कबिता हुन्द ....
स्वीली की पीड़ा
जू हुन्द , बचा थै , पैदा कन से पैली
जू बचा थै, भैर आणों बाटु बतोद !
कबिता हुन्द
धामी का डौर माँ लगाई कटाक
जैसे पैदा हुन्द नाद ( स्वर)
जू नाचाद घ्वाडा थै अपणी ताल माँ !
कबिता हुन्द
बाल जन जिदेर्ये हिगर
जू हिंगर डाली डाली अपणी बात मनोद
जब बात पूरी हवे जाद त खित हंसाद !
कबिता हुन्द
रुडियुमा बाजै जडियुम को ठंडो पाणी
जू बुझोद तिस्लियु की तीस
जै से निकल्द शब्द " जुगराज राया "!
कबिता हुन्द
धार मागे , कुंगुलू घाम सी
जू एहसाह दिलोद तपन की !
कबिता व हुन्द
जू बनू बच्याण की तमीज सिखांद
समझण अर संझानै बात बतोद
आपसमा प्यार प्रेम की भाषा सिखोंद !
`पराशर गौर
१९ जनबरी २०१०
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