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चिर सुंदरी भुंदरा बौ हिमालय बचाओ आंदोलन से किलै बितकणि च ?
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चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
-मि - चलती मसूरी ?
चिरयौवनाभुंदरा बौ - मि तैं क्या अपणी बैणि तै किलै नि लीजाणी छे मसूरी ?
मि -चलती क्या टमटिंग का सौड़ मा ?
कांत कामिनी भुंदरा बौ - टमटिंग इ ना भमटिंग का सौड़ बि अपणी ब्वे तैं दिखा।
मि -ये बौ ! क्या बात आज मूड खराब च ?
भुंदरा बौ -मूड -फ़ूड की बात नि कौर।
मि -हैं ? आज इथगा दिनों बाद फोन कार अर तू प्रेम की फुहार छुड़णो जगा अंगार बर्खाणी छे ?
भुंदरा बौ -अरे एक हफ्ता से हम गाँव वळा परेशान हुयां छंवां।
मि -कनो गूणी बांदर बिंडी ह्वे गेन ?
भुंदरा बौ -गूणी बांदर बिंडी ह्वे बि जाल तो बि क्या खै जाला जु हमर बुयूं च। जख्या जम्याँ छन सग्वड़म अर कुलिण पैथर तो कै च गूणी बांदरुं डौर ?
मि -त आज आग का गोळा किलै बणी छे ?
भुंदरा बौ -अरे एक हफ्ता से यि हिमालय बचाण वळुन खाणि पीणि बंद करीं च।
मि -अरे हाँ 9 सितंबर याने हिमालय दिवस ! चलो ये बहाना हिमालय पर बहस तो हूणि च।
भुंदरा बौ -अबि तक त मि देवर -भाभी की बीच की गाली सुना रही थी। अब तीन बि सेव हिमालय , प्रोटेक्ट हिमालय की बात कार ना तो मीन पता नी क्यांक गाळी दे दीण धौं।
मि -ह्वाइ क्या च ?
भुंदरा बौ -अरे एक हफ्ता से मैदान का पर्यार्वरण वादी ऐ ऐका हम तै हिमालय क्या च , हिमालय कु पर्यावरण क्या च अर हिमालय कनै बचाण पर लेक्चर -भाषण दे देक हमर नींद खराब करणा छन अर आज बि क्वी केरल की टीम 'हाउ टु सेव हिमालय ' पर भाषण दीणै आणी च। पुरो हफ्ता 'हिमालय वीक ' ह्वे गे।
मि -अच्छा ?
भुंदरा बौ -हाँ। पैल उ डबरालस्यूं स्यंळ कठूड़क कुछ तो डबराल आइ अर हम तै सिखाण लग गे बल पेड़ों पर कैसे चिपका जाता है ।
मि - पेड़ों पर कैसे चिपका जाता है ?
भुंदरा बौ -हाँ उ डबराल दिल्ली मा 'चिपको ' NGO चलाँदो। अर हम गाँव वळु तै हिंदी मा चिपको आंदोलन का बारा मा बथ करणु छौ। हमन ब्वाल भै तू डबराल छे तो गढवळि छे तो गढवळि मा कि पेड़ों से कन चिपकण। पता च क्या जबाब छौ ?
मि -क्या ?
भुंदरा बौ -बल मुझे गढ़वाली बोलना नही आती है । खैर फिर उ हम जनान्युं तैं पेड़ों चिपकाणो लीग। पता च वु के के पर चिपक ?
मि -के के पर ?
भुंदरा बौ -पैल उ कांडो बुट्या चिपकि गे। तो बि बच गे। फिर वु डबराल जोश जोश मा कंडाळी बुट्या पर चिपक गे अर तब ज्वा बीती वैपर वी सरा गाँव पर वैका किराटन झीस पोड़ि गेन। वु त डबराल कक्या सासुन वै तै गरम पाणिन नवाई अर सरा शरीर पर कड़ु तेल लगाइ तब जैक वैक किराट बंद ह्वे।
मि -पर भाभी जी ! हिमालय बचाना है तो पेड़ तो बचने ही चाहिए
भुंदरा बौ -अरे पर स्थिति कुछ हौरि ह्वे गे। अब खेत बांज पड़ी गेन तो गलत तरांका जंगळ पैदा हूणा छन, जनकि अत्यधिक कुंळै -चीड़ अर लैन्टीना का बौण । हम अपणी पेड़ नि काटि सकदां। इन मा 'चिपको आंदोलन ' ना कुछ हौर आंदोलन चलण चयेंद कि ना ?
मि -हाँ। अब तो आंदोलन की दिशा हूण चयेंद - हिमालय लायक जंगल को पनपने दो।
भुंदरा बौ -बॉंबे मा रैक तू बि जसपुरौ ललित बहुगुणा उगावो आंदोलन जन बात करणु छे ।
मि -क्या कौर ललित बहुगुणान ?
भुंदरा बौ -पोरुक साल ऐ छौ वु हिमालय दिवस का दिन ढांगू जसपुर। अर द्विक सौ डाळ लै छौ। वैन अर वैकि टीमन नागराजा मंदिर , ग्विल्ल मंदिर अर दैविक मंदिर का रस्तौं डाळ लगै देन। अर इख बिटेन सीम मुखीम डाळ लगाणो चल गे।
मि -हाँ ललित बहुगुणा बचपन से ही अभिनव कार्य करदो।
भुंदरा बौ -खन्नु अभिनव कार्य करदो। अरे जै तै अपण गांवक सामाजिक ढांचा का पता नि हो वु क्या ख़ाक जंगळ उपजै सकवै सकुद गाँव वळु से ?
