उत्तराखंड थै मिल्या अर यु पी से अलग हुया आज लग भाग ९ साल और ९ मैना हूँ वाला छन ! प्रगति का नौ पर यख मके ठुन्गी वाख्म नि सरकी .. विका नै पर पैसा खै खै को उंका त , ऊका ... ! उका पूरा परिवार का लुखुका लद्द्वाडा गप्प .... भैर आया छन खिरबोजई तरह !
ब्याली तक हम्ररा यख का बिधयक कै क्ज्याण मोल गाडी गाडी थक दी नि छै ! अर आज व सरकारी गाडीमच, रोसा खनी ! मजाल जू खुटी भूईम धनि हुवा ! मंत्र्रियु की त क्या बोनी बात !
मी पिछ्ल्य हफ्ता गौ ग्यु ! क्या द्याख की लोग की भीड़ छै एक जगहम एकटा हुई ! सब्यु का हाथो माँ पोस्टर
अर नारा छा काना __ " भ्रस्ट नेताओं उत्तराखंड छोडो ..!!
" उत्तराखंड छोडो .. उत्तराखंड छोडो " मीन एक नेतानुमा आदिम से पूछी ------
" मीन बोली, भाई जी , यु सब क्या हुणु छा ?
" वो बोली ----- दिख्णु नि छै प्रदर्शन छा काना "
" -- पर, कीलै ? अर केका बान ? " मीन फिर पूछी ...
तपाक से बोली .." आप भी कतगा मुर्ख छ्या ! क्युओ करदी लोग हडताल/ जल्स्सा / जलूस !
-- पर कैका खिलाफ .. छा आप नारा बाजी काना ?
" अपणा नेताओं का खिलाफ औरी कैका खिलाफ ? रै. बात, की किलै छा काना त , भारतल भी त अंग्रजो का खिलाफ भारत छोडो का नारा किलै लगे छाई ? ----बोलो ?
मीन बोली " __ उ .... उत , हम पर अत्याच्यार छा कना !!
हां ---- आँ , बात आईगे ना समझ माँ ! .. हम भी त, यु अपणा स्वादेसी नेताओं का तरह तरह का घोटालो से , किस्म क्सिमा का वादों से तंग ऐग्या !
मीन डरद डरद पूछी '-- पर इनु क्या कै दे उन परा -- !"
वेन त पैलि , खुरी देखि .. फिर उत्तेर दे ' - अखबार नि पडदा ! टी बी नि दिखदा ! आये दिन त युकी काली करतूतों का चिटा बचैँ जदी ! फिर भी पुछ्णा छा की, क्या कै दी उन ? थोडा देर चुप्प रैना का बाद पास एकी पुछ्ण बैठी " क्या तुम बिरोधी पार्टी क त नि छा ? आपो नौ ?
" जी .... गरीब दास ! "
अछा अछा गरीब दस !! अरे गरीबदास जी , हम आपकी बान त छा लण्ण ! देखा, हम थै उत्तराखंड २००० मिली ! मिल्य्सा, तक़रीबन तक़रीबन ९ साल से जायद हुई गीन ! है ना.....!!
" जी जी ..! " मीन बोली !
यूँ , यु , नो सालम क्या कई अलग हूँन से हम थै कवी फैदा होई , न --- न, तुमी बोला ! होई त यु नेताओं थै जोन पैलित येथे अलग नि हूँदिणै छो , अर जब मिली गै, त, मुखु मंत्र्री ह्त्यानु सबसे अग्वाडि बी आई ! सरया लडाई उत्तरखंड का नो से लैडी ! अर जनि मिली नौ बदली दे.... मिटिगओ माँ राजधानी बणली त
" गैरीसैण माँ " इन बुल्दा बुल्दा थका नीं ! देराडून त टम्परैली समझा .. ! राज्य मिली, त, देराडून माँ इन बैठी नि की जन ` कुकुदी बैठद छुआप ! अब आप ही बोल्ला..., कन क्वे कन यु पर भारुबंसू ! इनमा अब पर्दर्शन नि कन त क्या कन ?
मीन बोली " __ करा कारा .. पर म्यारा बहरासु त रया ना ! .. मीन ये उत्तराखंड का बान अपणा द्वी नौ ना सहीद कै दिनी ! अब राजधानी का वास्ता मीम कुछ बी बच्यु च ... कुछ ना ! राजधानी चा देराडून हो , या गैरी सैन म्यारा कै ल्याखाल ! अगर बनी जादी त , वे गदवाली अर यु गढ़वालियु की आतम थै शानी मिल जादी !
पराशर गौड़ रात ९ ५३ पर २७ अगस्त ०९
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