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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 29, 2019

असूजे मैनी धाण काज-अर रामलीला

निमड्दा असूज की मैनी अर जड्डा कु आगमन, पुंग्ण्यूं मा बारनाज का बीच, हमारा गौं-मुल्क मा, रामलीला कु आगाज होंदू छो, बढी-चढी लोग छुट्टी लीतै ये मौका पर जरूर घौर ओंदा छा।
रामलीला हमारा पहाड़ मा कभी मनोरंजन कु मुख्य साधन होंदि छे, एक तरफ असूजा मैनै काम धामे दौडाभागी, लवैमंडै धुंण्सा-फुंण्सि, तखि नौ नाज अर बुखणां, चूडा भूजण कूटणे आपाधापी।
दिनभरे धांणी मा पळेख्या लोखू तै मनोरंजन करीतै, पळोख बिसरौण कु एक बेहतरीन साधन छे रामलीला।
रामलीला का पात्रों कि रिहर्सेल एक हफ्ता पैलि बटि जोरशोर से शुरु होंदि छे।
हारमोनियम पर रात-रात तक बैठी भौंण चैक करी सुर जणगुरु बड़ी साधना कर्दा छा। यि जणगुरु कै दिन-रात मैनत करीतै, कै आवाज परखदा छा, तब सेट होण पर ही फाइनल कर्दा छा।
करड़ी मोटी आवाज तै, रावण, मेघनाथ जन पात्रों तै, जबकि सुरिलि हल्की पिच की आवाज सीता, सुनैना जन महिला पात्रों तै दिये जांदि छे।
रावण-कुंभकरण का कुछ पात्र इथ्या फैमस होंदा छा, कि यथ-वथ गौं क्षेत्र मा भी न्यूतेंदा छा, रामलीला वास्ता।
तबार बिजली की छवीं-बथ, खाली समाचारों मा ही सुंणेदि छे या सीमित छे,तब पेट्रोमैक्स अर छुला जगै तै सैरि रात रामलीला निभौंदा गौं का सकल कार्यकर्ताओं का जज्बा आज की दिखौटि दुनिया मा मिशाल होंदा छा।
पेट्रोमैक्स का मैंटल मिस्योंदा अर मर्त्योळ भन्ने मा के टैम लगदू छो। रामलीला कु मंडप सजौण बणौणौ तै सैरा गौं बटि कैका तिरपाल कखि बै चद्दर कुर्सी दरी अर साडी लोग अफ्वी ल्येक ओंदा छा
गौं मा तिरपाल पेट्रोमैक्स दन्ना जन सामान फिक्स रंदू छो कि के मौं का यख बटि क्या ओलू।
बडी जिम्मेदारी का साथ सैरा गौं का कठ्ठा आठ दिनों कु ये कार्यक्रम तै निभोंदा छा।
रात-रात तक चाय बणदि छे अर लोग रामलीला देखीतै विशेषकर नारी शक्ति अपडि खैरि बिपदा अर दिनभरे पळोख फुन चुळे द्येंदा छा।
आज जु हिस्सा टैम हमुन टीवी सिरियल तै अर मोबैल तै दीन्यू च ते समै पर धर्म कर्म अर मनोरंजन तीनों कु समागम यन कार्यक्रमों तै दिये जांदू छो।
धन प्रबंधन पर भी खूब ध्यान रंदू छो, लाल रिबन हर दिन पर्दा पर बंध्ये जांदू छो गौं का संपन्न लोगों तै मनेतै रिबन कटवै जांदू छो अर पैसा भी कठ्ठा होंदू छो।
बीच बीच मा लोग दान दक्षिणा भी द्येंदा छा त दानी दाताओं का नाम की घोषणा भी कर्ये जांदि छे।
सीता की चौपाई -  'पूजन को अंबे गौरी,  चलियो  सखी चमेली-----'
रावण कु डायलाॅग   ---'-चलता हू जिस जमीं पर--भूचाल आ जाता है---'
जख परशुराम अर लक्ष्मण संवाद मा भी दर्शक खूब देर तक चिपक्या रंदा छा तखि लक्ष्मण सूर्पणखा संवाद 'नाक कटी नकटी बन आई---' मा हंसी भी नि रोकि सकदा छा।
बच्चा त सूर्पणखा की हैंसी अर रूदन देखी डरि जांदा छा!
एक सीन का बाद, जब हैका सीन की तैयारी होंदि छे, त बीच- बीच मा हंसोणो तै छोटा मोटा ड्रामा भी कर्ये जांदा छा,
 हनुमान  सुग्रीव की बांदर सेना अर राजा का मंत्री खूब मजा गडौंदा छा,
अशोक वाटिका मा जब सीता माता बैठी रंदि छे, अर हनुमान जी औंणा त सीन मा खूब फल भी लटकांया रंदा छा, हनुमान जी कुछ फल खांदा, कुछ दर्शकों तक चुळोंदा छा, लोग प्रसाद मांणी संभाल्दा छा।
कबि, नै कलाकार त अपणी चौपाई अर सीन बिसरि जांदा छा त पर्दा पैथर अर अगल-बगल बैठ्या दगडया ही अगने याद दिलै द्योंदा छा। 
मंच रावणा पात्रा हिसाबन तैयार होंदू छो, खूब डील-डौल अर हैना-फैनी करीतै रावण, कै बरसों तक, अपडु स्थान गौं अर क्षेत्र मा पछांण बणै रखदू छो, लोग अजूं भी याद कर्दा रावण मेघनाथ राम का पात्रों का रंगमंच तै।
महिला कु पात्र भी,मर्द खूब बढ़िया निभोंदा छा,
चौंक तिरवाळ-धिस्वाळ भीड़ जमा रंदि छे, गौं मा नवयुवकों तै अपडि प्रतिभा दिखौणो मौका ये मंच से ही मिलदू छो, जख देखदरा भी अपडा, सुणदरा, सिखंदरा, अर निभंदरा भी अपडे रंदा छा।
गायन अर रंगमंच का ये स्टेज बटि भगवान श्री राम का आदर्श नै छवाळि तक पौछदा छा, पीढीयू कु गैप एक हवे जांदू छो,  जब नाती, दादा, पिताजी,बेटा एक साथ बैठीतै देखीतै अर पात्र निभैतै भगवान राम का गुणगान कर्दा छा। बडा बुजुर्ग कु अनुभव नै पीढ़ी तक सरकुदू छो, नै काध्यूं तक आयोजन की जिम्मेदारी जांदि छे।
