गंगा सलाण के शिल्पकार -1
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-स्व श्री भाना व स्व श्री स्यमुड़ - लोहारगिरि के सम्राट --
इनकी अपनी अणसाळ थी
- स्व श्री हंसराम (हुस्यारू ) -
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जखमोला परिवार जब मित्रग्रम से जसपुर बसे तो कुछ समय बाद गटकोट से श्री हुस्यारू को या उनके पिताजी को लोहारगिरि हेतु जसपुर लाये और उन्हें यहां बसाया। श्री हुस्यारू लोहारगिरि के अतिरिक्त ओड भी थे और उनके दोनों पुत्र श्री आनंदी व श्री पूर्णा भी ओड थे।-
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स्व श्री दर्शन लाल , श्री झंडु व श्री कंठू परिवार
यह अनोखा परिवार था। दर्शन लाल जी सभी किस्म के शिल्प रचनाकार थे। किन्तु स्व श्री झंडू व स्व श्री कंठू सुनार थे व इन दोनों भाइयों की सिलोगी में सुनार की दूकान थी। बाद में दोनों भाई भाभर शिफ्ट हो गए। द श्री दीन दयाल पुत्र श्री दर्शन लाल आज स्टोव , गैस , टीवी , बिजली मेकेनिक का कार्य करते हैं और क्षेत्र में जसपुर का नाम रोशन कर रहे हैं
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स्व रैजा राम
इनका कोई विशेष विशेषता न थी शायद कुल्हड़ चलाने में सिद्धहस्त थे। किन्तु श्री रैजाराम अपने इलाके में आर्य समाज को प्रसारित करने के मूक कार्यकर्ता थे। वे जनेऊ पहनते थे। रैजाराम जी सुबह सिभ सूर्य अर्ध्य चढ़ाने के लिए प्रसिद्ध थे।
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स्व श्री सतुर व उनका पुत्र श्री गिरीश
स्व सतुर जी ग्वील बड़ेथ वालों के हल चलाने के लिए प्रसिद्ध थे व अब जसपुर में केवल उनके पुत्र के पास बैलों की जोड़ी है और इस तरह श्री गिरीश जसपुर , ग्वील , बड़ेथ वालों की मांग पूरी करते हैं
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स्व श्री जवाहर लाल (जवरी )
स्व श्री जवारी जी साधारण मजदूरी करते थे किन्तु साथ में बाक बोलने और भूत भगाने हेतु प्रसिद्ध थे
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स्व श्री पीतांबर
स्व पीतांबर ओड के लिए प्रसिद्ध थे इनके भाई भी साथ में कार्य करते थे इनकी ओडगीरी जसपूर नहीं अपितु बाहर के गाँवों में अधिक चलती थी।
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स्व श्री काळया
ये सभी कार्य करते थे घन लगाने , हल चलाने से लेकर ओडगिरी तक ग्वील बड़ेथ में अधिक काम करते थे
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स्व श्री परमानन्द
स्व श्री परमानन्द दर्जी का काम करते थे और जसपुर निर्यात में बड़ी भागीदरी निभाते थे।
इनके भाई बंसी लाल जी ओड थे।
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श्री उदयराम
श्री उदयराम जी दर्जी काम कर सेवा निर्यात करते थे
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स्व श्री जयानंद (जतरू )
श्री जयानंद जतरू जी के नाम से प्रसिद्ध टमटा थे। इनके पूर्वजों के बनाये बड़े बड़े डिबले अभी भी ग्वील , जसपुर , बड़ेथ में गवाह हैं कि इस परिवार ने जसपुर प्रसिद्धि में कितना योगदान दिया होगा। स्व जयानंद जी ने शिल्पकार आंदोलन जैसे जनेऊ आंदोलन व डोला पालकी आंदोलन में भी भाग लिया था
इनकी तिबारी है।