मि -क्या मतलब ? ठीक तो कार वैन जु मंदिरों रस्तौं मा डाळ लगवैन।
भुंदरा बौ -डाळ लगाण से जंगळ उगी जावन अर खाली ब्यौ करण से जि बच्चा पैदा ह्वे जावन तो लोग मेनत किलै कारन। ब्यौ बाद बच्चा पैदा करणो बान घुण्ड हलाण पड़दन अर जंगळ पैदा करणो बान समाज की वास्तविक भागीदारी चयेंद।
मि -अरे ललित बहुगुणान डाळ लगैन तो बाकी काम तो जसपुर वळु तै करण चयेंद कि ना ?
भुंदरा बौ -अरे पर जसपुरम सामाजिक विन्यास क्या च ?
मि -40 बिट्ठ अर 200 शिल्पकार।
भुंदरा बौ -ललित बहुगुणान डाळ कख लगैन ?
मि -तिनि मंदिरौ रस्ता पर।
भुंदरा बौ -बिट्ठों मा एक बि इन मनिख बि च जु यूँ डाळु हिफाजत कौर साको ?
मि -नै सब लाचार छन। सब साठ से अळग छन।
भुंदरा बौ -याने कि डाळु हिफाजत आदि शिल्पकार इ कर सकदन जख बच्चा , युवा अर दान आदिम छन।
मि -हाँ।
भुंदरा बौ -अर शिल्पकारों तै अबि बि मंदिर प्रवेश की मनाही च कि ना ?
मि -हाँ सामाजिक हिसाब से शिल्पकार मंदिर मा प्रवेश नि कर सकदन।
भुंदरा बौ -मतलब जु बच्चा पैदा कौर सकुद वु जोगी बण्यु च अर जैक ब्यौ हुयुं च वु न्यऴतु -नपुंशक च।
मि -मतलब ?
भुंदरा बौ -मंदिर का रस्तों पर पेड़ शिल्पकारों तैं क्या फायदा ?
मि -पर पर्यावरण …
भुंदरा बौ -ऐसी तैसी पर्यावरण की। शिल्पकारों तै इन पर्यावरण आवश्यकता नी च जु पर्यावरण ऊंको आर्थिक स्थिति से नि जुड्युं हो या सामाजिक न्याय से नि जुड्युं हो।
मि -हाँ मीन यीं दिशा मा नि स्वाच।
भुंदरा बौ -तू अर ललित बहुगुणा ब्राह्मण खानदान का जि छंवां। मंदिरो रस्तों मा पेड़ अर सँजैत जगामा जंगळ पैदा करण से शिल्पकारों तै क्वी फायदा नी च तो जंगळ उगी नि सकदन।
मि -पर हे बौ ! सँजैत गांवक जंगळ मा तो शिलकारों अपने आप भागीदारी ह्वे जाली कि ना ? शिल्पकार सँजैत जंगळ उगाण मा उत्साह किलै नि दिखाँदन ?
भुंदरा बौ - म्यरा लाटो द्यूर ! जसपुर का सँजैत जगा मा जंगळ उगाण तो शिल्पकारों तै कुछ करण पोड़ल कि ना ?
मि -हाँ बिट्ठऊँ मुख मा दांत नि छन अर पेट मा आंत नि छन। सब बुड्या छन तो जंगळ उगाण शिल्पकारों की 100 प्रतिशत भागीदारी हूणि चयेंद ।
भुंदरा बौ -अर जब जंगळ उत्पादन को बँटवारो होलु तो तू बि त मुंबई बिटेन ऐली कि ना ?
मि -हाँ सँजैत जंगळ च तो मेरी बि भागीदारी बणदि च।
भुंदरा बौ -तो इन मा शिल्पकार सँजैत जंगल उगाण मा सहयोग द्याला क्या ?
मि -ना।
भुंदरा बौ -इनि ढांगू कैंडूळो संतन सिंग रावत जी ग्वील -जसपुर ऐ छया कि बांज खेतों मा फल की खेती कारो। यांसे आर्थिक स्थिति बि सुधरली अर पर्यावरण बि अर हिमालय बि सुरक्षित रालो।
मि -या बात तो सही च।
भुंदरा बौ -ख़ाक सही च। ग्वील जसपुर मा शिल्पकारों पास खेत नि छन अर बांज पुंगण हूण से वूँ तैं गोर चराणो सुविधा च कि ना ?
मि -हाँ। गाँव से ही चारागाह शुरू ह्वे जांद।
भुंदरा बौ -अब इन मा क्या बांज खेतों तै बागवानी मा बदलणो वास्ता शिल्पकार सहयोग द्याला क्या ?
मि -मै नि लगद कि शिल्पकार सहयोग द्याला। खेत आबाद होला तो चारागाह पर फरक पोड़ जालो।
भुंदरा बौ -अब इनमा क्वी पर्यावरणवादी हम तै सिखैक जाणु च कि बागवानी लगावो तो वै पर्यावरणवादी कुण क्या बुले जालो ?
मि -पर यी पर्यावरणवादी गलत बि त नि छन।
भुंदरा बौ -ध्येय मा क्वी गलती नी च पर एक्जिक्वीसन याने क्रियावनित करण मा भयंकर गलती करणा छन हिमालय बचाओ आंदोलनकारी।
10 /9 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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