रूप
और
धूप
कभी भी
ठल सालती है !
देखने वालो की
सोच
और आँख
कभी भी बदल सकती है !
लेकिन ,
रूप और धुप
एक बार ढली तो ..
ढली ...............
लाख जतन करने पर भी
वो , वापस नहीं आयेगी
आकाश ने खोई
डिसकबरी की तरह !
पराशर गौर
jan. 7 2010 raat 8.11 pr
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