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Monday, June 6, 2011

Kaintura Ranraut Jagar : A Ranbhoot Legend Folklore

Culture and Folk Literature of Asia

Kaintura Ranraut Jagar : A Ranbhoot Legend Folklore

Bhishma Kukreti

Ranbhoot means the soul of a brave personality or souls of brave soldiers who died in a battle . Ranbhoot are equal to deity and goddesses . There is worships of Ranbhoots under Ghadela

We may put them as the folklore of Odysseus , Philosopher’s Stone, King Arthur and Knoghts of Round of the Round Table Legends of Africa , Atalantis ,Tarjan Wars, Helen and Troy , the Irish Ballads area as Follow me up to Carlow, Alasdair, The sash , jackets Green , The woods of Trugh etc

The Ranbhoot are brave personalities who sacrificed their lives for community or for their loves ,. The following Ranbhoots are famous legends and people keeps Ghadela to worship them :
1- Kaitura -RanRaut, 2- Teelu Rautela 3- Surju Kaunl, 4- Gadhu Sumyal 5- Kaffu Chauhan 6- Jagdev Panwar 7- Brahm Kunvar 8- Asha ar hari hindwan 9- Kali harpal 10-Madho Singh Bhandari 11- rama Dharani 12- Malu rajula 13- Bhanu Bhopela 14- Kalu Bhandari
The following Ranbhoot Jagar is famous Jagar of Kantura-RanRaut . The story is like as King Arthur ; some how also reminds the love story of Hsu Sheng and many tragic love and war stories all over the world
The beauty of poem is that the creator used many Upma Alankar (similarity and comaparision) very effectively . The excellence of poem also fit in poetic form. the raptures as Pathos, chivilary, love are well wooven. There is ample proof that the crator of this folk poem was knowing human psychology and knew dream psychology very well too. Story telling is simple and seems that in every age the poetic form changed with time and narrator. the story provides glimpose of Kaintura Raj and many Gadhis in Garhwal around third century
कैंतुरा रणभूत जागर

होलू कालू भंडारी मालू मा कु माल
अनं का कोठारा छया वैका , बसती का भंडारा
गाडू घटडे छई , धारु मरूडे
धनमातो छौ , छौ अन्न्मातो
जीवनमातो छौ कालू स्यौ भंडारी
आदि रात मा तै सुपिनो होयो
सुपिना मा देखी विनी स्या ध्यानमाला
देखी वैन बरफानी कांठा
बरफानी कांठा देखे ध्यानमाला को डेरा
चांदी का सेज देखे , सोना का फूल
आग जसी आँख देखी , जिया जसी जोत
बाण सी अरेंडी देखी , दई सि तरेंडी
नौंण सी गळखी देखी , फूल सि कुठखी
हिया सूरज देखे , पीठ मा चंदरमा
मुखडी को हास देखे , मणियों का परकास
कुमाळी सि ठाण देखे , सोवन की लटा
तब चचडैक उठे , भिभडैक बैठे
तब जिया बोदे क्या ह्वेलो मेरा त्वाई
आज को सुपिनो जिया , बोलणि आंदो
ना ल़े बेटा कालू सुपिना को बामो
सुपिना मा मा बेटा , क्या नि देखेंदु
कख नि जयेन्दु , क्या नि खायेंदु
मैन ज्यूण मरणा जिया हिन्वाला ह्वेक औण
तख रौंद माता, वा बांद ध्यानमाला
कालू भंडारी मोनीन मोयाले
तब पैटी गे वो तै नवलीगढ़
भैर को रखो छौ कालू भीतर को भूखो
कथी समजाई जियान वो
चली आयो वो ध्यानमाला को गढ़
ध्यान माला औणी छै पाणी का पन्द्यारा
देखी औंद कालू भंडारीन वो
हे मेरा प्रभू वा बिजली कखन छूटे
सुपिना मा देखी छै जनी , तनी छा नौनि या
आन्छरी सि सच्ची , सरप की सि बची
अर देखे ध्यानमालान कालू भंडारी वो
बांको जावन छौ वो बुरांस को सी फूल
तू मेरी जिकुड़ी छे बांकी ध्यानमाला
त्वे मा मेरो ज्यू छ
सुपिनो मा देखी तू तब यख आयूँ
आज तू मै तैं प्रेम की भीख दे
तब ल्ही गे वो ध्यानमाला अपडो दगड
कुछ दिन इनि रेन वो गुप्ती रूप मा
तब बोल्दो कालू भंडारी
कब तैं रौण रौतेली इनु लूकी लूकिक
तब ध्यानमाला का बुबा धरम देव
कालू भंडारी मिलण ऐगे
सुण सूण धर्मदेव धरमदेव
मै आया डांडा टपीक, गाडू बौगीक
मैं जिउण मोरण राजा
तेरी नौनि ध्यानमाला ल़ाण
ऐलान्दो बैलोंदो तब राजा धरमदेव
मेरा राज मा अयाँ होला
हैंका राज से पांच भड
साधी लौलो ऊँ तैं जु कालू भंडारी
ब्यावोलो त्वे ध्यानमाला
कालू भंडारी का जोंगा बबरैन
वैका छाती का बाळ जजरैन
उठाए वैन तब नंगी शमशीर
चली गये हैंका हैर भड़ू साधण
इतना मा गंगाडी हाट का रूपु
आयो ध्यानमाला हाथ मांगण
ब्यौ को दिन तब नीछे ह्व़े गये
पकोड़ा पकीन, हल्दी रंगीन
नवलीगढ़ मा कनो उच्छौ छायो
कालू भंडारी लड़दू रेगे भड़ू सात
तै के कानू मा खबर नी पौंची
पिता की मर्जी , अपणी नी छें वींकी
बरांडी छे किरांदी छे वा नौनि ध्यानमाला
तब सुमरिण करदी वा कालू भंडारी
तेरी मेरी प्रीत दूजा जनम ताई
किस्मत फूटे मेरी बिधाता
जोड़ी को मलेऊ फंट्याओ
तब देखे वैन ध्यानमाला रोणी बराणी
जाणि याले वैन होई गे कुछ ख्ट्गो
रौड़दो -दौड्दो आयो माला का भौन
हे मेरी माला क्या सोची छै मैन
अर क्या करी गये दैव
कालू भंडारी , हे कालू भंडारी
मेरा पराणु को प्यारो होलो कालू भंडारी
मेरा सब कुछ तू छ मैं छौं तेरी नारी
देखे वीं कालू भंडारी क्वांसी आन्ख्युन
हात बुर्याँ छा वैका , खुटा छा फुक्यां
कांडो सि होयुं छौ वो सुकीक
मेरा बाबा यें कतना तरास सहे
गला लगाये वीन तब कालू भंडारी
मरण जिउण ही जाण
तब बोल्दु कालू भंडारी
तेरी माया ध्यानमाला मैकू सोराग समान
कु जाणो क्या होंद बिधाता को लेख
पर मैं औंलू ब्योऊ का दिन
तू मेरी माला आखिरें फेरा ना फेरी
तब वखन चलिगे वो कालू भंडारी
कुछ दिन बाद आये ब्यो का दिन
गंगाडी हाट मा तब बारात सजे
ब्यौ का ढोल दमौं घारू गाडू गजीन
नवलीगढ़ राज मा भी बजदे बडई
मंगल स्नान होंदु माला लैरंदी पैरंदी
धार मा की गैणा सि दिखेंदी माला
बोलदी तब वींको जिया मुलमुल हंसी
ध्यानमाला होली राजौं का लेख
गंगाडीहाट का रूपु गंगसारा की
तब नवलिगढ़ बारात चढ़े
मंगल पिठाई हुए षटरस भोजन
तब ब्यौ को लग्न आये , फेरों का बगत
छै फेरा फेरीं मालान , सातों नी फेरे
मै अपण गुरु देखण देवा
तबरेक ऐयीगे तख साधू एक
कालू भंडारी छ कालू भंडारी
पछाणी मुखडी वैकी मालान
वींको आंख्यी मा तब आस खिलगे
प्रफुल ह्व़े गे तब वा ध्यानमाला
मेरा गुरुआ होला तलवारी नाच का गुरु
मै देखणु चांदु जरा नाच ऊंको
तब गुरु स्सधू बेदी का ध्वार आइगे
नंगी शमशीर चमकाई वैन
एक फरकणा फुन्ड़ो मारी एक मारी उन्डो
पिंडालू सि काटिन वैन गोद्डा सी फाडींन
कुछ भागिन , कुछ मारे गेन
मारये गे वू रूपु गन्गसारो भी
तब बल मु ध्यानमाला ही छुटी गये
लौट आन्दु तब वीमुं कालू भंडारी
ओ मेरी माला आज जनम सुफल ह्व़े गे
अगास की ज़ोन पायी मैं फूलूं की सि डाळी
तब जिकुड़ा लगैले हातून मा धरिले वा
आज मेरो मन क मुराद पुरी होए
तबरे लुक्युं उठै रूपु का भाई
लूला गंगोला वैकु नाम छायो
मारी दिने वैन कालू भंडारी धोखा मा
रोये बराए तब राणी ध्यानमाला
पटके जन उखड़ सि माछी
मैं क तैं पायूँ सुहाग हरचे
मैंक तैं मांगी भीख खतेणे
कं मैकू तैं दैव रूठे
रखे दैणी जंगा पर वीन कालू को सिर
बाएँ जंग पर धरे वो रूपु गंगसारी
रोंदी बरांदी चढ़े चिता ऐंच
सती होई गे तब ध्यानमाला
References:
Shambhu Prasad Bahuguna in Virat Hriday
Dr Govind Chatak : Garhwali Lok gathayen
Dr Shiva Nand Nautiyal Garhwal ke Lok Nrity Geet
Copyright Bhishma Kukreti for commentarty

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