उत्तराखंडौ नामी गिरामि मनिख
डा शिव प्रसाद डबराल : प्रसिद्ध इतिहासकार
प्रसिद्ध वेस्ट इन्डियन इतिहासकार मारकस गार्वे क बुलण छौ बल मि ठोस भाषाम वो इ बुल्दु जां से मेरी कौम अपण इतियास जाणि जावो अर अफु तै पूरी तरां से समझी सौक अर इनि डा शिव प्रसाद डबराल न कौर डा शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' न बी यो ही काम कार . डा डबरालन उत्ताराखंड्यु तै बथाई बल तुम क्या छ्या , क्या छंवां अर क्या ह्वे सकदां . डा शिव प्रसाद डबरालक महत्व उत्तराखंडम इनि च जन प्रसिद्ध इतिहास खोजी अर लिखवार मारकस गार्वे , बेन जोकानन ,डा इवान सर्तिदिमा सुजौन हेनरिक क्लार्क ,फ्रांतज़ फ़ेनोन ,हेनरी सेल्वेस्टर ,विलियम्स ,विलियम इडवार्ड ,बुर्गार्ड डुबोईस,जौर्ज पादमोरे ,क्वामे नकुर्मा ,एरिक विलियम्स ,चेख अन्ता डियोप ,ओल सोइंका ,चांसलर विलियम्स, रिचर्ड पंखुरस ,रुनोको राशिदी क च . यूं सबि इतियासकारुन अपण समाजौक इतियास सरा दुन्या तै बथाई .
. डा डबरालौ जनम गौळीम (डबरालस्यूं , गंगा सलाण , पौड़ी गढ़वाल ) 12 नवम्बर 1912म ह्वे छौ। शिव प्रसाद जीक बुबाजी मास्टर छ्या अर पढ़न लिखणो ढब बचपन बिटेन लगी गे छौ . आगरा यूनिवर्सिटी से भुगोलम एम् ए अर पी एच डी कार। डी ए वी इंटर कॉलेज म अध्यापक रैन अर फिर इखी प्रिंसिपल पद से रिटायर ह्वेन .
डा डबरालन 18 किताब उत्तराखंड का इतिहास पर लिखेन , 9 ऐतिहासिक नाटक , चारणऔ नाम से द्वि पोथी , कथगा इ गढ़वाली लोक साहित्य जन ढोल सागर , सुरजी नाग अर आधुनिक साहित्य जन पांखु नाटक कु सम्पादन कार अर यूं किताबु तै अपण प्रिंटिंग प्रेसम छपाई .
डा डबराल शुरूम घुम्मकड़ छ्या अर यां से ऊंन कथगा इ वो ऐतिहासिक तथ्य खुजेन जो आज हरची सकदा छा। डा शिव प्रसाद औ उत्तराखंड का इतिहास (18 भाग ) आज उत्तराखंड की धरोहर छन . जु कै तै बि उत्ताराखंडौ इतिहासम काम करण त डा डबरालक किताब बंच्यां बगैर यु काम नि ह्वे सकुद .
डा डबराल तै भौत सि सन्स्थौन सम्मान दे .
डा शिव प्रसाद डबराल 24 नवम्बर 1999 म इं दुनिया से गेन पण वो अमर छन
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