उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Friday, July 10, 2009

उत्तराखंड की धरती में

इस गर्मी में, देवभूमि ने तपकर,
हरित वनों ने, धू धू जलकर,
जल श्रोतों ने, धीरे-धीरे सूखकर,
लोगों को त्रस्त किया,
कैसे जियें, मजबूर किया?

पीने को पानी नहीं,
जंगलों में जवानी नहीं,
नदियौं में बहता नीर घटा,
गायब हुई प्राकृतिक छटा.

लोगों के माथे पर रेखा,
बिन बादल आसमान को देखा,
कब आयेंगे मेघदूत,
मायूस हुए धरती के पूत,
खेत सारे गए सूख,
कैसे बुझेगी पेट की भूख?

खबर है उत्तराखंड में,
अब बादल बरसा,
हर इंसान का मन हर्षा,
सूखे श्रोतों ने प्यास बुझाई,
वनों में तरुणाई छाई,
हमारा मुल्क देवभूमि,
रिमझिम बरखा में नहाई,
हर उत्तराखंडी के मन में,
ख़ुशी की लहर आई.

(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिग्यांसू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
1.7.2009

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments