कभी तो वो दिन आयेगा
मेरे उत्तराखंड के सुने पड़े घरों में
रौनक लौट आएगी
बंजर पड़े खेतों में
फिर से फसलें लहरायेंगी
कभी तो वो दिन आयेगा
जब पलायन थम जायेगा
जंगलों में फिर कोई
बांसुरी की मधुर धुन बजायेगा
घसियारी के गीतों से
डंडी - कंठी रंगमत हो जायेगी
कभी तो वो दिन आयेगा
जब कोई ग्वाला जंगलों में जायेगा
अपने गाय - बैलों चरायेगा
रंगमत हो के खुदेड़ गीत गायेगा
कभी तो वो दिन आयेगा
होली के महीने सब
एक रंग में रंग जायेंगे
औजी के ढोल पर सब रंगमत हो जायेंगे
कभी तो वो दिन आयेगा
जब मेरे पहाड़ से
जाती - पांति का भेद मिट जायेगा
भाईचारा लौट आएगा
फिर उत्तराखंड स्वर्ग से महान कहलायेगा
विपिन पंवार "निशान"
नयी दिल्ली , १५/०७/२००९
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