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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, August 17, 2017

हरिद्वार गर्दन का फोड़ा : अटल जी जांद जांद कठुक कोचि गेन

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती     
       एक कैपणी बोल च बल बणिया भाजि ग्यायी कठुक कोच ग्यायी।  स्वार भार आयी , स्वार भारन मिट्टी तेल बुबरायी अर आग लगैक चल ग्यायी अर भाजपान उत्तराखंड द्याई दगड़म हरिद्वार बि फतकै ग्यायी अर मायावती व मुलायम कुण उड्यार दे ग्यायी। 
   जैदिन उत्तराखंड राज्य घोषणा ह्वे वैदिन पहाड्यूं तै अमृतौ बरोळी मील तो रोज विष पीणो आदेश बि मील। 
  पहाड्यूं तै खुसी का रंग मा हरिद्वारी विषैला नंग बि मील।  
  उत्तराखंड दिवस का दिन गाजा बाजा बजदन , स्वाळ -पक्वड़ बणदन अर दगड़म बरजातौ इखारो शंक बि बजद।
  हरिद्वार पुरण तीर्थ स्थान च , हरिद्वार पवित्र तीर्थ स्थान च अर हरिद्वार जिला पहाड्यूं कुण शूल पीड़ा च। 
    हरिद्वार कबि गढ़वाल मा छौ तब बि आफत छौ , हरिद्वार जब गढ़वाळ मा नि छौ तब बि खानपुर डकैत राजा वजै से हरिद्वार आफत छौ , अब आधुनिक राजा मदन कौशिक, कुंवर प्रणव सिंग का कारण हरिद्वार पहाड्यूं कुण आफत च। 
     उत्तराखंड आंदोलन ह्वे छौ बल पहाड़ी एमएलए , एमपी होला जो पहाड़ का बारा मा स्वाचला पर अब त हर साल परिसीमन का डंडा घुमण से सत्ता पीठ मा पहाड्यूं  बांठै जगा पर  हरद्वारी लाल, उधम सिंग अर बीएसपी-एसपी  वळ गैर पहाड़ी बैठणा छन। 
     उत्तराखंड आंदोलन ह्वे छौ कि पहाड़ों मा नव कृषि तैं विशेष महत्व मीलल पर उत्तराखंडी  नेताओं टक्क  तो हरिद्वार अर उधम सिंग नगर का बासमती पर लगीं रौंद त पहाड़ का खेत बंजर पोड़ल ही। 
    पहाड़ी  तहरीक चौल छौ बल पहाड़ों मा उद्यम खुलल , पहाड्यूं तै रोजगार मीलल पलायन रुकल।  पर उद्यम हिस्सेदारी तो हरिद्वार -उधम सिंग नगर ली गेन अर मेरा पहाड़ तो ठूंठ का ठूंठ खड़ा देखता रह गया। 
   उत्तराखंड आंदोलन ह्वे छौ बल मैदानी छल -बल से पहाड्यूं सणि मुक्ति मीलली , उत्तराखंड आंदोलन ह्वे छौ बल पहाड़ी क्षेत्र का नेतृत्व पहाड्यूं हथ मा होलु किन्तु हरिद्वार उत्तराखंड का गौळगंड बणिक पहाड़ियत तैं इ खतम करणु च । 
  उत्तराखंड आंदोलन चल छौ बल पहाड़ी प्रदेश मा पहाड़ी भाषा राज  कारली , राणी बणली पर हरिद्वारी मदन कौशिक सरीखा अड़ंगाबाज पहाड़ी भाषाओं तै विधवा बणाण पर अड्यां  छन।
शिव पार्वती युग मा हरिद्वार क्षेत्र का कारण पहाड़ी तब बि लुटेंदा छा , अकबर क्या अंग्रेजूं टैम पर  बि पहाड़ी लुटेंदा छा अर अब सतपाल महाराज  समर्थक अर मदन कौशिक समर्थकों मध्य लाठी चलदन ।
 हरिद्वार तैं देखिक पहाड्यूं तैं हिसर , किनग्वड़ अर रड़न्या -फिसलण्या रस्ता याद आंदन । 
    
       उत्तराखंड का वास्ता हरिद्वार पहाड़ीपन समाप्त करणो एक औजार च।  पहाड़ी अस्मिता को चीरहरण करणो वास्ता हरिद्वार दुशासन च।  हरिद्वार पहाड्यूं वास्ता गौळ कु फोड़ा -फुन्सी च , फोड़ा नि  फुड़दा त मोरदा छां , फोड़ा  फुड़दा त मोरदा छां अर इनि रौंदा त कोढ़ी जन जिंदगी राली। 

अटल जी तुम त बीमार पोड़ी गेवां अर पहाड्यूं वास्ता इन उत्तराखंड दे गेवां बल  ना त खुस हुयांद , ना रुयांद अर ना इ इनि सयांद। 
   
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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 12  /8 / 2017

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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