यंग उत्तराखंड की महाराणिन,
सब्यौं तैं यनु सनकाई,
होळी फर छ न्युतु आपतैं,
घोटी घोटिक समझाई.
जब पौन्छिन महाराणी का महल,
यंग उत्तराखंड का सब्बि दगड़्या,
रंग लगाई सब्यौन खेली होळी,
मुक छन लाल पिंगळा बण्यां.
कै दगड़्यान करि मजाक,
"निशान" जी तैं भाँग पिलाई,
रंगमाता ह्वैक कविवर जी न,
महाराणी फर यनु बताई.
"चाँदी जनु रंग छ तेरु,
बुरांश जना गलोड़ा लाल,
एक तू ही रूपवान छैं राणी,
हौर छन कंगाल".
कवि "जिज्ञासु" देखण लग्युं छ,
होळी सी पैलि होळी का रंग,
मन मा यनु घंग्तोळ होयुं छ,
होळी खेलौं पर कैका संग?
रचनाकार: कवि "ज़िग्यांसु"
२६.२.२०१० (होळी उत्सव-२०१०)
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments