गढवाली भाषा मा छात्र पालाकुराली जनपद रूद्रप्रयाग मा न सिर्फ गढभाषा कु साहित्य पढणा बलकन कुछ रचणा बुण्णा भी छिन ।
पालाकुराली मा गढभाषा की मोबाइल लाइब्रेरी भी स्थापित करी च जैमा गढवाली भाषा कु साहित्य छात्रों तक निशुल्कौ पौछाये जांदू जैकु परिणाम यु हवे छात्र अपडि भाषा मा कविता कहानी चरण बैठिन।
पहाड़ विषय पर स्वरचित गढवाली कविता वर्क शाॅप कु आयोजन किए गै जैमा छात्रों न आधा घंटा का समय मा कुछ यन कविता मनोभाव लिखिन।
प्रस्तुत च ईं गढभाषा वर्कशाॅप कु कुछ अंश----अश्विनी गौड स0अ0 विज्ञान राउमावि पाला कुराली जखोली रूद्रप्रयाग ।।।
---पहाड कु बुग्याळ----
पहाड कु बुग्याळ
गौं पुंग्ण्यूं कि सार,
रंगिलू फूल बहार
ल्ये ओंदू मोल्यार ।
चौ-डांडीकांठयू
घाम चमचमलांदू
गौं-डांडयूं लाल,
बुंराश चमचमलांदू,
फ्योलि रंग,
घर्या उठे ल्यांदू,
गौं का सामणि
जब घाम ए जांदू।
गौं सार्यू फ्यूंलि,
पैंया बुरांश
चकुला बासदा ,
कखि कफ्फू- हिंलास।
बौंण डाल्यू मा,
काफले दांणि
गौं का पंध्यारा बगदू,
ठंडू पाणी।।।
------रविना राणा कक्षा 10 राउमावि पाला कुराली (स्वरचित)
--बसंत बहार----
मेरा पहाड़ मा,
ऐगि बसंत-बहार,
बनि-बनि का,
फूल खिलिगिन,
फैलिगी रंगिलू संसार।
पहाड़न क्या कुछ,
नि सिखे!
पर
सि पहाड़ छ्वोडण,
लग्या छिन
तौं दुष्टुन जरा,
नि सोंचि
पहाड़ू विनाश
कना छिन।
सौंणो मैनू ऐगि
बरखा लगी रिमझिम
पहाड़े रौनक बौडी
जौंका लग्या सिमसिम।
---श्वेता राणा कक्षा-10 राउमावि पाला कुराली (स्वरचित)
----बसग्याळ----
बसग्याळ ऐगि
पहाड़ मा,
लगौण बैठिन
कोदु झंगोरु,
औंण लेगिन
गाड़-गदरा,
पैटण बेठिन
रोंपणि सार।
मेरा पहाड़े,
ठंडी हवा,
तनि सु
ठंडु पाणि।
चित्त कबि नि बूझदू
ये पहाड़ देखी
दिल कखि नि लगदू
पहाड़ छोडी।
कति प्यारु दिखेंदु,
मेरु पहाड़
कन प्यारी लगदि
हरी-भरी सार।
हरी-भरी सार मा
लग्या लोग धाण मा।
घेंघारु किरमोडु खांणा क्वी
क्वे घ्यू दूधे गंगा बगौणा
कखि मेळा- थोळा होणा,
क्वे झुमेलो मंडाण लगौणा।
-------अम्बिका राणा कक्षा-9
राउमावि पाला कुराली (स्वरचित)।
--- सौंण भादो---
हमारा पहाड,
छोड़ी ना जावा
जळमभूमि बे मुख,
मोडी ना जावा!
इतग्या रौंत्यालु मुल्क
सबुकू मन हरदू च।
सुदि बि क्या धर्यू,
तौं सैर बजारु मा,
सबि धाण्यू,
ऐस यख पहाड़ मा
ऊजदि गर्म्यू मा,
आवा दू
ठंडू बांजो पाणी,
प्यावा दू।
पहाड़ की
गोद मा रोला,
कोदू-झंगोरु,
बारनाज खोला
हैर्यालि बीच रोला
सौंण भादो काकडी मुंगरी खोला।
-------राजपाल सिंह राणा कक्षा -10 राउमावि पाला कुराली (स्वरचित)
--पहाड़ सिखोंदु---
मेरु पहाड़ ल्योंदू मोल्यार,
कबि पहाड नि होंदू नाराज,
मेरु पहाड़ हर्यालि द्येंदू,
द्येंदू बुरांशि का फूल।
मेरा पहाड़ ऊंचू हिमालै
बांज बुरांश द्येंदू पहाड।
मेरु पहाड़ मोल्यार द्येंदू
कबि डाळो छैल
मेरु पहाड़ हमुतै सिखोंदु
उकाळि चढोंदू,
अर
मैनत करोंदू।
हिमालै कि रक्षा करा
पहाड़ तै बचावा
हर्यालि लगा, पहाड़ सजा
आवा सबि आवा।
-----कुलदीप सिंह राणा कक्षा10 राउमावि पाला कुराली ( स्वरचित)
--पहाड़---
पहाड़ सु च
जु हम सणि
हवा-पाणी,
घास फल
द्येंदू ।
हमारा पहाड मा,
ठंडी हवा
हर्या-भर्या पेड़,
छिन
क्वे कखि,
घासो जाणा
क्वे ठंगरा
झटगा ल्यौणा।
------अंकुश राणा कक्षा-7
राउमावि पाला कुराली (स्वरचित
धन्यवाद् आभार
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