Short Garhwali Stories ; Modern Folk Stories
आदिम बुड्या नि हूंद वैक मन बुड्या हूंद
( गढ़वाली लघुकथा श्रृंखला -11 , Garhwali Very Short Stories -11 )
( गढ़वाली लघुकथा श्रृंखला -11 , Garhwali Very Short Stories -11 )
कथाकार -- भीष्म कुकरेती
म्यार दस सालक नाती - ग्रैंड पा ! ग्रैंड पा ! अब आप काम करण बंद कारो। अबि सब काम बंद कारो।
मि - हैं ? क्या काम बंद करण ये भै पप्पू ?
म्यार दस सालक नाती - लिखण -पढ़ण , अर ऑफिस जाण , टूर सब बंद कारो।
मि - ह्यां पर किलै ?
नाती - आप अब साठ साल से अळग ह्वे गेवां।
मि - तो ?
नाती -तो क्या अब तुम तैं क्वी बि सफलता नि मिल सकदी तो किलै आप इथगा मेनत करणा छंवां ?
मि -कैन ब्वाल साठ बाद आदिम तैं सफलता नि मिलदी ?
नाती - सि गोपाल दादा जी बुलणा छया कि साठ बाद कुछ बि सफलता नि मिलदी।
मि -आज से निराशावादी गोपाल भैजिक बात सुणन बंद कौर हाँ।
नाती -पर क्या सचमुच मा साठ साल बाद मनिख तैं सफलता मिलदी च ?
मि -हाँ भौत अधिक सफलता मिलदी।
नाती -सच्ची ?
मि -हाँ।
नाती -उदाहरण दयावदी
मि - देख गढ़वाळी -हिंदी -अंग्रेजी शब्दकोश का संपादक श्री अचलानन्द जखमोला जीन सहतर साल हूणो बाद ही इथगा बड़ो काम कार।
नाती -औ वो गटकोट के बूडा जी (बूड दादी के रिश्ते में मामा जी ) ने गढ़वाली -हिंदी -अंग्रेजी डिक्शनरी सहत्तर साल के बाद एडिट किया ?
मि -हाँ। स्टिल ही इज बिजी इन राइटिंग बुक्स।
नाती -व्हाट ए यूथ ऑफ ओल्ड एज !
मि -हाँ। और पंडित विष्णु शर्मा तब अस्सी सालक छया जब उन पंचतंत्र की रचना करी।
नाती -व्हट ए एनर्जेटिक ओल्ड मैन ही वज !
मि -हाँ अर रोम का प्रसिद्ध बादशाह क्लाउडिअस तो भौत बड़ी उमर मा राजगद्दी पर बैठ अर तब बि भौत सी कठिनाइयुं सामना करिक बलपूर्वक राज चलाई।
नाती -हाँ क्लाउडिअस कम्प्लीटेड द रोमन कंक्वेस्ट ओफ़ ब्रिटेन।
मि -अर लौरा वाइल्ड जब 65 सालक ह्वे तब वींन 'लिटल हाउस इन द बिग वुड्स ' ल्याख अर प्रसिद्ध ह्वे।
नाती -शी वज टीन एज ऑफ ओल्ड एज। जब वा 76 सालक छे तो वींक बच्चों की कथा किताब 'लिटल हाउस ' छप। दादा जी आई लाइक हर टेल्स।
मि -तो फिर एज याने उमर का सफलता से क्वी संबंध च ?
नाती -आइ थिंक द्य्यर इज नो रिलेसन ऑफ सक्सेस विद एज
मि -तो व्हट विल यू टेल टु गोपाल भैजि ?
6 /1 /2016 Copyright @ Bhishma Kukreti
नाती -जब तक शरीर अर मन साथ दयावन तब तक उद्देश्य प्राप्ति का वास्ता काम करदा रावो।
मि -दैट इज द ह्यूमन स्पिरिट !
6 /1 /2016 Copyright @ Bhishma Kukreti
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