उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Wednesday, June 2, 2010

कि भुज्जी

कि भुज्जी
भीष्म कुकरेती
लुण्या माने लूणदार . लुन्या एक इन खौ ड़ (घास फूस ) हुन्द जू मुग्र्यद की मीन्द्युन मा मुगरी ख़त्म होण याने अक्टूबर का समौ या वै समौ पर कुल का किनारों हुन्द
यू पौधा छवट मुट होंद अर एक पात नरम होंदन . ड़न्थल भी नर्म होंद एक बलिस्ट तक लंबो ही होलू यू पौधा
पैल तकरीबन सभी यांको साग खाई लींद छाया पान मतवारी आण से धीरे धीरे ये पौधा कि सब्जी खाण बंद सि ह्व़े गे
एक पत्तों अर ड़ न्थल मा लूण भौत होंद एलई एते लुण्या बोले जांद . लु ण्या उनी कटे जान्द जन हरी सब्जीअर भुजी बणाणो तरीका बि उन्नी होंद जन हरी सब्जी को होंद बस लु ण्या कि भुज्जे मा लूण नि डाले जांद

Garhwali Vyanjan, Garhwali Cuisines, Garhwali Food


एक विशेष गढ़वाली नक्वळ/कल्यौउ /नास्ता
भीष्म कुकरेती
नाश्ता /नक्वळ/कलेऊ हरेक मनिख तैं चएंद . पूराणो गढ़वाल मा नाश्ता विशेष तरां को हुन्द छौउ.
ठन्डयूँ /जडडों मा या गर्म्युं मा एक खाश किश्मौ नाश्ता भौत प्रचलित छौ . खीरा (कद्दू) अर सत्तू को नाश्ता .
मुन्ग्र्युं/मकई तै भुनीक पीसिक सत्तू बणये जान्द छौ . फिर रात खीरा (कद्दू ) तै काटिक उसए (उबलना ) जान्द छौ
सुबेर तक जब खीरा ठण्डु व्हे जाओ त खीरा का टुकड़ों मा सत्तू डाले जान्द छौ अर फिर सत्तू अर खीरा को उसयुं गीदो नाश्ता मा खाए जान्द छौ . यो नाश्ता बड़ो मजेदार सवादी होंद . चूंकी उसयूं खीरा को गीदो मिट्ठू होंद त सवाद बड़ो मजेदार ह्व़े जान्द
अब कुज्याण यांको रिवाज छौ कि णा किलैकी सत्तू को त रिवाज ही ख़त्म ह्व़े ग्याई



सवाद क बान या भूख मिटाणs कु साधन टाnटी (Taantee)
भीष्म कुकरेती
टाn टी माल़ू क फुळड़ू (Big Pod ) कु बोल्दन. गोर मा भूख लगीं होऊ या जब सवाद कु ज्यू बुल्याओ त टाnटी का म्याला (बीज) भी कम सवादी नि होंदन ! टाnटी तैं साबुत ही आग मा भडये जांद अर जब इन चितई लयो को म्याला भी भीतर पकी गे ह्वावन तो भड्याण बंद करे जांद
फिर टाnटी को कडक छाल- खोळ तैं अलग कौरिक म्याला भैर गाड़े जान्दन अर जादातर गरमा गर्म खाए जान्दन
Copyright@ Bhishma kukreti, mumbai, India, 2010


काचो तिमला का फल कि भुज्जी
भीष्म कुकरेती
जादातर लोग बैग इनि सम्जदन बल तिमल बस फल का रूप मा ही काम आंदो . पण कच्चू तिमला दाणु भुजी बि बणदी .
छवटा तिम्लूं तैं फडकूं मा कटे जान्द अर द्वी तीन घंटा छाँछ मा भिगाणों धरे जांद जां से तिमल़ा कु चोप ख़त्म ह्व़े जाओ
फिर छाँछ मा भिज्यां तिमलो तैं पाणी मा खूब साफ़ करे जान्द जां से खटाण खत्म ह्व़े जाओ
फिर जन अल्लू कि सूखी भुज्जी बणदी उन्नी तिमल कि भुज्जी बि बणये जांद

