धार ऐंच बैठ्युं, दगड़्यौं का दगड़ा,
स्कुल्या दिनु की, बात बतौणु,
क्वांसु होयुं होलु, मन भी वैकु,
बचपन याद, करि करिक,
होलु अफुमा खोणु.
औणि होलि, याद वैकु मेरी,
गौं कू बाटु, हेरी हेरी,
हे दगड़्या तू, कख होलि लठ्याळा,
याद औणि छ तेरी.
ऐजा लठ्याळा, हमारा गौं मा,
काखड़्यौं की लबद्यारि,
मुंगरी पकिग्यन, छकि छक्कि खौला,
भैन्सि ब्ययीं छ हमारी.
दूर परदेश, बिराणा मुल्क,
या छ होईं लाचारी,
बौळ्या बणिक, दिन भर भागा,
या छ जिंदगी हमारी.
बग्त बदली, मन भी बदली,
ऊ दिन याद मा ख्वैगि,
मै जना दगड़्या, कुजाणि कख होला,
ऊंकू मन भी, क्वांसु हवैगि.
Copyright@Jagmohan Singh Jayara"Zigyansu"......1.9.09
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