फूल देई-छम्मा देई, दैंणि द्वार- भर भकार,
यौ देळी कैं बार-बार नमस्कार।
एक लोक गीत
फूलदेई -फूलदेई -फू ल संग्रान्द
सुफल करी नयो साल तुमको श्रीभगवान
रंगीला सजीला फूल फूल ऐगी , डाल़ा बोटाल़ा हर्या ह्व़ेगीं
पौन पन्छ , दौड़ी गेन, डाल्युं फूल हंसदा ऐ न ,
तुमारा भण्डार भर्यान, अन्न धन बरकत ह्वेन
औंद राउ ऋतू मॉस , होंद राउ सबकू संगरांद
बच्यां रौला तुम हम त फिर होली फूल संगरांद
फूलदेई -फूलदेई -फूल संग्रान्द
फूल संगरांद का यह दिन आज उत्तराखंड में कन्याओं द्वारा प्रसन्नता के साथ मान्या जाता है कन्याएं बैसाखी तक रोज सुबह सुबह देहरी में फूल डालती हैं
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आभार स्व श्री शिवा नन्द नौटियाल (लोकगीत )
आभार स्व श्री शिवा नन्द नौटियाल (लोकगीत )
एवम श्री कैलाश पांडे
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