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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, July 10, 2009

पाया है तुम्हे

अथक पर्यास के
और बहुत परिताप के
अनंतर
पाया है तुम्हे

जीवन भर ढूंडा
लेकर दीप मन में
तुम मिले रश्मि बन
आये सुधा बन जीवन में
कई सदियो के बाद
पाया है तुम्हे

तुम पूनम तुम जियोत्सना
तुम ही हो मेरे मंथन
और चाह नहीं नवीन
मिल गया सब जीवन में
एक जीवन बिता कर पूरा
पाया है तुम्हे

अथक पर्यास के
और बहुत परिताप के
अनंतर
पाया है तुम्हे


naveen payaal "छुयाल"

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