उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Saturday, June 9, 2018

किनगोड़ा , किलमोड़ा। दारु हल्दी वनीकरण

किनगोड़ा , किलमोड़ा।  दारु हल्दी वनीकरण 

Indian Barberies , Chitra Foestation in  Uttraakhand 
(केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त ही सार्थक ) 
-
  सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -9

Community Medical Plant Forestation -9
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन ( रणनीति  -111
-
  Medical Tourism Development in Uttarakhand  (  Strategies  )  -  111                 
(Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--214       उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 214

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
  लैटिन नाम Berberies  aristata 
संस्कृत नाम दारुहरदा , दारु हल्दी 
हिंदी-  चित्रा 
पादप वर्णन 
किनगोड़ा उत्तराखंड में लगभग सभी जगह जंगलों , पथरीली जमीन में 1800 -३००0  मीटर की ऊँचे स्थानों में पाया जाता था अब इसकी प्रजाति खतरे में है।  झाडी नुमा 6  -9  फ़ीट ऊँचा।  कांटेदार झाडी , पत्तियां भी कांटेदार। 
बाड़ के काम आता है , रंग बनाने में उपयोग 

औषधि उपयोग 

आँख औषधि -कजतवाईरस में उपयोग 
जलन कम करता है , घाव आदि पर उपयोग 
यकृत रोग में उपयोग 
कैंसर में क्लोन न होने हेतु  उपयोग 
स्त्रियों हेतु मूत्र रोग में उपयोग 
डाइबिटीज कम करता है 
कई कर्ण रोग उपचार में उपयोग 
पाचन शक्ति वर्धक 
गरारा में उपयोग 

पारम्परिक , आयुर्वेद , यूनानी व सिद्ध औषधियों में उपयोग होता है 
जलवायु आवश्यकता - सामन्य किन्तु गर्म हो तो भला, खुली जमीन 
 भूमि  
खुला , बलुई , दुम्मट व पथरीली।  वास्तव में सब जगह हो सकता है।  हाँ पानी भरान हानिकारक है। 
फूल आने का समय - अप्रैल मई 
फल तोड़ने का समय  - मई जून 
बीज बोन का समय - पके फलों से बीज बो दिए जाने चाहिए और इन्हे एक शीत ऋतू आवश्यक है (cold frame ) . शीत ऋतू अंत या वसंत में उगने लगते हैं। 
भण्डारीकृत बीजों को एक शीत आवश्यक है एयर जनवरी में बो दिए जाते हैं जब अंकुरित  पौधा 20 सेंटी मित्र का हो जाय तो उसे अपने निर्णीत स्थान पर रूप दिया जाता है। 
रोपण का समय -वसंतान्त या ग्रीष्म से पहले भाग में 
कलम से भी रोपण होता है किन्तु असंभव नहीं तो भी बहुत कठिन। 
खाद आवश्यकता - कम्पोस्ट या  वनों में स्वजनित प्राकृतिक खाद 
सिंचाई आवश्यकता -कम किन्तु सरसरी में आवश्यक , अधिक पानी हानिकारक 
वयस्कता समय - 5  6 साल 
 सार्वजनिक वनीकरण हे तु वनों में पके फल /बीज सब जगह छिड़क दिए जांय किन्तु  अधिक बीजों की आवश्यकता पड़ेगी . बकरी चरण से बचाव आवश्यक है 
विशेषज्ञों से राय आवश्यक 




Copyright @ Bhishma Kukreti 6  /6  //2018 
संदर्भ 

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी 
3 - रामनाथ वैद्य ,2016 वनौषधि -शतक , सर्व सेवा संघ बनारस 
-
 
  
  Medical Tourism History  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History of Pauri Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Chamoli Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical   Tourism History Tehri Garhwal , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Uttarkashi,  Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Dehradun,  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Haridwar , Uttarakhand, India , South Asia;   MedicalTourism History Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Nainital Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History Almora, Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Champawat Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments