Very Short Garhwali Stories ; Modern Folk Stories
शेखन दारु पीण कम किलै कार ?
( गढ़वाली लघुकथा श्रृंखला -8 , Garhwali Very Short Stories -8 )
कथा रूपांतर -- भीष्म कुकरेती
देहरादून मा घन्टाघरौ न्याड़ एक शराबखाना च नाम च विजय बार।
उख मुहम्मद शेख जाक़िब रोज आंद , सबसे पैथराक मेज मा बैठद अर तीन छुट छुट पैगक ऑर्डर दींद। फिर हरेक गिलास से एक गिलास से एक एक सिप करिक धीरे धीरे शराब की चुस्की लींद। इन मा जब सबी तिनि गिलासुंक शराब खतम हूंद तो मुहम्मद जाक़िब फिर तीन छुट छुट पैगक तीन अलग अलग गिलासुं का ऑर्डर दींद अर हर बार एक एक गिलास से सिप लेकि सबी गिलास खतम करदो। फिर तिसर दैं छुट छुट तीन पैगुं ऑर्डर दींद।
विजय बारक बैरान ब्वाल ," साब यदि आप ये ऑर्डर तैं एक साथ ऑर्डर दे दींदा तो आप तैं क्वाटर का हिसाब से कम बिल दीण पोड़दा पर अब तो बिल मैंगा पोड़ल। "
मुहम्मद शेखन जबाब दे ," देख ! हम तीन दोस्त छया , राकेश गोयल , मि अर सोहन लाल गढ़वाली। हम तिन्नी डीएवी कॉलेज मा पढ़दा छा तो हम तीन दैं छुट छुट पैग का ऑर्डर दींद छ। अब राकेश गोयल दिल्ली च अर सोहन लाल गढ़वाली मुंबई च। हम तिन्नयुं दोस्ती बरकार च अर हमन कसम खै छे कि हम रोज दगडी दारु प्योंला। तो मि वूंक दगड़ ही दारु पींदो। "
अब मुहम्मद शेख विजय बार आंदो अर तीन दैं छुट छुट पैगुं ऑर्डर द्यावो अर सब्युंक बांठक दारु पेक चली जावो।
एक दिन मुहम्मद शेखन द्वी द्वी छुट छुट पैगुं ऑर्डर दे।
बैरान पूछ ," साब कुछ अपघात ह्वे गे क्या ? जु आज केवल द्वी पैग ऑर्डर ?"
मुहम्मद शेखन जबाब दे ," ना ना। कुछ तन नि ह्वे। आज से मीन दारु छोड़ याल। बस अब म्यार द्वी दगड्या ही दारु प्याला। "
16/12 /2015 Bhishma Kukreti
Garhwali Stories ; Very Short Modern Garhwali Folk stories from Garhwal ; Very Short Garhwali Modern Folk stories from Garhwal , Uttarakhand ; Very Short Garhwali Modern Folk stories from Garhwal, Uttarakhand , Himalaya ; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand, North India ; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand, South Asia ;Garhwali Folk Stories , modern Garhwali Folk Tales , Modern Garhwali Folk Stories
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments