लिख रही हैं नए दौर में,
नित नित नयी कहानी,
आज वक्त ने करवट बदली,
सृजन की कीमत पहचानी.
ओढ़ लिया है आत्मविश्वास,
घूंघट बात पुरानी,
काल के कपाल पर लिख दिया,
नहीं है बात सुहानी.
अपने देश में देखो आज,
कुर्सियों पर है कब्ज़ा,
कर रही हैं कुशल नेतृत्व,
कोई नहीं है हर्जा.
नेताओं के नखरों ने,
"आधी आबादी" को,
उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिलाया,
हो जाए बिल मंजूर,
महिला दिवस पर आज,
सही वक्त है आया.
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित ८-४-२०१० "महिला दिवस" पर)
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