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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, August 3, 2009

संघर्ष की सुखद अनुभूति




आशा और निराशा के बीच
झूलते-डूबते-उतराते
घोर निराशा के क्षण में भी
अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु
आशावान बने रहना बहुत मुश्किल
पर नामुमकिन नही
होता है इसका अहसास
सफलता की सीढ़ी-दर-सीढ़ी

चढ़ने के उपरांत
चिर प्रतीक्षा चिर संघर्ष के बाद
मिलने वाली हर ख़ुशी बेजोड़ व अनमोल है
क्योंकि इसकी सुखद अनुभूति
वही महसूस कर सकता हैजिसने
हर हाल में रहकर अपना सघर्ष जारी रखकर
कोशिश की सबको साथ लेकर
निरंतर बने रहने की

कभी भाग्य के भरोसे नहीं बैठे
लगे रहे कर्म अपना मानकर
और सफलता के मुकाम पर पहुचे
सगर्व, सम्मान
तभी तो कहा जाता है
आदमी अपने भाग्य से नहीं
अपने कर्म से महान होता है
छोटी-छोटी लड़ाईयां जीतने के बाद ही
कोई बड़ी जंग जीतता है

कविता रावत
भोपाल

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