Garhwali Vyanjan, garhwali recipies, Garhwali Food

मुर्या कु लूण अर कखड़ी को मजेदार, सवाद
भीष्म कुकरेती
पहाडी कखड़ी कु सवाद कखड़ी कि उम्र अर लूण को मिजाज (क्या माल मसालों च अर कै तरं से पिस्युं च ) फर निर्भर करद
अब जन कि ज़रा लूण मुर्या कु दगड़ पीसो त कखड़ी को सवाद पुरो कुछ हौरी ह्व़े जान्द . मुर्या बि काखड़ी का बगत बरसात मा ही होंद उन्नी ह्व़े जांद , बरीक सट्टी जन पत्तों को पौधा होंद
अब जन कि अपण मुर्या कु लूण का दगड कखड़ी खाई अर फिर गो मा घूमणो ग्यायी त सब्युन पूछण, औ आज मुर्या कु लूण मा कखड़ी खाई? हैं?
Copyright@ Bhishma kukreti , Mumbai, India, 2010

Garhwali Vyanjan, garhwali recipies, Garhwali Food


बनि बनिक (विभिन्न प्रकार ) पकोड़ियाँ
भीष्म कुकरेती
गढ़वाल कुमाओं मा बनि बनिक पकोड़ी बणदन
१- उर्दूं का भूड़ा या कुरुन्ठी
२- गैथुं पकोड़ी
३- अल्लू प्याज, का दाणु पकोड़ी
४-पलिंगु , मर्सू, पिंडालू (अरबी ) खीरा क लाबुं / पत्तों कि बेस ण कि सहायता से पकोड़ी
५- मर्चुं पक्व्ड त भै सब्ब्युन ही खाई होला
६ - भंगलो लाबुं पक्व्ड त .. ए मेरी ब्व़े!!! नशा अर रिंग उठणो बान कत्ती लोग भांग का पक्वड़ बि खांदन ( उड़द , गहथ या बेसन क मस्यटु का दगड़ मिलैक पक्वड़ बणये जांदन)
आहा कुछ पकोड़ी त इन सवादी होंदन कि आप बि बोलिल्या कि पैल किले नी खै होलू !!!
७- खीरा या कद्दू त अप जणद इ होला , खीरा क फुलून क पकोड़ी ऊड़द या बेसन कु मस्यटु द ग द ब ना ओ अर स्वाद रसयाण ल्याओ
८- बुराश माने लाल रंग को फूल पण फुलू टूसों ( Buds without Petals) की ज़रा पकोड़ी (बेसन या उड़द को मस्यट ) खाओ त साई फिर पकाण वाळक गुलाम बौणी ही जैल्या
९- उन पैल क जमानो मा ग्वी राळ का फुलूं टुसुं या सकीनs टुसुं क बि पकोड़ी बणदी छे
१०-- उन माछों पक्वड़ बि कथगा सवादी होंदन यांतें बथाणे जरुरात च क्या बस सतपुल़ी जावो अर माछों पक्व्ड क सवाद ल्याओ
Garhwali Vyanjan , Garhwali Cuisines, Garhwali Recipies, Garhwali Food


सिमळ क घ्वागों भुज्जी
भीष्म कुकरेती
सिम ळ एक बड़ो डाळ होंद . सिम ळ का फूल अप णो आप मा अनोखा होंद . तौळ अंडा जन हरो या ज़रा हरो काल़ो घूंडी
होंद अर अळग बखरौं कंदूड़ लाल चचकार नर्म गूदेदार फूल (Fleshy Petals) होंदं जै तैं घ्वागा बुल्दन .
जब सिमळ क घ्वागा टूस जन होंद अर लाल फूल नि निकल्यां हुन्दन त इन घ्वागा की भुज्जी बि बणदी छे ल्सवाद जैक खायुं च वो ही मजा जाणी सकद
तुषर कु टूसों क बि भुज्जी बणद .

