(गढ़वाल,उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग -182 )
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -182)
By: Bhishma Kukreti
Prem Godiyal is drama activist nad social worker of Dehradun. Prem Ballabh Godiyal created a few Garhwali Poems. Most poems are inspirational.
Prem Ballabh Godiyal was born in 1954 in Goda , Kandarsyun of Pauri Garhwal.
अग्वाड़ि अब सोचा तुम (गढ़वाली कविता )
रचना -- प्रेम बल्लभ गोदियाल
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आज द्यावा अब्बि द्यावा उत्तराखण्ड राज द्यावा
याद करा माँ बैण्यु को भै बन्धु को बलिदान
याद करा बेटि ब्वार्यूं को बलिदान
भौत ह्वेगि रूणि धाणि कमर अपणि बांधा तुम
कनक्वै होली हूणि खाणि अग्वाड़ि अब सोचा तुम।
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पहाड़ रीता ना करा तुम सब्बि इन बोलणा छन
बोली अपणि छोड़ा ना तुम , सब्बि इन बोलणा छन
बींगी ल्या तुम यूंकि बात सूणी ल्या तुम यूंकि बात
उट्ठा मेरि माँ बैण्यूं तुम , उट्ठा मेरा भै बन्द तुम
कनक्वै होली हूणि खाणि अग्वाड़ि अब सोचा तुम।
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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