Characteristics of Garhwali Folk Dramas, Folk Theater/Rituals and Traditional Plays part -183
Classical Rag Ragini, Tal, Bol, Music Beats, Music Notations or Music Scripts in Garhwali Folk Songs and Folk Music part -13
गढ़वाली लोक गीत संगीत (गढ़वाली लोक नाटकों ) में ताल,राग रागिनी-13
Presented by Bhishma Kukreti (Folk Literature Research Scholar
गढ़वाली लोक गीतोँ में पूर्वार्ध सप्तकी उदाहरण
डा शिवानंद नौटियाल लिखते हैं कि पूर्वार्ध सप्तिकी , लोक नृत्यात्मक गीत इसप्रकार के भी हैं जिनका गायन विस्तार विषय की दृष्टि से षटज के नीचे मंद्र कीओर निषाद, धैवत। पंचम तथा कंही कंही मध्यम तक़ होता है। संगीतकारों केअनुसार मंद्र सप्तक के स्वर गंभीर तथा कमाल स्वर करूणा प्रधान भावोँ कीअभिवयक्ति के लिए सर्वोत्तम व उपयुक्त स्वर होते हैं।
गजे सिंग के चौफुला इसी परंपरा में आता है
स्थायी चरण -
रणिहाट नि जाणो गजेसिंगs
रणिहाट नि जाणो गजेसिंगs
सहायक चरण -
त्यरा कानू कुंडल गजेसिंगs
त्यरा हाथ धागुला गजेसिंगs
हळज़ोत का दिन गजेसिंगs
रणिहाट नि जाणो गजेसिंगs
मेरो बोल्युं मान्याली गजेसगs
निसा रे सा । नि म # प# । सा रे - । ग रे नि
. .
रणि हा ट । नी जां णु । ग जे । सिं ग -
निसा रे सा । नि म # प# । सा सा - । सा रे ग म (म -ऊपर स्पर्श )
.
रणि हा ट । नी जां णु । ग जे । सिं ग -
@संगीत लिपिकार -केशव अनुरागी
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Common Music Notation
संगीत लिपि चिन्ह
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मध्य या शुद्ध सप्तक
स रे ग म प ध नी
तार सप्तक
सां रें गं मं पं धं नीं
मंद्र स्वर
सा#
रे #
ग़
म #
प #
ध #
नी #
# चिन्ह नीचे बिंदी का है जैसे फ़ारसी शब्दोँ में लगता हैं
कोमल स्वर
रे ग ध नी
सा व प स्थाई स्वर हैँ।
म के दो रुप हैँ
म -शुद्ध
म! -तीब्र स्वर
जिन शब्दों के आगे जितनी रेखाएं (-) उन्हें उतनी मात्रा माँ लम्बा गानाया बजाना चाहिए जैसे - - - - को चार मात्राओं तक लम्बा कर गानाचाहिये
सटे हुए शब्दों को एकमात्रा काल मे गाना चाहिये जैसे -गम एकमात्रास्वर में गाना चाहिये
` = का अर्थ है -जमजमा और X सम चिन्ह क़ा हैं
० चिन्ह खाली का है।
s = आधी अ का चिन्ह है
Music Notation or Music Symbols/Syllabus
Note Name ----Notation ID----Sol-fa-Syllable---Full Name ---Western Equivalent
Sa----------------S----------- ------------sa----------- Shadja -------------Unison
re (komal)--------r --------------------re ---------Rishabha (Komal) ---Minor Second
re (Shuddha)----R---------------- ------re--------Rishabha (Shuddha)---Major Second
ga (Komal)-----g----------------- -----ga---------Gandhara (Komal)----Minor Third
ga (Shuddha)----G---------------- ----ga---------Gandhara (Shuddha)—Major Third
ma(Shuddha)---m--------------- ------ma-------Madhyama( Shuddha)---Perfect Fourth
ma(Teevra)-------M------------ ------ma-------Madhyam (Teevra)---Augmented Fourth
pa--------------------P------- -----------pa--------Panchma-- --------------Perfect Fifth
dha (Komal)----d------------------ -----dha------Dhaivata(Komal)- ----Minor Sixth
dha (Shuddha)—D------------------- dha----- Dhaivata(Shuddha )-----Major Sixth
ni (Komal)-------n ---------------------ni -------Nishad (Komal)----------Minor Seventh
ni (Shuddha)----N ---------------------ni -------Nishad (Shuddha))----------Major Seventh
Sa----------------S’---------- ------------sa----------- Shajda -----------------------Octave
Copyright@ Bhishma Kukreti 2 /7/2014 for interpretation notes
Contact ID -bckukreti@gmail.com
Characteristics of Garhwali Folk Drama, Community Dramas; Folk Theater/Rituals and Traditional to be continued in next chapter
1-Dr Shiva Nand Nautiyal, Garhwal ke Loknritya geet
2- Keshav Anuragi
3- Dayashankar Bhatt
4- Glossary of Indian Classic Music
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