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Thursday, January 4, 2018

जब बरात मा अंगेठी चलदी छै (संस्कृति समळौण )

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 जब बरात मा  अंगेठी चलदी छै  (संस्कृति समळौण )
(यह प्रकरण श्री सोहन लाल जखमोला ने सुनाया था )
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 नाट्य रूपांतर   :::   भीष्म कुकरेती   
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काल -सन  1904 
स्थान - बड़ेथ  (मल्ला ढांगू )   ( किमसार, उदयपुर , यमकेश्वर ब्लॉक से 25 -30  मील दूर  )) 
स्थान - बड़ेथ का ब्रिटिश काल का चौक 
 कुमना नंद बड़थ्वाल  (बड़ेथक  ) - हे चंदनु ! चल तू भी ऐ  गे  बखारी  बिटेन।  ले सि जसपुर बिटेन जोगी  भैजि , डाबर बिटेन  सदा भैजि  बि  ऐ गेन।  अब चिंता नी 
(रामा रूमी हूंद ) 
कुमना नंद - सदा भैजि ! अच्छु  ह्वे जु  तुम डाबर बिटें  ऐ गेवां  . मेरी त  निंद इ हर्चि गे।  इथगा दूर सुदनु बरात किमसार लिजाण। 
सदा नंद डबराल (डाबर , डबराल स्यूं वासी )-  ब्वे कथगा दिनुं बिटेन घचकाणि छे बल मौसेर  भाइक नौनु सुदनु क ब्यौ च अर मि अबि तक नि बड़ेथ नि ग्यों। 
कुमना नंद बड़थ्वाल - ज्यठि  ब्वेक हम सब पर बड़ो प्रेम च। 
सदा नंद - अच्छा भैजि क्या क्या इंतजाम ह्वे गे।  25 -30  मील दूर बरात जाणो बात च त  ... 
कुमना नंद - हूं  हां।  कख बड़ेथ अर  कख किमसार।  हिंवल पार , लंका दूर।  पर ढुंगा क भुप्पी बडोला ममा जीन उख रिस्ता की बात कार।  त्याईस गुण मिलणा छन। खानदान देखिक ना नि  बुले गे। 
जोगी  कुकरेती (जसपुर ) -  भैजि ! और क्या चयेंद ? जातिक कंडवाल ,मोतीराम जीक त छै भैंसी लैंदी , तीन जोड़िक  बल्द , आठ तंदला बखरों अर  एक तंदला ढिबरों क च।  
चंदन सिंह -हाँ बड़ जिमदारु , बड़ु  कामकाज।  अर  मीन सूण बल मोतीराम जीक चार त म्वार जळट छन बल।  हर मैना  दु दु परोठी शहद हरिद्वार भेषक बाबा जीक इख जांद बल। 
सदा नंद - हाँ भेषक बाबाक इख आयुर्वेदिक दवा जि बणदन।  मोतीराम कंडवाल जीक  भैजिन उखी त बैदकी सीख। 
कुमना नंद - हाँ पर सि सात आठ दिन पैली मोतीराम जीक रैबार बि त आयी। 
जोगी - क्या भुला ?
सदा नंद - कुछ इन तन ?
कुमना नंद - बल द्वार बाट  हूण से पैल बल ऊँन हमर कै बराती तैं  हुक्का नि दीण अर ना आग। 
जोगी -  हाँ त रिवाजौ बात च।  इखमा क्या ? हम बि त भातौ पिठै लगाणो बाद ही अपण समदयूं तैं हुक्का पिलांदा। 
कुमना नंद - भैजि ! रैबार पूर  त सूणो। 
जोगी - बोल , बोल 
कुमना नंद - बल मोतीराम जीक बड़ो नाम च उदेपुर मा  त पचास बरात , कम से कम चार घ्वाड़ा , चार हुक्का, एक बैठक हुक्का अर कम से कम चार अंगेठी त आण इ चयेंदन  ।  
सदा नंद - ये मेरी ब्वे बड़ खानदानौ दगड़ रिस्ता जवाड़ो त  ताम झाम बि बड़ ही करण पड़द। 
जोगी - हूँ।  घ्वाड़ा , हुक्का बि  लिजै ल्योला।  हूँ पर  चार अंगेठी ?
चंदन  सिंह  - ह्यां यांकि बान त भाना डुलेर बुलै छौ।  अबि तक नि आयी।  यूंक बि अब भाव बढ़ गेन। 
