अस्सी वर्षीय श्री कुंवर सिंह नेगी, ग्राम:भंडालू, पट्टी:बणेळ स्यूं, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड जो दिल्ली आये हैं और जिनके साथ मैं अक्सर बैठता हूँ ने मुझे ये बात बताई. आप सभी से अनुरोध है उत्तराखंडी बुजर्गों से "पुराणी दानी बातों" को बटोर कर यंग उत्तराखंड प्रस्तुत करें. मेरा कवि "जिग्यांसू" मन ऐसे संकलनों की खोज में रहता है और आप तक स्व रचित कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास करता
जब अपणा देश मा, अंग्रेजू कू थौ राज,
कुंवर सिंह नेगी बतौन्दा, व घटना आज.
वे जमाना लोग, गाड़ी पकड़न जांदा दुगड्डा,
इंजन चालू होन्दु थौ, हैंडल घुमै बस अड्डा.
कोटद्वार बिटि कालका, जांदी थै रेल,
भाग्दी रेल देखि-देखि, लगदु थौ खेल.
उबरी कुंवर सिंह जी का दादा, था रेल ड्राईवर,
ड्यूटी थै ऊँकी, कालका शिमला मार्ग फर.
एक साल वे मार्ग फर, पड़ि ह्यूं अति भारी,
रेल मार्ग साफ़ कन्न खातिर, आदेश ह्वै जारी.
गुमान सिंह नेगी जी न, रेल इंजन चलाई,
तीन दिन मा शिमला तक, बर्फ इंजन सी हटाई.
यीं बहादुरी का खातिर, मिलि ऊँ तैं विक्टोरिया क्रास,
कथ्गा बहादुर था उत्तराखंडी, यू बिंगणु छ आज खास.
सत्-सत् नमन स्व. गुमान सिंह नेगी जी, जू स्वर्ग मा छन आ़ज,
कुंवर सिंह नेगी जी का मुख सी, पता लगि मैकु या बात आज.
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
6.8.2009
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