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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, April 2, 2018

व्यापार की बुराई करना मानव पर अन्याय है (उत्तराखंड पर्यटन )

( ब्रिटिश युग   में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म ) 
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास )  -58
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  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (Tourism History  )  -  58                  
(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--195       उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 195  

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) 
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  भारत में महाभारत काल से ही धन की प्रशंसा होती है धन की आवश्यकता को महत्व दिया जाता रहा है किंतु व्यापार द्वारा धन कमाई को ओछा माना जाता रहा है।  वैश्यों से दक्षिणा लेना उचित माना जाता है किन्तु वैश्य वृति को हीन  माना जाता रहा है। उत्तराखंड पर्यटन परिपेक्ष्य में आज भी पहाड़ियों के मध्य यही विचार अधिक चल रहा है।  कृपया पर्यटन पर पत्रकारों  की कोई रपट पढ़िए।  एक ओर वे पर्यटन में शासन की सुस्ती को खरी खोटी सुनाते हैं वहीं दूसरी ओर  व्यापार की कटु आलोचना भी करते रहते हैं।  प्रत्येक वासी प्रवासी पहाड़ी का रोदन होता है कि उत्तराखंड में पर्यटन विकसित हो ही नहीं रहा है औऱ स्वयं पर्यटन  व्यापार में निवेश नहीं करता है। 
       बहुत से साहित्यकार प्रवासियों पर व्यंग कसते हैं कि प्रवासी देरादून में घर बना रहे हैं।  किन्तु वेचारे नहीं जानते कि देहरादून , ऋषिकेश में घर निर्माण वास्तव में पर्यटन को ही संबल देता है। 
  वास्तव में सभी जागरूक पहाड़ियों को सम्पन प्रवासियों को कोटद्वार , सतपुली , नरेंद्रनगर , द्वारहाट आदि स्थानों में घर ही नहीं दूकान निर्माण हेतु प्रेरित करना चाहिए जिससे पर्यटन में न्य निवेश आये।
                 ब्रिटिश काल में उत्तराखंड विकास के नेपथ्य में ब्रिटिश का व्यापारिक मानसिकता का हाथ है
  इसमें दो राय नहीं हैं कि ब्रिटिश जन का गढ़वाल -कुमाऊं विकास के पीछे व्यापार बृद्धि मुख्य उद्देश्य था।  गढ़वाल -गोरखा शासन की तुलना में जनता को अधिक सुविधाएं मिलीं तो वे सुविधाएं ब्रिटिश व्यापार वृद्धि हेतु निर्मित की गयीं थीं। 
 व्यापार से समाज में सम्पनता  आती है -
   व्यापार केवल कुछ व्यक्तियों हेतु सम्पनता नहीं लाता अपितु संपूर्ण समाज में सम्पना लाता है। बहुत साल पहले बहुत से पहाड़ी घोड़ा चलाने व्यापार में उतरे तो जनता क माल परिहवन की सुविधा मिलने लगी।  प्राचीन समय में गलादार टिहरी से बैल लाते थे व सलाण  में बेचते थे।  विक्रेता व क्रेता  को लाभ तो मिलता ही था साथ में जहां वे रात्रि वास करते थे उन्हें कुछ न कुछ तो देते ही थे।
 
 व्यापार आजीविका साधन जन्मदाता है 
  व्यापार की प्रकृति ऐसी है कि एक व्यापार अपने साथ कई अन्य व्यापारों को भी जन्म देता है जो आजीविका दायक होते हैं। 
  व्यापार हेतु आधारभूत संरचना की आवश्यकता होती है और इन आधारभूत संरचनाओं (infrastructure ) से जनता को स्वयमेव सुविधाएँ मिलने लगती हैं। 
 व्यापार सब्सिडी से नहीं उत्पादनशीलता के बल पर विकास करता है 
विश्व में एशिया व अफ्रिका में कृषि व किसान अधिक समस्याग्रस्त हैं।  एशिया में तो भारतीय सनातन धसरम की मानसिकता काय कर रही है।  सनातन धर्म में अनाज , मांश , दूध आदि विक्री को तुच्छमाना गया था।  वही मानसिकता चीन से लेकर मलेसिया तक अभी भी विद्यमान है।  चीन में कुछ समय तक सेल्समैन को बुरी नजर से देखा जाता था के पीछे भी सनातन धर्मी मानसिकता ही थी। वर्तमान में भारत में भी राजनीतिक दल किसानों को केवल अनाज उपजाने की फैक्ट्री मानते हैं और कोई एक ऐसा तंत्र खड़ा नहीं किया गया कि किसान कृषि को स्वतंत्र व्यापार मानकर चले तो किसान अपने आप कई नए क्षेत्रों से कमाई साधन खोजे व उन साधनों को परिस्कृत करे.
   व्यापार नए अविष्कारों का जन्मदाता होता है 
व्यापार की  एक विशेषता है कि वह  नए आविष्कार करने को विवश होता है। 18 वीं सदी से आज तक जितने भी बड़े आविष्कार हुए वे युद्ध अथवा व्यापर जनित आविष्कार हैं।
  व्यापार लाल फीताशाही भंजक होता है
 व्यापार लाल फीता शाही भंजक होता है ,

 व्यापार कर्म को अधिक महत्व दायी होता है 
 व्यापार कर्म से चलता है भाषणों से नहीं। 
  सर्वांगीण विकास हेतु व्यापार 
 छोटे या बड़े व्यापार हेतु जीवन के प्रत्येक कार्यकलापों की आवश्यकता होती है और न कार्यकलापों को व्यापार स्वयं विकसित करता जाता है। 
 व्यापार भविष्यदृष्टा समाज पैदा करता है 
व्यापार की आत्मा भविष्य दृष्टि होती है।  व्यापार भविष्यदृष्टा सामाज पैदा करता है। 

  व्यापार स्वावलम्बी व अनुशासित समाज पैदा करता है 
   व्यापार में स्वावलंबन व अनुशासन आवश्यक है।  व्यापार स्वावलम्बी व अनुशासित समाज की रचना करता है  व अनुशासित समाज की परवरिश करता है।  

Copyright @ Bhishma Kukreti   31/3 //2018 
ourism and Hospitality Marketing Management  History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी 
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास  part -4
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  Medical Tourism History  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History of Pauri Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Chamoli Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical   Tourism History Tehri Garhwal , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Uttarkashi,  Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Dehradun,  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Haridwar , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Nainital Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History Almora, Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Champawat Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia; 

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