कुयेड़ि रौड़ि धौड़ि,
डांड्यौं मा दौड़ी-दौड़ी,
ऐगि हपार,
हे मन्ख्यौं लगिगी बस्गाळ
प्यारा उत्तराखंड,
कुमौं गढ़वाल.
यथैं वथैं छ भागणी,
कखि कै सनै जागणी,
खुदेड़ छन खुदेणा,
सौण का अँधेरा मैना,
धाणी धन्धा लगिं,
सब्बि बेटी ब्वारी,
मैतुड़ा नि गैन,
खुदेणु छ मन,
पापी कुयेड़ि लगिं छ,
मैत सैसर की डांड्यौं मा.
टक्क लगिं छ तौंकि,
याद औणि अपणा गौं की,
आंख्यौं मा औणा आंसू,
ऊंची धार मा बैठिक,
देखणु छ "जिग्यांसू",
कुयेड़ि रौड़ि धौड़ि,
डांड्यौं मा दौड़ि-दौड़ि,
ऐगि हपार हे मन्ख्यौं.
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिग्यांसू"
ग्राम: बागी-नौसा, पट्टी.चन्द्रबदनी, टेहरी गढ़वाल.
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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