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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, July 1, 2014

बलात्कार्युं से निपटण सरल च पुलिस से कनकै निपटण ?

घपरोळया , हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती      
                     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 
 प्रदेश मा बलात्कार की घटनाओं से टीवी दर्शक , परेशान ह्वे गेन , पिते गेन, बेहाल ह्वे गेन।  सरा दिन टीवी समाचारुं मा प्रदेश मा बलात्कार की घटनाओं का अलावा क्वी न्यूज दिखणो नि मिलणि छे।  देस का विभिन्न भागों का सैकड़ों टीवी न्यूज फैन  क्लब का हजारों सदस्योंन प्रदेश का मुख्यमंत्री तै रोज फोन करण शुरू कौर दे कि प्रदेश मा बलात्कार रोका या नि रोको किंतु बलात्कार की घटनाओं तैं टीवी न्यूज तक आण से रोको। 
 प्रदेश मुख्यमंत्री जाणदा छा कि बलात्कार तैं त वु रोक सकदन किन्तु टीवी समाचार नि रोक सकदन। 
मुख्यमंत्रीन बलात्कार रुकणो बान कड़ा कदम उठाणै घोषणा हि नि कार सचिमुचि मा हरेक 300 लोगुं पैथर एक पुलिस पहरा का इंतजाम करवै दे। 
अबि चार दिन नि ह्वेन कि छुट छुट शहर -कस्बों मा लोग तहसीलदार का इख मोर्चा लेक जाण बिसे गेन। 
लोगुं बुलण छौ कि बलात्कार्युं से तो हम निपट ल्योला किंतु पुलिस से निपटण हमर बसै  बात नी च। 
मोर्चा मा अधिकतर मुर्गी बिचण वाळ , देसी शराब का धंधा करण वाळ अर जवान बेट्युं बुबा -ममा छया। 



Copyright@  Bhishma Kukreti  1 /7 2014   
    

*लेख में  घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।

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