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टिहरी वाला असहिष्णु , ब्रिटेन वाला बि असहिष्णु किन्तु नेपाल वाला सहिष्णु
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
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समय-टिहरी राजा सुदर्शन शाह काल ,
स्थान - श्रीनगर
छमिया पातर - हैं आज कथगा साल बिटेन राजकवि मौलाराम म्यार गरीबखाना मा ? एक असहाय पातर का इख ?
मौलाराम तोमर - हूँ ! तू भारी शरीर की अवश्य ह्वे गे , उम्र दराज बि ह्वे गे किन्तु आज बि तू नौ रसी हि छे।
छमिया पातर - औ त आज म्यार भूतपूर्व आतुर प्रेमी म्यार ड्यार नी अयुं बलकण मा एक 'चमार' मेरी देळिम आयुं च ।
मौलाराम तोमर - तोमर वंशी तै तू 'चमार ' बुलणि छै। ब्रिटिश राज नि हूंद छौ तो आज ही त्वै तै गर्म तेल की कढ़ाई मा ....
छमिया पातर -अरे राजकवि जु यी उमर मा ब्वालो कि -तू आज बि नौ रसी छे तो उ चमार ही होलु याने चर्म प्रेमी। तीन ही तो अष्टावक्र अर राजा जनक की कथा सुणै छे कविराज ! है ना चमार उर्फ़ राजकवि ?
मौलाराम तोमर (पागल मुद्रा माँ अट्टहास ) - जब दिन खराब हूंदन तो भूतपूर्व रखैल बि मजाक उड़ांदन .....
छमिया पातर - यदि महाराज प्रदीप शाह मेरी जगह तेरी विवाहित जनानी तै उठैs लिजान्दो तो क्या तू निर्लज चुप बैठ्युं रौंदु ?
मौलाराम तोमर -समय ...
छमिया पातर - हाँ समय तो रजकवियों को हूंद , पातर तो पातर .. अच्छा छोड़ ऊँ ऊँ छ्वाड़ो .... अचाणचक आज मै असहाय , गरीब , बुढ़िया की याद कनै ऐ ? जन भंवरा फूल का रस का लोभ मा जंगळ फिरदन उनी तुम बि भेट , इनाम का लोभ मा महाराज सुदर्शन शाह का दरबार मा टिहरी गे छया ?
मौलाराम तोमर - मि द्वी दिन पैलि इ टिहरी बिटेन बौडु (लौटा ) ।
छमिया पातर -औ तो भेंट खूब मिली होलि तो एकाद कण्ठहार मेपर मेहरबान करणो वास्ता कविराज म्यार इख ? बैठो बैठो ....
मौलाराम तोमर -ना ना छमिया ! मि कुछ दीणो ना अपितु अपणी निराशा मिठाणो वास्ता त्यार ठिकाणो आयु अर दस बारा दिन या एक मैना त्य्ररो इ इख रौलु। शराब को बतख (पुराणो शैली की बोतलनुमा ) बि लयां छन।
छमिया पातर -उफ़ ! मर्द जात बि ना ! निराशा मिठाणो बान शराब अर शबाब का सहारा किलै लींद होला ?
मौलाराम तोमर - शराब अर तेरो साथ का साथ मेरी कलम अर कागज बि मेरी निराशा मिठाला। कागज अर कलम ....
छमिया पातर - औ तो कविता रचना वास्ता आज मेरी जरूरत पड़ी राजकवि तै ? कनो ड्यारम नी रचे सकएंदन कवितावली ?
मौलाराम तोमर -नहीं उख ब्रितानी जासूस अर सुदर्शन शाह का जासूसों को डौर , भौ, भय जि च।
छमिया पातर -इन क्या च विषय कि ब्रितानी जासूस अर सुदर्शन शाह का जासूसों को डौर , भौ, भय लगणु च कविराज मौलाराम तोमर तैं ?
मौलाराम तोमर -मीन अपण कवितौं मा महाराज सुदर्शन शाह की हंसी उड़ान।
छमिया पातर -हैं ! महाराज सुदर्शन शाह की खिल्ली किलै उड़ाण ?
मौलाराम तोमर -मैं उख टीरी मा इथगा दिन रौं। सुदर्शन शाह की प्रशंशा माँ गीत रचिन अर दरबार मा गाई बि छन पर पता च इनाम क्या मील ?
छमिया पातर - दस सोना का हार , रत्न जड़ित तलवार ... जागीर ... भौत कुछ मील होलु ?
मौलाराम तोमर -नहीं राजन अपण दरबारी का हथ बस द्वी रुपया भिजवैन अर साला बेरहमी दरबारी चार आना खै गे अर मि तै एक रुपया बारा आना पकड़ैक बोलि गे कि सीधा श्रीनगर को रस्ता नापी ले।
छमिया पातर - औ तो सुदर्शन शाह की आलोचना मा कविता लिखण ?
मौलाराम तोमर -हाँ। सुदर्शन शाह बड़ो असहिष्णु जि च तो वैकि इन आलोचना लिखलु कि वैको बुबा प्रदीप शाह बि याद कारल ...
छमिया पातर -अर ब्रितानिया वळु से क्याँको डौर ?
मौलाराम तोमर - ब्रितानिया वळुन कन कनो तै जागीर , पधानचारी अर रायबहादुर की पदवी दे किन्तु ऊंन मेरी लाख कोशिश का बाबजूद मेरी जरा बि सुध नि ले। अपणी कविताओं मा ब्रितानिया वळु तै बि मीन असहिष्णु सिद्ध कर दीण।
छमिया पातर - और साथ मा नेपाल महाराज की बी आलोचना होली ही ?
मौलाराम तोमर -ना कुछ समय बाद मि फिर से भेंट , पदवी की इच्छा -अास मा नेपाल जाणु छौं तो नेपाल नरेश की प्रशसा आवश्यक च।
छमिया पातर (अति अट्टाहास ) - वाह रे वाह ! बुद्धिजीवी ! जख बिटेन मलाई मिल जावो तो वो राजा सहिष्णु अर जख बिटेन मलाई की उम्मीद ना हो तो वो राजा असहिष्णु।
मौलाराम तोमर - कुछ बि समज ले। किन्तु इतिहास मा मि सुदर्शन शाह, ब्रितानिया वळु तै असहिष्णु सिद्ध करिक दिखौलु ...
छमिया - तू तो कवि नहीं अपितु मलाई चोर है रे मलाई चोर बिल्ली ! मलाई चोर बिल्ली !
10/ 4 / 2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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