Garhwali Folk Literature
Spirituality in Garhwali Folk Literature -3
Presented by Bhishma Kukreti
(Curtsey by Dr Vishnu datt Kukreti : Nathpanth : Garhwal ke Paripeksh men , Manuscript : Pundit Maniram Godal Kothiwale )
घट थापना -३
ष = ख़
१४- त्र पत्र डंडा डोंरु सेली सींगी : त्रिशूल मुद्रा : झोली मेषला : उड़ाण की छोटी : फावड़ी : सोकंती : पोक्न्ति : सुणती भणती : आकाश : घट थाप्न्ती या तो रे बाबा दुवापर की वारता बोली जै रे स्वामी : ईं अवतार कन्च मंच का : त्रिथा जुग मधे ल़े जा रे स्वामी : श्री मछिंदर आदिणाट : आचार जंगे अदंगे : फरसराम राम : महाराम करणी : भीमला देवी : षीर ब्रिष गजा कंठ : आसण त्रिथा जुग मधे ल़े जा रे स्वामी : कीतन ताल पुरषा कितने ताल अस्त्री : कितने बर्स
१५- की मणस्वात की औषया बोली जै रे स्वामी : आठ ताल पुरुषा : सादे छै ताल अस्त्री : हजार बरस की मणस्वात बोली जै रे : स्वामी : त्रिथा जुग मध्ये ल़े रे स्वामी : एक बेरी बोणों तीन बेरी लौणो : आठ पल चौंल : पांच पल गींऊ : मणस्वात को तीन मण को हार : त्रिथा जुग मधे ल़े रे स्वामी : तामा के घट : तामा के पाट : तामा
१६- के वारमती : तामा के आसण ; बासण सिंगासण : छत्र पत्र डंडा डोंरु : सेली सींगी : त्रिसुल मुद्रा : झोली मेषला : उड़ाण कछोटी : फावड़ी : सोक्न्ती : पोषंती : सुंणती : भणती आकाशम : घट थाप्न्ती : या तौ रे बाबा त्रिथा जुग की वार्ता बोली जा रे स्वामी : तीन औतार कन्च मंच का : तब कली जुग मधे ल़े रे स्वामी : श्री गुरु गोरषनाथ : आचार जंगे कलिका देवी : बीर बृषभ गजा कटार : आसण "
शब्दार्थ :
अस्त्री : स्त्री
आसण = आसन
औतार = अवतार
षारी = खारी , नमकीन
गींऊ = गेंहू
चौल = चावल
त्रिथा : त्रेता युग
जुग : युग
ताल : अंगूठा व मध्यमा अंगुली के बीच की दूरी
पाट = दरवाजे
बोण= बोना
लौण = काटना (फसल )
औषया = अवस्था
पुरुषा = पुरुष
बासण : बर्तन / भांडे
बेरी = बार, दफे (period time )
थापना : स्थापना
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Regards
B. C. Kukreti
Director
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