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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, August 6, 2009

रक्षा बंधन और बहिना

बाँध दो बहिना बड़े प्यार से,
आज मुझे तुम राखी,
भाई बहिन के प्यार का प्रतीक,
क्या है दुनिया में बाकी.

बचपन बीता तुम संग बहिना,
खाया खूब हँसाया,
बाँध दो बहिना राखी मुझको,
आज रक्षा बंधन है आया.

कर कामना राजी ख़ुशी की,
आज ख़ुशी है छाई,
लग रहा है स्वर्ग से सुन्दर,
मेरे घर प्यारी बहिना आई.

बांधी राखी आज बहिना ने,
रक्षा कवच है राखी,
भाई बहिन के प्यार का प्रतीक,
क्या है दुनिया में बाकी.

रक्षा करे तेरी माँ चन्द्रबदनी,
तू है मेरी प्यारी बहना,
कहता है कवि "जिग्यांसू"
बहिन तुम सदा सुखी रहना.

(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
5.8.2009

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