Best of Garhwali Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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चुल्लक गैस स्टोव से चिरड्याण
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चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट ::: भीष्म कुकरेती
चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट ::: भीष्म कुकरेती
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माटौ चुल्ल - औ ये ब्वे ! नि सयेंद , नि रयेंद , नि खयेंद
गैस स्टोव (अपणी मनम ) -अब ये तैं मृत्यु डौर लगण लग गे , एन सब्युं निसिणि करण।
चुल्ल - ये ब्वे ! ये ब्वे ! क्या ह्वाल भोळ , भोळ क्या ह्वाल .. . भोळ क्या ह्वाल। निजड़ू शत्रु गैस स्टोव आण से म्यरो वंश समाप्ति अवश्यम्भावी च।
घण्यसौ बंठा - ये चुल्ल माराज सीण दि हम तै।
चुल्ल -चुप बै बंठा। तेरी मृत्यु आली ना नजीक तब पता चौलल। त्वे पता बि च कि निरबंशी मोरणो दुःख क्या हूंद।
गैस स्टोव (मन इ मन मा ) - अब यूं सब्युं बत्थों मा नि सियाण। आज संस्कृति नाश पर आज अवश्य ही भाषण भीषण होलु।
बंठा - ह्यां पर रोज रोज क्या रौंद तू रुणु कि अब तेरी मृत्यु ही ना त्यार बंश बि खतम ह्वे जाण
चुल्ल - अबै त्वे क्या पता बंश नास का क्या दुःख हूंद।
बंठा - पता च। सि प्लास्टिकै बल्टी अर टब ऐ इ गेन ना । पर मीम धीरज च , धैर्य च , सहनशीलता च।
बौळी -हाहाहा
बंठा -क्या छे ये बौळी मै पर हंसणी ?
बौळी - मि त्वे पर नि हंसणु।
बंठा - त ! कै पर छे हंसणी ?
बौळी - मि त तै भुल्लकड़ चुल्लु पर छौं हंसणु।
चुल्लु - क्या च इखम हंसणै बात ? मेरी मृत्यु निश्चित च अर तू हंसणी छे हैं ?
बौळी - जरा वु दिन याद करदी जब ये घौरम तै बंठा की दीदी तमोळी ऐ छे। तब सब माटौ घौड़ , घंटी , हिसर अपण अवश्यंभावी बंश नाश पर रुणा छा अर तू हंसणु छौ बल सब माटक भांड कूंड , पत्थरौ भांड कूंड अर लखड़ूं भांड कूंड खतम ह्वे जाल पर चुल्लु कबि नि मोर सकुद। तीन तब अट्टाहास कौर छौ कि माटौ चुल्लाक मृत्यु कबि नि हूण। माटौ चुल्ल अजर छन , अमर छन।
कठब्वड़ पुटकाक बरोळी - हाँ हाँ , तब त ये चुल्लन घमंड मा संस्कृत श्लोकों मा बोलि छौ बल मृतिका भांडुं मृत्यु अवश्य आली , मृदिका पात्रुं वंश नाश हूण च , काष्ठ पात्र समाप्त ह्वाला किन्तु मृतिका चुल्ली: तो मनुष्य वंश का साथ ही समाप्त ह्वाल।
जंदरी - हां ! येन म्यार वंशौ नाश पर बि अट्टाहास कौर छौ बल पाषाण -भंडम बि मृत्यु लोक चल जाल किन्तु मृदिका चुल्लि: न समाप्त नि हूण।
गैस सिलिंडर - स्टॉप , स्टॉप। कीप क्वाइट। डोंट अटर ऐनी वर्डस। लेट मि स्लीप पीसफ़ुली।
कूण्या - पता नी यु लाल गोळ उच्चु भांड कैं बिजली मा रौंद गिटर पिटर करणु धौं। बिंगणम बि नि आंद एक बुल्युं।
चुलखंदौ लखड़ - अरे म्यार बारम बि त स्वाचो। जब बिटेन स्यु शत्रु गैस स्टोव आयी मि चुलखंद म पड्युं पड्युं सौड़ ग्यों।
पटिला - अच्छु ह्वे तू नि जळदु। अरे त्यार धुंवान हमारी क्या कुगति हूंद छै।
सब -हाँ अब ना धुंवां ना हमर अंसदारी। धुवांहीन वातावरण म मजा ही मजा.आनंदम ! आनंदम !
चुल्लु -सालो ! तुम सब म्यार बैरी ह्वे गेवां। मेरो कुलनाश हूणू च अर तुम आनंदम आनंदम भजणा छवां।
पसूण - देख भाई चुल्लू ! ये ब्रम्हांड कु नियम नियति च बल जु जनम ल्यालो वैकि मृत्यु अवश्यम्भावी च। इख तलक कि जु नया वंश, नया कुल याने जु नया उपकरण आंदो वैन पुरण हूण। फिर वैक जगा नया उपकरण आंद अर पुरण उपकरण स्वतः ही अप्रासांगिक ह्वे जांद। उपकरण याने संस्कृति अर संस्कृति ठहरदी नी अपितु समाप्त हूंद जांद।
चुल्ल - अरे त्वे पर बितदी ना तब बुल्दु मि।
पसूण - बितण क्या च। परसि नि ऐ छा ये उबर नया किस्मौ ओड जु अब नयो कूड़ बणाणो बात करणु छौ। बुलणु छौ बल काष्ठ रहित बिल्डिंग बणौलु।
मोर, सिंगार, देळी (एक दगड़ी ) - मतलब अब हमन बि बदल जाण ? हमर बि वंश नाश ?
पसूण (प्रसन्नचित ) - बिलकुल। तुमर , हमर क्या तकरीबन हम सब्युंक वंश नाश हूण।
पर्या - मतलब हर अन्वेषण से पुरातन को नाश ?
पसूण - हाँ हर नयो अन्वेषण पुरण उपकरण संस्कृति बिनास करदो। अब हमर बारी च।
घण्यस - तो क्या करे जावो ?
पसूण - कुछ नहीं। बस नई संस्कृति याने नया उपकरणों स्वागत अर अपण वंश नाश पर प्रसन्नता। प्रसन्नता ही जीवन च , प्रसन्नता ही हम उपकरणों नियति च।
सब -परिवर्तन की जय हो। परिवर्तन की जय हो
सिलिंडर - लॉन्ग लिव चेंज !
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