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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, January 29, 2017

उपनिषदुं मा हौंस -व्यंग्य -1

Satire and its Characteristics, Upnishad , व्यंग्य परिभाषा, व्यंग्य  गुण /चरित्र

               उपनिषदुं मा हौंस -व्यंग्य  -1
    (व्यंग्य - कला , विज्ञानौ , दर्शन का  मिऴवाक  : (   भाग -19      ) 

                         भीष्म कुकरेती 

                     उपनिषद याने मनोविज्ञान की छ्वीं।  याने धर्मै छ्वीं।  याने बड़ो गम्भीर साहित्य।  उन बि भारत माँ धार्मिक आख्यानों मा हौंस -व्यंग्य कमि मिल्दो।  पण आखिर उपनिषद बि मनिखों की इ रचना छन  तो उपनिषदों मा  बि कथ्या जगा हौंस -व्यंग्य मिल्द च। 
छान्दोगेय उपनिषद मा 'जबला पुत्र सत्यकाम ' कथा तो असली व्यंग्य च।  सत्यकाम गुरुकुल जाण चाणों छू तो वैन अपण माँ तै अपण गोत्र पूछ।  ब्वे न बताई बल वा तो युवावस्था म  परिचारिणी थै अर तबी वीं सणि सत्यकाम प्राप्त ह्वे।  अतः जाब्ला तै पता नी छू कि वींको पुत्रो असली गोत्र क्या छौ।  सत्यकाम जब गुरुकुल पौंछ त वैन गुरु तै अपण गोत्र नि बताई अर सीढ़ी सच्ची बात बथै दे तो गुरुन बोली बल इन स्पष्ट भाषण क्वी ब्राह्मण पुत्र नि दे सकुद , गुरुन सत्यकाम तै पढाणो जगा चार सौ कमजोर , मरतणया  गौड़ चराणो  भेजी  दे।  सत्यकामन प्रण ले बल जब तलक १००० गौड़ नि ह्वे जाल वैन बौण ही रौण। जंगळ मा सत्यकाम तै सांड , अग्नि , हंस , मद्गुनन सत्यकाम तै ज्ञान दे।  जब वो गुरु का पास ऐ तो गुरुन वी चार ज्ञान देन , फिर वै तै गुरु की जगा   अग्न्युन ज्ञान दे। 
  या कथा वास्तव सामाजिक परिवेश पर बि व्यंग्य च और जात पांत पर व्यंग्य का साथ साथ यो बि बथान्द कि ज्ञान का वास्ता गुरु से अधिक प्रकृति कामयाव गुरु च।  अपरोक्ष रूप से अब्राह्मण शिष्य तै पढाण मा आनाकानी एक व्यंग्य ही च।  (chhandogey Upnishad 4.4 to 4.9
24 / 1 /2017 Copyright @ Bhishma Kukreti 

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