दूर-दूर का गौं बटि भी लोग खूब बढि-चढीतै दर्शक बणी, रामलीला देखण औंदा छा, अर मैमान मांणी खूब सत्कार कर्दा छा तौंकू।
रामलीला आंठवा दिने तैयारी जरा अलगे होंदि छे। राजतिलक का दिन राम दरबार सजदू छो, थोड़ा दूर बण बटि जब राम परिवार स्टेज मा ओंदू छो, त लोग बड़ी भक्ति-आस्था से, पूरा दरबार कु आशीर्वाद लैंदा अर दगडि यूं सात दिनों का मनोरंजन तै याद करी खुदैंदा भी छा।
यी खुद मा, गौं कु आपसी माहोल अर एक-दुसरा से जुड़ाव रात-रात तक चौक-खौळा मु बैठी निःस्वार्थ भगवान राम की भक्ति मा मगन, गौं कु माहोल ही धार्मिक हवे जांणे खुद समांईं रैंदि छे।
आज जख हमारा अपडू तै ही समै निकळन भौत मुश्किल होयूं च, तखि नब्बे का दशक का दौरान की यि रामलीला बटि दूर हम कुछ टीवी-सिरियल अर सोशल- साइटों तक ही सीमित हवेगिन।
अब नौकरी,पढै अर डिजिटलाजेशन का बीच सिर्फ    गारा- सिमेंट अर मकान तै सोचदा मनखी तै रामलीला, अब त बीत्या पुरांणा दिनों याद समौंण बणी!
रामलीला कु इतिहास हमारा बीत्या जमाने की समौंण दगडि हमुतै गर्व भी मैसूस करोंदि, जख पौडी की रामलीला विश्व विरासत मा शामिल च, तखि श्रीनगर की रामलीला कु इतिहास भी भौत खास च। जु अजूं तक भी जोश का दगडि संचालित कर्ये जांदि।
कलाकार अर प्रतिभा की बात कर्ये जौ त गढरत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी जन कलाकार अर प्रीतम भरतवाण जन जागर सम्राट कु उद्भव मा स्थानीय रामलीला मंचों कु अहम योगदान रै। कला- प्रतिभा अर एकता की मिशाल, यूं मंचों की बदौलत ही हमुतै कभी गौं मा अकेलापन मैसूस नि हवे। लोग छज्जा-तिबार, चौक तिरवाळ तक सौल- पंखी ओढीतै बेठया रंदा छा।
खौला का यौं तरफ आग भी सुलगणी रंदि छे त ढोले पूंड भी तांचणी रंदि छे।
आज जख गौं मा विकासा नौं, मीटिंग मा खोजेतै चार लोग भी कठ्ठा कन मुश्किल च, तखि रामलीला जन मंचों पर सैरु गौं घिर्र कठ्ठा हवेतै आठ दिनों तक बिना लैट संसाधनों का भी पूरी रामलीला निभै जांदा छा।  ना झगडा, ना तेरु-मेरु, ना जाति पाति भेद भौं, सबि मिलिजुलि दर्शक बणी प्रोत्साहन कर्दा छा।
हमुतै अपडि यन संस्कृति पर सदानि गर्व रौलू।।।
-----अश्विनी गौड़ दानकोट अगस्त्यमुनि बिटि-----

19 comments:

  1. धन्यवाद् भेजी को प्रणाम

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  2. "It's amazing to see how Ramlila has been celebrated for generations. Such dedication from the villagers!"
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  3. "I love how the entire village, young and old, participates in Ramlila, making it such a special event."
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  4. "The dedication of the performers, from the Janguru to the children, is inspiring!"
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  8. "The role of women in this tradition is so important! Their involvement is what makes it all come alive."
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  10. "I was laughing out loud imagining Surpanakha’s dialogue! Such humor is a big part of Ramlila."
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  11. "How wonderful it must be to watch Ramlila unfold like this in such a close-knit environment."
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  12. "It's great to see how Ramlila adapts to the times while keeping its roots strong."
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  13. "The devotion of the villagers, especially the elders, ensures that these traditions are carried on."
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  14. "Ramlila really does have a way of making time seem to fly! Such a captivating experience."
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  15. "The village atmosphere during Ramlila must be electric, especially with all the different preparations."
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  16. "It’s so inspiring to read about how these cultural practices are passed down through generations."
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments