कहाँ हो प्यारे कवि मित्रों,
आओ झूला झूलें,
आया है धरती पर सावन,
देखो उसको छू लें.
कालिदास के मेघदूत,
अल्कापुरी से आये,
खूब बरसे खूब गरजे,
आसमान में छाये.
कैसी हरियाली है छाई,
लग रही है मन भावन,
मत भूलो कवि मित्रों,
धरती पर आया सावन.
ध्यान रहे कविताओं को छोड़,
अकेले नहीं आना,
सावन के रंग में रंगकर,
उनको भूल न जाना.
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
28.7.2009
Respected
ReplyDeleteBhai JI Jayarasahab very good. keep it up bhaji.
dinesh dhyani