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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, November 1, 2011

घास काटिक प्यारी छैला हे , रुमुक होएगी घर ऐजा


कितने बेहतरीन ढंग से जीत सिंह नेगी जी ने ये गाना लिखा और उतने ही सुन्दर ढंग से नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने इसको अपने सुरों में ढाला है

पति - पत्नी में छोटी सी नोक - झोंक हों जाती है और पत्नी घास का बहाना बनाकर जंगल चली जाती है

घास काटिक प्यारी छैला हे , रुमुक होएगी घर ऐजा :- http://hillytube.com/audio/ghas_katak_pyaari_-_Tu_Holi_Beera  

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