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Monday, April 2, 2018

कुणिंद मुद्राओं में चित्रांकन और हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास

Kuninda Coinage aDesign  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History
Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -
  
193
                     

                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 193                 

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  


         कुणिंद मुद्राएं ताम्र , रजत व कांस्य तीनों धातुओं में मिलते हैं। 
  कुणिंद मुद्राओं पर निम्न चित्रांकन विशेष हैं -
१- अग्रभाग में बौद्ध बेष्टनि युक्त विशाल बोधिबृक्ष , त्रिरत्न , पृष्ठ भाग में सूर्य 
२- अग्रभाग में मृग के सम्मुख नारी (शकुंतला ?) , चैत्य व पृष्ठ भाग में चैत्य , त्रिरत्न , धर्मचक्र , बौद्धवेष्ठिनी , बोधिबृक्ष , स्वास्तिक 
३- अग्रभाग में दाहिने हाथ में त्रिशूल व परुष लिए शिव ,शिव के बाएं  पहलू में बीघर चरम लटक रहा है। पृष्ठभाग में नाग , वृक्ष ,नक्षत्र , चैत्य 
४- बलभुति की मुद्रा में अग्रभाग में सिर तक दाहिना हाथ उठाये पुरुष की आकृति , पृष्ठभाग अस्पस्ट 
५- अल्मोड़ा से प्राप्त मुद्राओं में अग्रभाग में वेष्ठनीयुक्त वृक्ष के निकट जाता हुआ नंदी , , नाग , देव , या मानवाकृति।  पृष्ठ भाग में नणदीपाद व इन्द्रीयस्टी।  शिव दत्त की मुद्रा में वृक्ष व मृग अंकित पाए गए हैं 
६- भानवर्मा की मुद्रा - अग्रभाग में नाग , पृष्ठ भाग अस्पस्ट।  गढ़वाली की मुद्राओं में भानु की मुद्राओं में षडानन कार्तिकेय तथा त्रिशूलधारी शिव 
७- रावण मुद्रा - रावण की मुद्रा में अग्रभाग में त्रिशूलधारी शिव व पिष्टभाग में मेरु पर नणदीपाद 
कुणिंद गण की आरम्भिक मुद्राओं में ही कुणिंद नाम चिन्ह मिलते हैं 
८- कुणिंद की शेष मुद्राओं में नाम मिलते हैं 
  यौयेध मुद्राओं में नरेश का नाम नहीं मिलते हैं पर मूलभूमि का नाम मिलता है। 

भानु व रावण की मुद्राएं देहरादून में अधिक मिलीं हैं।  इन मुद्राओं में यौयेध चिन्ह बीर अंकित हैं। 
  ऐसा प्रतीत होता है कि कुणिंद व यौयेध  ाजाओं के मध्य मुद्राओं की अदला बदली होती थी या दोनों राज्यों में एक दूसरे की मुद्राएं चलतीं थीं। 



Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India  2018 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -



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