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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 23, 2017

द्वारीखाल -गंगासलाण का एक करुण रस का लोक गीत

भीष्म कुकरेती
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- यह लोक गीत एक सत्य कथा पर आधारित लोक गीत है. जिसे आज 8 मार्च 2017 को मैंने अपनी माँ जी श्रीमती दमयंती डबराल कुकरेती से सुना -
कथा है कि श्यामा पधानी (?) की सात सौतन थीं और उसका पति उसे बहुत प्रेम करता था। इस डाह में श्यामा की सौतनों ने श्यामा को खीर में जहर देकर मार दिया। निम्न गीत में मृत श्यामा को देखकर गीत कहा गया है -
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सीणी द्यावो रे ब्वे बाबु की लाडी , सीणी द्यावो रे ब्वे बाबु की लाडी ,
लोकुकी ब्वार्यून नळ कूट्याल, सीणी द्यावो रे ब्वे बाबु की लाडी ,
लोकुकि ब्वारी ऑटो पीसी आल
सीणी द्यावो रे ब्वे बाबु की लाडी ,
द्वारी खाल की श्यामा पधानी सीणी द्यावो रे ब्वे बाबु की लाडी ,
त्यार पट्टिक पटवारी पट्टी जयूँ च
सात सौतुन ब्वे खीर पकाई
तसी बि निंद नि खुलि तेरी
सीणी द्यावो रे ब्वे बाबु की लाडी

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