Garhwali Vyanjan , Garhwali Cuisines, Garhwali Recipies, Garhwali Food

सूंटिया
भीष्म कुकरेती
जौंक सूंटिया चटयूँ होऊ सूंटिया को नाम सूणी क ही ऊंको गिच्च बटिन ल़ाळ नि चुंली ट म्यार नाम बदली दें
सूंटिया बणाणो कुणि इमली तैं पाणी मा भिगैक इमली क गाडी लुगदी बणये जांद गुड़ मिलये जांद फिर बरीक पण लंबो कटयू अदरक का दगड चौके जान्द, लूण मसालों, गर्म मसालों अर मर्च मिलैक अर कुछ पाणी मिलैक खूब थडकए जांद अर बस एक प्रकार की चटणी तैयार . पैल ब्या कजुं मा बगैर सूंटिया क जीमण क बारा मा सोचे बि नि जये सक्यांद छोऊ
Garhwali Vyanjan , Garhwali Cuisines, Garhwali Recipies, Garhwali Food

मर्सू / मार्सो कु उपयोग
भीष्म कुकरेती
मर्सू या मार्सा कुणि रामदाना या चौली बि बुल्दन .
मार्स गढ़वाल मा एक उपयोगी अनाज छयो. मार्सो को व्यंजन भोजन का रूप मा इन उपयोग छन ::
१- मार्सो की हरी भुज्ज़ी : बर्स्सत मा यांकी भूज्ज़ी हरेक घरम बणदी
२- मार्सो पत्तों की पकोड़ी बि बणदिन
३- मर्सू का बीजु तैं भुजो अर खील बणाओ गुड़ मा बड़ो मजा आन्द बुखण/काजा का रूप मा आप कखी बि बुकाओ
४- मर्सू तैं भुजो अर वांको आटो क सत्तू भौत काम की चीज होंद
५-मर्सू तैं तेल/घी मा भूनो अर गुड़ का पाणी दगड मिलाओं फिर थड़काओ त सूजी तैयार . दूध डाल़ो त खीर तैयार
६- भूज्याँ मार्सो को आटो से मिट्ठी रोटी या रोट बि बणदि
७- बगैर भूज्याँ क आटो से रुट्टी बणाओ अर सवाद से खाओ

जुंडळ (जवार) क उपयोग
भीष्म कुकरेती
जुंडळ एक बरसाती अनाज च जू मुंगर्युं दगड बोये जांद , जुंडळ क उपयोग:
१- जुंडळ क आटा से बनि बनि किस्म की रुटी/रोट बणदन जूंड़ळ क आटा से हलवा बि बणदो
२- जुंडळ तैं भुजिक खील बणदन अर बुखण/खाजा क रूप मा उपयोग होंद
३- कत्ती दें पैल्क लोग जुंडळ क खीर बि बणादं छाया
४-जुंडळ की खिचडी बणाणो रिवाज बि छयो पण अब खिचडी बणाणो ख़त्म ह्व़े गे
५-- जुंडळ क उमी बि होंद. उमी माने थ्वाडा कच हरो पण उन पक्युं बलड़ तैं आग मा भड्याओ . जुंडळ को बलड़ तैं आग मा भदे क बीजुन तैं अलग करे जांद अर फिर उमी गुड़, अखोड़ क दगड बुको त सवाद कु मजा ही कुछ हुरी होंद
६- क्वी क्वी तोर, मुंगरी क दगड जुंडळ तै मिलैक उस्याँ बुख ण क रूप मा बि उपयोग करदन पण कम ही

Copyright@ bhishma Kukreti, Mumbai, India, 2010

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments