( श्री सोहन लाल जखमोला द्वारा कही गयी एक सत्य घटना का नाट्य रूपांतर )
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चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट ::: भीष्म कुकरेती
समय -1997
स्थान -गुलरगाड (टिहरी जनपद ) क्षेत्र का एक गाँव,
छज्जे पर पति पत्नी अलग अलग हुक्का लिए किन्तु सजला एक ही है तो बारी बारी से तमाकू पी रहे हैं
समय - सुबह नौ बजे
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(गोबिंद सिंग का आंगन में प्रवेश )
गोबिंद सिंग - औ ! थोकदानी बौ का बि दर्शन ह्वे गेन भै ...
थोकदानी बौ -ये कन म्वाड़ म्वार त्यार। काकी कुण बौ छै रै बुलणु ?
गोबिंद सिंग - अरे सरा दुन्या त्वे कुण बौ बुल्द त मीन बि ...
थोकदानी बौ -तुम टिर्याळुं क्वी अंत पंत हूंद त हम उदेपुर्या तुमकुण ... किलै बुल्दां।
गोबिंद सिंग - देख वां तू टिरयाळ अर गंगा पार उदेफर की बात नि कौर हाँ। छे तू टिरयाळुं घरवळी ना ?
थोकदानी बौ - ऊं उ त मेरी मति मोरी जु मि इना .. निथर ..
गोबिंद सिंग - अच्छा ये थोकदानी बौ तू अलग हुक्का लेकि बैठीं छे अर जोगी काका क हुक्का अलग पण सजला एकी। किलै द्वी झण एकी हुक्का पर सोड़ नि मारदा ?
थोकदानी बौ - अरे खानदानी थोकदानी छौं मि। आमसैण मतलब उदेपुर मा बारा गौं का थोकदार हवलदार मुरली सिंगै बेटी छौं मि। मि त त्यार भिड़युं हुक्का पर बि गिच नि लगौं फिर यी बिचर त सि छन ...
गोबिंद सिंग - वाह ! ये बौ। भीतर नि धेला अर नाम गुमान सिंग रौतेला। जोगी दा से त्यार द्वी लड़िक ह्वे गेन पण अबि बि ? हुक्का बिलकुल अलग हैं ?
थोकदानी बौ -हाँ हुक्का तो छोड़ आज तक मीन यूंक क्या यूंक ब्वेक पकायूं भात तक नि खायी। जैदिन सासु भात पकांदी मि भात ना सिरफ रुटि खान्दु।
गोबिंद सिंग - हाँ सुण्यु च तेरी सिक्यूं बारा मा बल तू अबि बि भौत सा बामण अर जजमानुं पकायुं भात क्या वूंक हुक्का पर तमाकु नि पींदी।
थोकदानी बौ - त्यार बाबन कथगा दैं भात खलाणै कोशिस कार। मजाल च या थोकदानी छुट जात्यूं बामण जजमानुं चलायुं भात खाओ।
गोबिंद सिंग - यां इथगा इ अपण जातिक इथगा इ गुमान छौ तो फिर किलै बैठि जोगी काका कुणी ? ये जोगी काका क्या मंतर कार तीन कि थोकदारण त्यार पैथर पैथर ... ?
थोकदानी बौ - ऊ क्या ब्वालल मी बतै लींदु। अरे बुल्दन बल बुल्युं क्वी नि खांदन लिख्युं सबि खांदन। जोग जोग की बात च।
गोबिंद सिंग - जोग !
थोकदानी बौ -हाँ जोगुं बात च। छै खारी सट्टी हूंद छा म्यार मैत। ब्यौ बि इन ससुरास ह्वे जख बीस खारी झंग्वर हूंद छा। पर ब्यौ का द्वी सालम इ रांड ह्वे ग्यों।
गोबिंद सिंग - ये मेरी ब्वे!
थोकदानी बौ - फिर कुछ दिनुं बाद द्यूरा कुण बि बैठु। पर ज्यूंरा तै म्यार सुख बर्दास्त नि ह्वे। वी बि टीबी बिमारीन जल्दी टुरक गे। म्यार ससुर जी बि टीबीन इ मोरी छा।
गोबिंद सिंग - ओहो।
थोकदानी बौ - हाँ
गोबिंद सिंग - पर ये जोगी काका ! इथगा बड़ी गुमान वळी थोकदानी कनै आयी त्यार फंदा मा ?
थोकदानी बौ - अरे यूंक ढोलकी का चक्कर मा ऐ ग्यों मि ?
गोबिंद सिंग - ये जोगी काका ? या काकी क्या बुलणी च। तू त ढोल बजांदी अर काकी बुलणी बल तेरी ढुलकी चक्कर मा ऐ गे।
जोगी दास - अरे गोबिंद ठाकुर ! एक दैं तल्ला ढांगू क बिजनी क तूंगी बादी दगड़ आमसैण जिना उनी ग्यों त उख थोकदानी से आँख क्या मिलिन कि मि ऊना ढोलक बजाण लगि गे छौ।
थोकदानी बौ - हां उ त पैथर पता चौल बल यी दास छन।
गोबिंद सिंग - निथर क्या ह्वे जांद ?
थोकदानी बौ - कुछ क्या हूण छौ। म्यार भाग मा यी छा बस।
गोबिंद सिंग - हाँ ..
जोगी दास -ये गोबिंद ठाकुर ! इन त बताओ इना कना आण ह्वे ?
गोबिंद सिंग - हां काका उ थोकदानी बौ क चक्कर मा ..
थोकदानी बौ - ये काकी बोल हाँ ..
गोबिंद सिंग - हां उ भणजौ ब्यौ च पली मैना। त सोळ गति कुण ऐ जयां। मुशकबज अर मंगळेर बि दगड़म लये। ये काकी त्वी जी ऐ जै मांगळ लगाणो।
थोकदानी बौ - चुप बै। थोकदानी छौं मि। बड़ो आयी थोकदान्यूं से मांगळ लगवाण वळ।
24/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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