Satire or Fatkar
चतुर पत्रकारों की चारणशैली में चीफ की चमचागिरी
भीष्म कुकरेती
विद्वानों, लेखकों का चीफ /उच्च पदस्त की चारण शैली में चरण वन्दन करना , चमचागिरी करना, चरनबरदार करने का चलन प्रचलन सदियों पुराना है .
आजकल पत्रकार भी चुगलाते हैं. . इन चमचा पत्रकारों के लिए उच्च्पदस्त के लिए चहचहाना एक चंग है एक उत्सव है .चमचा पत्रकार उच्चपदस्त के चंकुर को चलाता है और उस बड़े आदमी को अपने कंधों पर चौथेपन में भी चंक्रमण (घुमाना ) भी करता है .चमचागिरी की बात है तो यह सब चलता है ..इसका चलन भी है ही.
अपने चंग की खातिर चमचा -चारण पत्रकार चंगला रागिनी में चंग बजाकर बड़े आदमी के चंग पर चढ़ता है . चमचा पत्रकार चंगा (निर्मल) चंगा (बच्चों का खेल) नही खेलता. किन्तु चंट पत्रकार चकली जैसे खेल खेलता है.
चतुर पत्रकार चंट होता है वह चारणशैली की चोंच या चुन्चपुट से बड़े आदमी को अपने चंगुल फंसाने की कोशिश करता है चारण शैली के शब्द चमचे पत्रकार के लिए चंगेरी होती हैं .
चतुर चमचा पत्रकार चंचरीक बन चंचपुट , चंचेरी ताल में बिन होली के भी चीफमिनिस्टर की चमचागिरी करता है .
चालाक चमचा पत्रकार स्वयम चंचल नही होता है अपितु चीफ को चंचल बनाता है. चारणशैली, चिकने चुपड़े शब्द चमचे-चुगलखोर पत्रकारों के लिए चीफ को खुश करने के लिए चंचलास्य का काम करते हैं.
चमचे पत्रकार द्वारा प्रयोगित प्रशंसा के शब्द चीफ को फँसाने के लिए जहां चंगेरी का काम करते हैं वहां विरोधी पत्रकार के लिए व चीफ के विरोधी हेतु चंचा का काम करते हैं.
चतुर , चालाक चमचा पत्रकार अपनी चोंच, चंचु, चंचुका से चीफ के विरोधी पर चंडत्व से , चंडकर शब्दों से , चंडासु बनकर , चंडालिता पूर्बक चंहुदिसा से चढ़ाई करता है जिससे चीफ के विरोधियों को चतरभंग का रोग लग जाय और चीफ खुश हो जाय .और चमचा पत्रकार चकाचक हो जाय
चीफमिनिस्टर के चमचे पत्रकार की चेष्ठा चक्षु चंडालपक्षी जैसी होती हैं जो चीफ मिनिस्टर के चदनगोह रूपी किचन कबिनेट के चिंतावेश्म में रहकर चांदी/चाट की चाह में लगा रहता है
चमचा पत्रकार अपने विरोधी पत्रकार को कभी चंडू (चुहा ) कहता है कभी चणडु (बंदर ) कहता है और अपनेआप चीफमिनिस्टर का चम्बरढार बन कर चोबदारी कर चहकता रहता है
चमचा पत्रकार चीफमिनिस्टर के काम से चीफ को चंद्रकांत नाम देता है और उसी काम के लिए विरोधी नेता को चखिया नाम देता है . जहां चीफ मिनिस्टर का चमचा पत्रकार अपने को चन्द्र जैसा पवित्र कहता है तो दुसरे पत्रकार को उसी गुण के लिए चबाई पत्रकार कहता है
अपने आप चीफ मिनिस्टर का चमसा , चमसी पत्रकार विरोधी नेता का चरित्रहनन करने में चोटी पर रहता है पर जब कोई दूसरा पत्रकार चीफ मिनिस्टर के विरुद्ध छापता है तो चापलूस पत्रकार उस पत्रकार को चरित्र हनन ना करने की सलाह देने में शर्माता भी नही है .
चाप्लोस पत्रकार जब चीफ मिनिस्टर की चापलूसी में चरण बंदना करता है तो उसे वह चर्चा नाम देता है पर कोई दूसरा ऐसा करे तो उसे वह चूहे का च्यूंचाट नाम देता है, चलकूट नाम दे डालता है
चमचा पत्रकार अपने कृत्य को चारटिका नाम देता है तो उससे कर्म के लिए दुसरे को चाली नाम दे देता है
चापलूस पत्रकार चीफ मिनिस्टर के चौक में चरता रहता है पर नही चाहता क़ि कोई और चेहता चीफ के चौक में चहलकदमी करे कोई और चीफ का चेहता बने .. चापलूस पत्रकार दुसरे चमचे पत्रकार को चर्मदंड से चोट देकर , चांटा मारकर, चांप कर चलन्तू कर देता है.
चमचा पत्रकार चालाक होता है वह भी नारायण दत्त तिवारी की तरह संजय गांधी जैसे चीफ के चरणपादुक उठाता है पर वह यह चारण वृति खुलेआम हवाई अड्डे पर नही करता चुपके से करता है चमचा पत्रकार भी चीफ की चिलम भरता है पर उसे गौरव शाली पत्रकारिता का चोला पहना दिया जाता है चापलूसी की चिलम पर पत्रकारिता की चादर चढाई जाती है चंट जो होते हैं ये चकचूंदरे पत्रकार
पर मै यह भी कह सकता हूँ क़ि यदि पत्रकार चापलूसी ना करें तो घर कैसे चलाएंगे ?
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