जोगी - ले सि  ऐ गे भाना  डुलेर। 
(रामा रूमी हूंद )
चंदन - क्या रै भाना  देर लगै द्याई ?
भाना - हाँ ग्वीलम  अम्बा दत्त ठाकुर जीक इख देर ह्वे गे।  ऊंक नौन बाला दत्त जीक क बरात जाण मन्यार स्यूं नैथाणा।  त ब्योलीक ड्वाला  लाणौ डुलेर चयेणा छन। 
जोगी - ये हां बाला कु ब्यौ बि  त सुदनु ब्यौ से छै  दिन बाद च। 
भाना - हां।  बरात मा आठ डुलेर अर आठ अंगेठी लिजाण वळ अर एक बांजक लखड़ लिजाण वळ चयेणा छन। ये ठाकुर लोगो अंगेठी जगा गुपळ जळैक किलै नि लिजान्द होला। 
सदा नंद - ये क्या बुलणु छे ? गुस्स -गुपळ मुर्दा लिजान्द दैं लिजांदन।  ब्यौ मा अपशकुन्या चीज लिजांदन क्या ?
भाना - हम तैं क्या पता।  हम त टकौं ब्यौ करदा त  हमर ले क्या। 
जोगी - ये भाना ! सुदनु बरातौ कुण बि चारेक डुलेर अर अंगेठी लिजाण वळ चयेणा छन। 
भाना - कथगा अंगेठी जाणा छन बरातम ?
चंदन - कम से कम चार अंगेठी। 
भाना - बरतीन जाण किमसार।  मतलब डेड़  दिन जाण अर डेड़ दिन आण।  ऊं त इख बि आठ अंगेठी लिजाण वळ अर एक लखड़ लिजाण वळ चयाल। 
कुमना नंद - हां इथगा त चयला ही।  दूरक बात च। 
भाना - इन च काका ! डुलेर त मि पांच बीसी लयों पर जळदि अंगेठी लिजाणो क्वी डुलेर तयार नी होणु। 
जोगी - अरे भाना ! इन कनै बात बल अंगेठी लिजाणो क्वी डुलेर तयार नी ?
भाना - इन च जळदि अंगेठी लिजाण  क्वी खाणो काम नी च। 
चंदन - अरे पर अंगार त रंगुड़ो तौळ रंदन फिर ड्यूल बि खूब डमडमु रौंद 
भाना -कबि लिजा धौं जळदि अंगेठी। 
चंदन - पर आमदनी बि त खूब हूंदी कि ना ?
भाना - अरे क्वा च आमदनी पैंथर पड़्यु ? सब बुल्दन बल बच्यां रौला त तमाखू मांगि देखि खै ल्योला। 
सदा नंद - हाँ पर अंगेठी वळुं तै मजूरी अलावा दु दु गिंदोड़ा बि मिल्दन। 
भाना - डबराल ठाकुर ! हमर लोग बुल्दन बल इथ्गा कट्ठण अर खतरा वळ काम इ जि करण हूंद त मथि मुलक पेंशनर काम मतबल चाय बगानों मा काम नि करदा हम।  
कुमना नंद - ह्यां पण।  हमकुण अंगेठी लिजाण जरूरी च।  समदी जीक मान सम्मान कु  सवाल च।  बेटी ब्यौ मा जथगा ज्यादा अंगठी तथगा बड़ो नाम हूंद। 
भाना - मुश्किल च 
जोगी - अरे त इकै गिंदौड़ा हौर ले ले 
भाना - गिंदोड़ा सवाल नी च।  क्वी बि इथगा कट्ठण अर खतरा वळ काम करणो तयार नी च। 
सदा नंद - अच्छा त अम्बा दत्त जी अंगेठी लिजाण वळुं क्या इंतजाम करणा छन ?
भाना - क्या करण जन लाट साब सरकार सड़क बणानो करदी।  अर क्या। 
चंदन - क्या ?
भाना - दुगड्ड -भाभर बिटेन डुट्याळ मंगाणा छन। 
सदा नंद - डुट्याळ ? दुगड्ड भाभर बिटेन ?
भाना - हाँ ठाकुर। 
कुमना नंद - ठीक च।  अब जब मान सम्मान कु सवाल हि ह्वे गे त हम बि डुट्याळ इ मंगोला। 
सदा नंद - हाँ यी ठीक रालो 
जोगी - बिलकुल जी।  अंगेठी उठाणो बान डुट्याळ इ ठीक राल। कै तै दुगड्ड भाभर भिजण पोड़ल। 
कुमना नंद - हाँ 


27/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल विषय विशेषता दर्शन   हेतु उपयोग किये गए हैं।
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