख्यूं कि छुवीं लुच्छ्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
छुवीं-बत्था बिंगै कि ।
छुयांळ आंख्यूं कि छुवीं लुच्छ्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
पोतळ सि कभि ईं धार वोर त,
कभि वीं धार पोर ।
झणि किळै तुमरा पैथर भज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
कभि वीं धार पोर ।
झणि किळै तुमरा पैथर भज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
बुलबुल पलोसिक अर कैदि,
स्युदिं-पाटी कटोरिक ।
तुमर बान बैख जन सज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
स्युदिं-पाटी कटोरिक ।
तुमर बान बैख जन सज्दा छाया,
हम भि कै जमन ॥
@पयाश पोखड़ा ।
अस्तित्व की विडम्बना" फर द्वि गढ़वळि शेर ----
बूंद बणिकै चुप्प बैठ्यूं रौ,
आंख्यूं का कुण्यूं मा ।
भैर ढळक्येळि त आंसु सि,
हर्चि जैलु गळ्वड़्यूं मा ॥ (१)
आंख्यूं का कुण्यूं मा ।
भैर ढळक्येळि त आंसु सि,
हर्चि जैलु गळ्वड़्यूं मा ॥ (१)
ब्याळि तक जो मवस्यूं का
मुच्छ्यळा मुंजाणा रैं ।
लोग उंथैं आज धुपणूं
दीणा कु खुज्याणा रैं ॥ (२)
मुच्छ्यळा मुंजाणा रैं ।
लोग उंथैं आज धुपणूं
दीणा कु खुज्याणा रैं ॥ (२)
@पयाश पोखड़ा ।
नि दिखेन्दी"
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क्वी घिंडुड़ि न घुघुति,
सटुलि नि दिखेन्दी।
चौका तिर्वळि अब क्वी,
चखुलि नि दिखेन्दी ॥
सटुलि नि दिखेन्दी।
चौका तिर्वळि अब क्वी,
चखुलि नि दिखेन्दी ॥
क्वी खाळा न म्याळा,
कौथिग नि उरेन्दा ।
लाल जल्यबि दगड़ क्वी,
बंसुळि नि दिखेन्दी ॥
कौथिग नि उरेन्दा ।
लाल जल्यबि दगड़ क्वी,
बंसुळि नि दिखेन्दी ॥
सरम ल्याज़ का दगड़ा,
सूनू चन्दी भि हरचा ।
दादी का गाळुन्द अब क्वी,
हंसुळि नि दिखेन्दी ॥
सूनू चन्दी भि हरचा ।
दादी का गाळुन्द अब क्वी,
हंसुळि नि दिखेन्दी ॥
मासा, चौमासा मा हैरि-
मौळ्यार धौ दिखेन्दा ।
पर कखड़ि-ग्वदड़ि की,
लगुलि नि दिखेन्दी ॥
मौळ्यार धौ दिखेन्दा ।
पर कखड़ि-ग्वदड़ि की,
लगुलि नि दिखेन्दी ॥
पैड़ि-लेखि गैन लोग,
अब गळद्यवा नि राया ।
गौं मा कैकि डाळा लगीं,
झगुलि नि दिखेन्दी ॥
अब गळद्यवा नि राया ।
गौं मा कैकि डाळा लगीं,
झगुलि नि दिखेन्दी ॥
सैड़िकि कुयड़ु-कुयड़ु सि,
ह्वै ग्याइ वा डाळि ।
झपन्याळ पात सि वींकी,
भिंटुलि नि दिखेन्दी ॥
ह्वै ग्याइ वा डाळि ।
झपन्याळ पात सि वींकी,
भिंटुलि नि दिखेन्दी ॥
जनै द्याखा "पयाश" उनै,
जिकुड़्यूं का चोर छन ।
क्वी पराज़ न खुद,
भटुळि नि दिखेन्दी ॥
जिकुड़्यूं का चोर छन ।
क्वी पराज़ न खुद,
भटुळि नि दिखेन्दी ॥
@पयाश पोखड़ा ।
झूटु च आदिम"
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सेरेक सच्चु अर पाथेक झूटु च आदिम।
तबि त थांता मसकुटौल कूटु च आदिम॥
तबि त थांता मसकुटौल कूटु च आदिम॥
जमादरि कबि त थ्वकदरि सि दिख्याई।
तबि त कत्गौले भलिकै लूटु च आदिम॥
तबि त कत्गौले भलिकै लूटु च आदिम॥
ल्वैखाळ ह्वैकि ल्वै का छंछ्वड़ा लगैन।
तबि त कत्गै दा फट्ट फूटु च आदिम॥
सदनि लूण मरचा की मुट भ्वरीं राखा।
तबि त सबुल भूटंण सि भूटु च आदिम॥
तबि त सबुल भूटंण सि भूटु च आदिम॥
तकणा तकण हुईं राया दिन राता की।
तबि त सुख्यूं क्याडु सि टूटु च आदिम॥
तबि त सुख्यूं क्याडु सि टूटु च आदिम॥
कबि गिच्चा बटैकि भला बाग नि छूटा।
तबि त कड़ु गिळै सि घूटु च आदिम ॥
तबि त कड़ु गिळै सि घूटु च आदिम ॥
सदनि दपकाणु राया अपणा पर्यो थैं ।
तबि त बिछी गुर्रो सि चूटु च आदिम ॥
तबि त बिछी गुर्रो सि चूटु च आदिम ॥
आंखि मनिख्यूं थैं ख्वज्याणि च "पयाश"।
तबि त अदम्यूं दगड़ छूटु च आदिम ॥
तबि त अदम्यूं दगड़ छूटु च आदिम ॥
@ पयाश पोखड़ा ।
Copyright @ Bhishma Kukreti Mumbai; 2016
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