Recently, this author got opportunity to meet Deveshwar Joshi in Mumbai. it was interesting evening with him. Joshi read his Garhwali poems till late night
enjoy his poem, the poem is on Jagar style and is satirical
जै दारु दिबता
देवेश्वर जोशी (दिल्ली)
पैलो प्रणाम पौंचे मेरो तै गुरु को जैन यू दारु बणाइ
दुजू प्रणाम पौंचे मेरो ऊन दारु भक्तों को जौं यू दारु गौळ लगाई
जागरण
जै दारू देब जाग कच्ची तू दारु जाग
पक्की तू दारु जाग देसी तू दारु जाग
अंग्रेजी तू दारु जाग, ब्रांडी की तू बोतले जाग
जिन की बोतळ जाग , स्कोच्च की तू बोतल जाग
थ्री एक्स रम जाग , ओल्ड मोंक की बोतल जाग
व्हिस्की की तू बोतल जाग, बैग्पैप्र के बोतल जाग
सैम्पियन का प्याला जाग , बिपर को गिलास जाग
दिप्लोमत को क्वार्टर जाग
जाग दारु शराब को प्याला जाग
- ३-
जाग दारु भक्त जाग , छ्वटु नौनु तैं ब्रांडी दे
घर की नार को तू जिन कोइ बोतल दे
बच्चों का सिर जाग बूढों का सिर जाग
नौ नाडी बहत्तर कोठों जाग
मंत्री को ध्यान जाग , संतरी का ध्यान जाग
जाग रे बाबा जाग
पी मी का ध्यान जाग सीएम् का ध्यान जाग
डीएम् का ध्यान जाग एडीएम् का ध्यान जाग
जाग रे बाबा जाग
आईएएस का ध्यान जाग, पीसीएस का ध्यान जाग
ऑफिसर साब का ध्यान जाग , कर्मचारी का ध्यान जाग
पटवारी का ध्यान जाग , कानूनगो का ध्यान जाग
थानेदार का ध्यान जाग दरोगा का ध्यान
पाँच का ध्यान जाग परधान का ध्यान जाग
डाक्टर का ध्यान जाग , क्म्पौंडर का ध्यान जाग
इंजीनियर का ध्यान जाग, ठेकेदार का ध्यान जाग
कर्नल का ध्यान जाग , जर्नल का ध्यान जाग
बिधायक का ध्यान जाग सांसद का ध्यान जाग
रेंजर का ध्यान जाग
फोरेस्टर का ध्यान जाग
बी डी ओ का ध्यान जाग ए डी ओ का ध्यान जाग
नेता का ध्यान जाग अभिनेता का ध्यान जाग
४-
इंटरनेसनल दिबता तेरो ध्यान जाग
बिश्व प्रसिद्ध दारु देब त्वेकी नमस्कार
हर जाती हर धर्म का दिबता तेरी जैजैकार
जाती पाट को दुश्मन छै धर्मनिरपेक्ष दिबता छे
जूठा पिठा नि माणदो , छुवाछुत की बि जाणदो
५-
प्रात: की त्वे पूजा देलू , सूर्योदय के त्वे पूजा देलू
ग्विर्मिलाक की त्वे पूजा देल , धडांदि दुफरा की त्वे पूजा देलू
गो धूलि की त्वे पूजा देलू बारा बजे रात की त्वे पूजा देलू
६-
जौंळ त्वे बुग्ठ्या देलू, चौसिंग्या त्वे खाडू देलू
पांच त्वे सलाद द्योलू , सात त्वे नमकीन देलू
इक्कीस भांति को मांस देलू , बखरा की क्च्छ्बोळी द्योलू
बखरी की त्वे भित्र्वांस देलू मिरग की कल़ेजी द्योलू
घ्व्वेद को फाब्सू द्योलू , माकच को सुरवा देलू
जौंळ त्वे मुर्गा देलू , तीतर को मॉस देलू . बटेर को मॉस देलू
चकोर को मॉस द्योलू
जाग दारु देब त्वेको नमस्कार
८-
बेरोजगार को तू रोजगार दींदु , बिगड़याँ तू काम बणऊदू
मूसुं तैं तू बाग़ बणऔन्दु बुड्डयौं तैं तू जवान बणऔन्दु
जवानुं तैं बुड्या बणऔन्दु शेर तैं गीदड़ बणऔन्दु
जौनका गिच्चा दांत नीन पुटका अंत नीन ऊंका ब्योऊ करौंदु
हार्दा मुकदमा जितौंदु , जित्यान उक्द्मा हरौंदु
बड़ा बड़ा ठेका दिलौंदु , बड़ा बड़ा की मति हरण करदो
होणी की निहोणि , निहोणि की होणी करोंदु
राजौं तैं रंक बणोऊन्दु रंक तैं राज दिलौंदु
सै णा को गोर भेळ हकांदु चलदा घरु खन्द्वार करदू
अच्छा अच्छा कु ठिकाणा लगान्दु
हंसदा प्रिवारून रुलांदु
रिश्तेदार को माँ रखदो दोस्त की तू शां रखदो
.....
जै दारु देब की जै देब की
Copyright Deveshwar Joshi, Delhi, 2011
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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