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जब बरात मा अंगेठी चलदी छै (संस्कृति समळौण )
(यह प्रकरण श्री सोहन लाल जखमोला ने सुनाया था )
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नाट्य रूपांतर ::: भीष्म कुकरेती
नाट्य रूपांतर ::: भीष्म कुकरेती
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काल -सन 1904
स्थान - बड़ेथ (मल्ला ढांगू ) ( किमसार, उदयपुर , यमकेश्वर ब्लॉक से 25 -30 मील दूर ))
स्थान - बड़ेथ का ब्रिटिश काल का चौक
कुमना नंद बड़थ्वाल (बड़ेथक ) - हे चंदनु ! चल तू भी ऐ गे बखारी बिटेन। ले सि जसपुर बिटेन जोगी भैजि , डाबर बिटेन सदा भैजि बि ऐ गेन। अब चिंता नी
(रामा रूमी हूंद )
कुमना नंद - सदा भैजि ! अच्छु ह्वे जु तुम डाबर बिटें ऐ गेवां . मेरी त निंद इ हर्चि गे। इथगा दूर सुदनु बरात किमसार लिजाण।
सदा नंद डबराल (डाबर , डबराल स्यूं वासी )- ब्वे कथगा दिनुं बिटेन घचकाणि छे बल मौसेर भाइक नौनु सुदनु क ब्यौ च अर मि अबि तक नि बड़ेथ नि ग्यों।
कुमना नंद बड़थ्वाल - ज्यठि ब्वेक हम सब पर बड़ो प्रेम च।
सदा नंद - अच्छा भैजि क्या क्या इंतजाम ह्वे गे। 25 -30 मील दूर बरात जाणो बात च त ...
कुमना नंद - हूं हां। कख बड़ेथ अर कख किमसार। हिंवल पार , लंका दूर। पर ढुंगा क भुप्पी बडोला ममा जीन उख रिस्ता की बात कार। त्याईस गुण मिलणा छन। खानदान देखिक ना नि बुले गे।
जोगी कुकरेती (जसपुर ) - भैजि ! और क्या चयेंद ? जातिक कंडवाल ,मोतीराम जीक त छै भैंसी लैंदी , तीन जोड़िक बल्द , आठ तंदला बखरों अर एक तंदला ढिबरों क च।
चंदन सिंह -हाँ बड़ जिमदारु , बड़ु कामकाज। अर मीन सूण बल मोतीराम जीक चार त म्वार जळट छन बल। हर मैना दु दु परोठी शहद हरिद्वार भेषक बाबा जीक इख जांद बल।
सदा नंद - हाँ भेषक बाबाक इख आयुर्वेदिक दवा जि बणदन। मोतीराम कंडवाल जीक भैजिन उखी त बैदकी सीख।
कुमना नंद - हाँ पर सि सात आठ दिन पैली मोतीराम जीक रैबार बि त आयी।
जोगी - क्या भुला ?
सदा नंद - कुछ इन तन ?
कुमना नंद - बल द्वार बाट हूण से पैल बल ऊँन हमर कै बराती तैं हुक्का नि दीण अर ना आग।
जोगी - हाँ त रिवाजौ बात च। इखमा क्या ? हम बि त भातौ पिठै लगाणो बाद ही अपण समदयूं तैं हुक्का पिलांदा।
कुमना नंद - भैजि ! रैबार पूर त सूणो।
जोगी - बोल , बोल
कुमना नंद - बल मोतीराम जीक बड़ो नाम च उदेपुर मा त पचास बरात , कम से कम चार घ्वाड़ा , चार हुक्का, एक बैठक हुक्का अर कम से कम चार अंगेठी त आण इ चयेंदन ।
सदा नंद - ये मेरी ब्वे बड़ खानदानौ दगड़ रिस्ता जवाड़ो त ताम झाम बि बड़ ही करण पड़द।
जोगी - हूँ। घ्वाड़ा , हुक्का बि लिजै ल्योला। हूँ पर चार अंगेठी ?
चंदन सिंह - ह्यां यांकि बान त भाना डुलेर बुलै छौ। अबि तक नि आयी। यूंक बि अब भाव बढ़ गेन।
जोगी - ले सि ऐ गे भाना डुलेर।
(रामा रूमी हूंद )
चंदन - क्या रै भाना देर लगै द्याई ?
