Modern Garhwali Folk Songs, Poems
बकी बातों ह्यूं - (जग्गू नौडियाल की कविता )
रचना -- जग्गू नौडियाल ( जन्म - 1940 . भीमली तल्ली , पैडळ स्यूं , पौड़ी गढ़वाल )
इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या - भीष्म कुकरेती -
( साभार --शैलवाणी , अंग्वाळ )
Poetry Copyright@ Poet
Copyright @ Bhishma Kukreti interpretation if any
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बकी बातों ह्यूं - (जग्गू नौडियाल की कविता )
रचना -- जग्गू नौडियाल ( जन्म - 1940 . भीमली तल्ली , पैडळ स्यूं , पौड़ी गढ़वाल )
Poetry by - Jaggu Naudiyal
( विभिन्न युग की गढ़वाली कविताएँ श्रृंखला )
( विभिन्न युग की गढ़वाली कविताएँ श्रृंखला )
इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या - भीष्म कुकरेती -
कवितौ रचना समौ :खैडा, गाँव २४ जनवरी १९६०
ये दिन याद राला ,
ह्यूं पड़ी अबा साला .
सात गती मौ का मैना ,
ह्यूं का पाड़ बंदे गेना ,
भवरेगैनी छाला . ह्यूं पड़ी अबा साला
आंदा जांदा लोक बन्द ,
म्वरणो कू आया छंद
गोरु क्या जी खाला . ह्यूं पड़ी अबा साला
ह्यूं को पाणी तातु कैक
गौड़ी भैंसी वे पिलैक
लगै द्यावा ताल़ा . ह्यूं पड़ी अबा साला
गाजी मोरि हम बि मोरा
क्वी नि आन्दु धोरा
अब ऐगे काल़ा , ह्यूं पड़ी अबा साला
पाणी अब कन लाण
बेटी ब्वारी बांदा ताण
हाथ खुटा लाल , ह्यूं पड़ी अबा साला
बूड बुड्यों ठड ह्व़ेगी
ओजू धारु लगण लेगी
कन यूँ बचौला , ह्यूं पड़ी अबा साला
मोटर सी आणि जाणि
बन्द ह्वेन सब्बी धाणी
येई गढवाळ .ह्यूं पड़ी अबा साला
छुट्टी ल्हेकी क्वी बि आलू
बाठा बटी बौडि जालू
सब्बी सास राला . ह्यूं पड़ी अबा साला
देसु वाला भैजी ऐना
कोटद्वार खौंल़े गेना
कानू कैकी राला , ह्यूं पड़ी अबा साला
उनकू को छ वख क्वी भी
छुट्टी आला जु भी
बैठी बैठी र्वाला (रवाला ) .ह्यूं पड़ी अबा साला
दगडा ल्हाला चाणs गुड़
आंसू आला तड़ बुड
सौडि जाला माला . ह्यूं पड़ी अबा साला
आध बाठा भैजी छया
ऊन चिट्ठी लिखी द्याया
नौं कनअ ह्वाला . ह्यूं पड़ी अबा साला
इस्कूल बन्द रैनि
मास्टर क्वी बि नि गैनी
ह्व़े गे ढंग चाळ .ह्यूं पड़ी अबा साला
डाळी बूटी टूटी गैन
छ्वटि बड़ी सुकी गेन
फौंका टुट डाला , ह्यूं पड़ी अबा साला
ब्योका हाल सुणा अब
इनु दुःख आया तब
पिसीं रेगी दाला , ह्यूं पड़ी अबा साला
रस्ता पौणु भूलि गेन
ह्यूं की रात मौ क मैना
तै मंडा का छाला . ह्यूं पड़ी अबा साला
कैकु घुण्ड कैकु मुंड
रस्ता खुज्याओ तख फुंड
क्वी पडू याँ भ्याला .ह्यूं पड़ी अबा साला
पौंछणे कि कख पूछ
कैक ठनडे गेन मूछ
कैकु आया ल्वाला .ह्यूं पड़ी अबा साला
दूसरा तिसरा दिन पौणा
ऐड़ी ह्वेगी कैकी धौणा
पक्या रै गेनी स्वाला .ह्यूं पड़ी अबा साला
बार बजी रात क्वी
डांड मग हाय ब्वेई
कख मन्न फाळ .ह्यूं पड़ी अबा साला
ब्योली का ब्व़े बाब बल,
पेट मची खळ बळ
कख जौल़ू भ्वाला . ह्यूं पड़ी अबा साला
जौंकू ब्यौ होण छायो
बयोउ ऊन कायो कायो
ह्यूं का गीत गाला . ह्यूं पड़ी अबा साला
कैकी भग गे गाया फंड
क्वी बुड्डी ह्वेन रांड
येई बुड्या धवाळआ , ह्यूं पड़ी अबा साला
बाजा बाजा ज्वान ज्वान
ह्वेगी ऊँ थैं अभिमान
सड़म रौडी वै छाला . ह्यूं पड़ी अबा साला
बाजा बुड्या धंस तौळ
ह्यूं मा प्वड़याँ उडी खौळ
उठाणा कि हाला .ह्यूं पड़ी अबा साला
कैका ड़्यार लखड़ नीन
कख जाण ब्वेई तीन
फंक्या झंगरयाल .ह्यूं पड़ी अबा साला
कैकु साग नी च भात
हेरी बटोळी ल्यखद बात
जग्गू नौडियाला .ह्यूं पड़ी अबा साला
( साभार --शैलवाणी , अंग्वाळ )
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