खीम सिंह धन सिंह द्वी,
ठेट पहाड़ी भाई,
मिठाईयौं मा प्यारी ऊंतैं,
पहाड़ की बाल मिठाई.
खीम सिंह एक दिन बोन्न बैठि,
भुला, उत्तरैणी मेळा जौला,
गुमानी दिदा की दुकान मा,
प्यारी बाल मिठाई खौला.
द्वी भाई जब पौन्छिन,
उत्तरैणी का मेळा,
गुमानी दिदा वख बेचण लग्युं,
बाल मिठाई अर् केळा.
खीम सिंह अर् धन सिंह न,
गुमानी दिदा तैं, सेवा सौंळि लगाई,
गुमानी न बोलि,
आवा भुला खीम सिंह धन सिंह,
खावा बाल मिठाई.
देशी घ्यू मा बणै मैन,
ऐन्सु या बाल मिठाई.
तुम जरूर ऐला उत्तरैणी मेळा,
मेरा ज्यू न बताई.
खीम सिंह धन सिंह मेळा घूमिन,
देखिन ढोल, दमौं अर् झोड़ा,
गुमानी दिदा की दुकान बिटि ल्हेन,
"जिज्ञासु" का खातिर,
प्यारी बाल मिठाई थोड़ा.
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू" (दूरभास:9868795187)
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास: संगम विहार, नई दिल्ली
२६.८.२००९,
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