भाना - हाँ ग्वीलम अम्बा दत्त ठाकुर जीक इख देर ह्वे गे। ऊंक नौन बाला दत्त जीक क बरात जाण मन्यार स्यूं नैथाणा। त ब्योलीक ड्वाला लाणौ डुलेर चयेणा छन।
जोगी - ये हां बाला कु ब्यौ बि त सुदनु ब्यौ से छै दिन बाद च।
भाना - हां। बरात मा आठ डुलेर अर आठ अंगेठी लिजाण वळ अर एक बांजक लखड़ लिजाण वळ चयेणा छन। ये ठाकुर लोगो अंगेठी जगा गुपळ जळैक किलै नि लिजान्द होला।
सदा नंद - ये क्या बुलणु छे ? गुस्स -गुपळ मुर्दा लिजान्द दैं लिजांदन। ब्यौ मा अपशकुन्या चीज लिजांदन क्या ?
भाना - हम तैं क्या पता। हम त टकौं ब्यौ करदा त हमर ले क्या।
जोगी - ये भाना ! सुदनु बरातौ कुण बि चारेक डुलेर अर अंगेठी लिजाण वळ चयेणा छन।
भाना - कथगा अंगेठी जाणा छन बरातम ?
चंदन - कम से कम चार अंगेठी।
भाना - बरतीन जाण किमसार। मतलब डेड़ दिन जाण अर डेड़ दिन आण। ऊं त इख बि आठ अंगेठी लिजाण वळ अर एक लखड़ लिजाण वळ चयाल।
कुमना नंद - हां इथगा त चयला ही। दूरक बात च।
भाना - इन च काका ! डुलेर त मि पांच बीसी लयों पर जळदि अंगेठी लिजाणो क्वी डुलेर तयार नी होणु।
जोगी - अरे भाना ! इन कनै बात बल अंगेठी लिजाणो क्वी डुलेर तयार नी ?
भाना - इन च जळदि अंगेठी लिजाण क्वी खाणो काम नी च।
चंदन - अरे पर अंगार त रंगुड़ो तौळ रंदन फिर ड्यूल बि खूब डमडमु रौंद
भाना -कबि लिजा धौं जळदि अंगेठी।
चंदन - पर आमदनी बि त खूब हूंदी कि ना ?
भाना - अरे क्वा च आमदनी पैंथर पड़्यु ? सब बुल्दन बल बच्यां रौला त तमाखू मांगि देखि खै ल्योला।
सदा नंद - हाँ पर अंगेठी वळुं तै मजूरी अलावा दु दु गिंदोड़ा बि मिल्दन।
भाना - डबराल ठाकुर ! हमर लोग बुल्दन बल इथ्गा कट्ठण अर खतरा वळ काम इ जि करण हूंद त मथि मुलक पेंशनर काम मतबल चाय बगानों मा काम नि करदा हम।
कुमना नंद - ह्यां पण। हमकुण अंगेठी लिजाण जरूरी च। समदी जीक मान सम्मान कु सवाल च। बेटी ब्यौ मा जथगा ज्यादा अंगठी तथगा बड़ो नाम हूंद।
भाना - मुश्किल च
जोगी - अरे त इकै गिंदौड़ा हौर ले ले
भाना - गिंदोड़ा सवाल नी च। क्वी बि इथगा कट्ठण अर खतरा वळ काम करणो तयार नी च।
सदा नंद - अच्छा त अम्बा दत्त जी अंगेठी लिजाण वळुं क्या इंतजाम करणा छन ?
भाना - क्या करण जन लाट साब सरकार सड़क बणानो करदी। अर क्या।
चंदन - क्या ?
भाना - दुगड्ड -भाभर बिटेन डुट्याळ मंगाणा छन।
सदा नंद - डुट्याळ ? दुगड्ड भाभर बिटेन ?
भाना - हाँ ठाकुर।
कुमना नंद - ठीक च। अब जब मान सम्मान कु सवाल हि ह्वे गे त हम बि डुट्याळ इ मंगोला।
सदा नंद - हाँ यी ठीक रालो
जोगी - बिलकुल जी। अंगेठी उठाणो बान डुट्याळ इ ठीक राल। कै तै दुगड्ड भाभर भिजण पोड़ल।
कुमना नंद - हाँ
27/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल विषय विशेषता दर्शन हेतु उपयोग किये गए हैं।
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