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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, August 10, 2009

जै मुल्क

बग्दु बथौं छोयों कू पांणी, जै मुल्क यू सब्बि धाणी,
बिंगा मन्ख्यौं टक्क लगैक, तुमन अजौं तक नि जाणी,
बतौंणु छौं सुणा हे चुचौं....
छबीलो कुमाऊँ अर् रंगीलो गढ़वाळ....
जख छन फूलू की घाटी, पांणी का भरयां ताल.

चौक अर् सैलि सगोड़ी, राम्दी छन भैन्सि गौड़ी,
दूध घ्यू की कनि रसाण, छांछ छोल्दा परेड़ा रौड़ी,
बिंगा मन्ख्यौं टक्क लगैक ,बतौंणु छौं सुणा हे चुचौं....
छबीलो कुमाऊँ अर् रंगीलो गढ़वाळ....
जख खिल्दा छन फूल, बुरांश अर् गुर्याळ.

प्यारी-प्यारी हिंवाळि काँठी, मुंड मा जन सफ़ेद ठान्टी,
चौखम्बा अर् त्रिशूली, नन्दा घूंटी अर् पन्चाचूली,
बिंगा मन्ख्यौं टक्क लगैक ,बतौंणु छौं सुणा हे चुचौं....
छबीलो कुमाऊँ अर् रंगीलो गढ़वाळ....
हरा भरा डांडा जख भारी भारी भ्याळ.

शिव जी कू जख वास, चार धाम छन खास,
गंगा यमुना बग्दि जख, देवतों कू जख निवास,
बिंगा मन्ख्यौं टक्क लगैक ,बतौंणु छौं सुणा हे चुचौं....
छबीलो कुमाऊँ अर् रंगीलो गढ़वाळ....
बाग़ रीक्क मरदा जख, धारु धारू फाळ.

(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
7.8.2009

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