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स्व श्री खिमा नंद शाह
स्व खिमा नंद जी के पूर्वज सुनार थे और खीमा नंद जी भी। इनकी सुनार गिरी की सभी प्रशंसा करते थे और जसपुर निर्यात में बड़ा योगदान था। खिमा नंद जी कहीं भी जाएँ जसपुर के बेटी (सवर्ण हो या शिल्पकार ) को दक्षिणा दिए बगैर नहीं रहते थे , एक धेले से शुरू कर चार आना और अंत में ये एक रुपया देने लगे थे। ऐसे थे खिमा नंद जी सुनार जी
इनके पुत्र श्री बीरु जी ने भी सुनारगिरि की पर अब छोड़ दी है और बकरी व्यापार से निर्यात से जुड़े हैं। इनका मकान बहुत बड़ा है।
खिमा नंद जी के बड़े पुत्र श्री मनोहर लाल की शादी में सर्वपर्थम जसपुर में डोला पालकी की शुरुवात हुयी थी। मनोहर लाल जसपुर के सर्व प्रथम विज्ञान विषय से इंटरमीडिएट करने वाले हैं। मनोहर लाल जी भीति चित्र बनाते थे।
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स्व श्री कलीराम शाह जी
इनका योगदान लखनऊ में ढांगू के लोगों की सहायता करने में प्रसिद्ध था । जसपुर -सौड़ के मध्य पानी का मुकदमा जसपुर वालों ने स्व श्री कलीराम के कारण जीता
बढ़ईगिरी में भी जसपुर प्रसिद्ध था किन्तु सौड़ के नेगी लोगों में यह माहरत अधिक थी तो प्रसिद्धि के हिसाब से जसपुर बढ़ईगिरी में प्रसिद्ध नहीं हुआ।
स्व महेश प्रसिद्ध बढ़ई थे पूरे इलाके में। अब तो जसपुर बढ़ी हीन है।
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सौड़ , छतिंड , बाड्यों जसपुर ग्रामसभा के ही हिस्से थे तो उनके बारे में सूचना आवश्यक है
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छतिंड के अनाम बढ़ई
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मल्ला ढांगू में स्व शेर सिंह नेगी जी की तिबारी व एक अन्य तिबारी प्रसिद्ध तिबारियो में गिनी जाती हैं। कहते हैं इन तिबारियों में नक्कासी का काम छतिंड के शिल्पकारों ने की थी कौन थे वे शिल्पकार ? अनाम में गर्त हो गए हमारे जसपुर को प्रसिद्धि दिलाने वाले निर्यात कर्ता !
ग्वील का क्वाठा भितर की नक्कासी के बारे में कहा जाता है कि श्रीनगर से कलाकार आये थे। क्या ये अनाम कलाकार छतिंड वालों के रिस्तेदार थे। यह विषय खोज का है कि ग्वील के क्वाठा भितर निर्माण में जसपुर ग्रामसभा के किन किन कलाकारों का योगदान है। श्री बिनोद कुकरेती का कहना है रामनगर से ओड आये थे और कुछ लोककथाएं भी प्रसिद्ध हैं। यह भी उतना ही सत्य है कि बिना जसपुर, सौड़ , छतिंड , बाड़यों के रचनाकारों के क्वाठा भितर नहीं बन सकता था। (भीष्म कुकरेती की ग्वील के श्री चक्रधर कुकरेती व श्री बिनोद कुकरेती के साथ फोनवार्तालाप )
छतिंड के स्व खुसला जी शिल्पकारों के कर्मकांडी पुजारी भी थे
- बाड्यों के घराट मालिक
घराट बगैर पहले जीवन मुश्किल था
बाड्यों के हीरा लाल जी व जीतू जी प्रसिद्ध घराट मालिक थे और जसपुर क्षेत्र का निर्यात के भागीदार थे
अन्य घराट ग्वील , शिवाला व छतिंड में भी थे।
आज भी जसपुर शिल्पहस्त कार्य, सेवा हेतु निर्यात करता है किन्तु मैं भीष्म कुकरेती जसपुर न जाने के कारण आधुनिक शिल्पियों का नाम नहीं दे सक रहा हूँ
*** मैंने यह लेख यादास्त के भरोसे तैयार किया है कृपया सूचना देकर इसे आगे ले जाने कीजियेगा -निवेदक -भीष्म कुकरेती
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