निमड्दा असूज की मैनी अर जड्डा कु आगमन, पुंग्ण्यूं मा बारनाज का बीच, हमारा गौं-मुल्क मा, रामलीला कु आगाज होंदू छो, बढी-चढी लोग छुट्टी लीतै ये मौका पर जरूर घौर ओंदा छा।
रामलीला हमारा पहाड़ मा कभी मनोरंजन कु मुख्य साधन होंदि छे, एक तरफ असूजा मैनै काम धामे दौडाभागी, लवैमंडै धुंण्सा-फुंण्सि, तखि नौ नाज अर बुखणां, चूडा भूजण कूटणे आपाधापी।
दिनभरे धांणी मा पळेख्या लोखू तै मनोरंजन करीतै, पळोख बिसरौण कु एक बेहतरीन साधन छे रामलीला।
रामलीला का पात्रों कि रिहर्सेल एक हफ्ता पैलि बटि जोरशोर से शुरु होंदि छे।
हारमोनियम पर रात-रात तक बैठी भौंण चैक करी सुर जणगुरु बड़ी साधना कर्दा छा। यि जणगुरु कै दिन-रात मैनत करीतै, कै आवाज परखदा छा, तब सेट होण पर ही फाइनल कर्दा छा।
करड़ी मोटी आवाज तै, रावण, मेघनाथ जन पात्रों तै, जबकि सुरिलि हल्की पिच की आवाज सीता, सुनैना जन महिला पात्रों तै दिये जांदि छे।
रावण-कुंभकरण का कुछ पात्र इथ्या फैमस होंदा छा, कि यथ-वथ गौं क्षेत्र मा भी न्यूतेंदा छा, रामलीला वास्ता।
तबार बिजली की छवीं-बथ, खाली समाचारों मा ही सुंणेदि छे या सीमित छे,तब पेट्रोमैक्स अर छुला जगै तै सैरि रात रामलीला निभौंदा गौं का सकल कार्यकर्ताओं का जज्बा आज की दिखौटि दुनिया मा मिशाल होंदा छा।
पेट्रोमैक्स का मैंटल मिस्योंदा अर मर्त्योळ भन्ने मा के टैम लगदू छो। रामलीला कु मंडप सजौण बणौणौ तै सैरा गौं बटि कैका तिरपाल कखि बै चद्दर कुर्सी दरी अर साडी लोग अफ्वी ल्येक ओंदा छा
गौं मा तिरपाल पेट्रोमैक्स दन्ना जन सामान फिक्स रंदू छो कि के मौं का यख बटि क्या ओलू।
बडी जिम्मेदारी का साथ सैरा गौं का कठ्ठा आठ दिनों कु ये कार्यक्रम तै निभोंदा छा।
रात-रात तक चाय बणदि छे अर लोग रामलीला देखीतै विशेषकर नारी शक्ति अपडि खैरि बिपदा अर दिनभरे पळोख फुन चुळे द्येंदा छा।
आज जु हिस्सा टैम हमुन टीवी सिरियल तै अर मोबैल तै दीन्यू च ते समै पर धर्म कर्म अर मनोरंजन तीनों कु समागम यन कार्यक्रमों तै दिये जांदू छो।
धन प्रबंधन पर भी खूब ध्यान रंदू छो, लाल रिबन हर दिन पर्दा पर बंध्ये जांदू छो गौं का संपन्न लोगों तै मनेतै रिबन कटवै जांदू छो अर पैसा भी कठ्ठा होंदू छो।
बीच बीच मा लोग दान दक्षिणा भी द्येंदा छा त दानी दाताओं का नाम की घोषणा भी कर्ये जांदि छे।
सीता की चौपाई - 'पूजन को अंबे गौरी, चलियो सखी चमेली-----'
रावण कु डायलाॅग ---'-चलता हू जिस जमीं पर--भूचाल आ जाता है---'
जख परशुराम अर लक्ष्मण संवाद मा भी दर्शक खूब देर तक चिपक्या रंदा छा तखि लक्ष्मण सूर्पणखा संवाद 'नाक कटी नकटी बन आई---' मा हंसी भी नि रोकि सकदा छा।
बच्चा त सूर्पणखा की हैंसी अर रूदन देखी डरि जांदा छा!
एक सीन का बाद, जब हैका सीन की तैयारी होंदि छे, त बीच- बीच मा हंसोणो तै छोटा मोटा ड्रामा भी कर्ये जांदा छा,
हनुमान सुग्रीव की बांदर सेना अर राजा का मंत्री खूब मजा गडौंदा छा,
अशोक वाटिका मा जब सीता माता बैठी रंदि छे, अर हनुमान जी औंणा त सीन मा खूब फल भी लटकांया रंदा छा, हनुमान जी कुछ फल खांदा, कुछ दर्शकों तक चुळोंदा छा, लोग प्रसाद मांणी संभाल्दा छा।
कबि, नै कलाकार त अपणी चौपाई अर सीन बिसरि जांदा छा त पर्दा पैथर अर अगल-बगल बैठ्या दगडया ही अगने याद दिलै द्योंदा छा।
मंच रावणा पात्रा हिसाबन तैयार होंदू छो, खूब डील-डौल अर हैना-फैनी करीतै रावण, कै बरसों तक, अपडु स्थान गौं अर क्षेत्र मा पछांण बणै रखदू छो, लोग अजूं भी याद कर्दा रावण मेघनाथ राम का पात्रों का रंगमंच तै।
महिला कु पात्र भी,मर्द खूब बढ़िया निभोंदा छा,
चौंक तिरवाळ-धिस्वाळ भीड़ जमा रंदि छे, गौं मा नवयुवकों तै अपडि प्रतिभा दिखौणो मौका ये मंच से ही मिलदू छो, जख देखदरा भी अपडा, सुणदरा, सिखंदरा, अर निभंदरा भी अपडे रंदा छा।
गायन अर रंगमंच का ये स्टेज बटि भगवान श्री राम का आदर्श नै छवाळि तक पौछदा छा, पीढीयू कु गैप एक हवे जांदू छो, जब नाती, दादा, पिताजी,बेटा एक साथ बैठीतै देखीतै अर पात्र निभैतै भगवान राम का गुणगान कर्दा छा। बडा बुजुर्ग कु अनुभव नै पीढ़ी तक सरकुदू छो, नै काध्यूं तक आयोजन की जिम्मेदारी जांदि छे।
दूर-दूर का गौं बटि भी लोग खूब बढि-चढीतै दर्शक बणी, रामलीला देखण औंदा छा, अर मैमान मांणी खूब सत्कार कर्दा छा तौंकू।
रामलीला आंठवा दिने तैयारी जरा अलगे होंदि छे। राजतिलक का दिन राम दरबार सजदू छो, थोड़ा दूर बण बटि जब राम परिवार स्टेज मा ओंदू छो, त लोग बड़ी भक्ति-आस्था से, पूरा दरबार कु आशीर्वाद लैंदा अर दगडि यूं सात दिनों का मनोरंजन तै याद करी खुदैंदा भी छा।
यी खुद मा, गौं कु आपसी माहोल अर एक-दुसरा से जुड़ाव रात-रात तक चौक-खौळा मु बैठी निःस्वार्थ भगवान राम की भक्ति मा मगन, गौं कु माहोल ही धार्मिक हवे जांणे खुद समांईं रैंदि छे।
आज जख हमारा अपडू तै ही समै निकळन भौत मुश्किल होयूं च, तखि नब्बे का दशक का दौरान की यि रामलीला बटि दूर हम कुछ टीवी-सिरियल अर सोशल- साइटों तक ही सीमित हवेगिन।
अब नौकरी,पढै अर डिजिटलाजेशन का बीच सिर्फ गारा- सिमेंट अर मकान तै सोचदा मनखी तै रामलीला, अब त बीत्या पुरांणा दिनों याद समौंण बणी!
रामलीला कु इतिहास हमारा बीत्या जमाने की समौंण दगडि हमुतै गर्व भी मैसूस करोंदि, जख पौडी की रामलीला विश्व विरासत मा शामिल च, तखि श्रीनगर की रामलीला कु इतिहास भी भौत खास च। जु अजूं तक भी जोश का दगडि संचालित कर्ये जांदि।
कलाकार अर प्रतिभा की बात कर्ये जौ त गढरत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी जन कलाकार अर प्रीतम भरतवाण जन जागर सम्राट कु उद्भव मा स्थानीय रामलीला मंचों कु अहम योगदान रै। कला- प्रतिभा अर एकता की मिशाल, यूं मंचों की बदौलत ही हमुतै कभी गौं मा अकेलापन मैसूस नि हवे। लोग छज्जा-तिबार, चौक तिरवाळ तक सौल- पंखी ओढीतै बेठया रंदा छा।
खौला का यौं तरफ आग भी सुलगणी रंदि छे त ढोले पूंड भी तांचणी रंदि छे।
आज जख गौं मा विकासा नौं, मीटिंग मा खोजेतै चार लोग भी कठ्ठा कन मुश्किल च, तखि रामलीला जन मंचों पर सैरु गौं घिर्र कठ्ठा हवेतै आठ दिनों तक बिना लैट संसाधनों का भी पूरी रामलीला निभै जांदा छा। ना झगडा, ना तेरु-मेरु, ना जाति पाति भेद भौं, सबि मिलिजुलि दर्शक बणी प्रोत्साहन कर्दा छा।
हमुतै अपडि यन संस्कृति पर सदानि गर्व रौलू।।।
-----अश्विनी गौड़ दानकोट अगस्त्यमुनि बिटि-----
उत्तराखंडी ई-पत्रिका
E-Magazine of Uttarakhand
Sunday, September 29, 2019
असूजे मैनी धाण काज-अर रामलीला
Thursday, September 19, 2019
मैं दर्पण
मैं दर्पण
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मैं दर्पण
मेरा परिचय सिर्फ़ इतना
कि मैं सच बोलता हूँ ,
मगर आज मेरे अस्तित्व पर
सवाल खड़े है,
कि मैं अपने मूल भूत स्वभाव से
भटक गया हूँ,
मैं सच नहीं बोलता अब
सुगबुगाहट सी हवा में कहीं चली आ रही है
मैं दर्पण वो नहीं दिखा रहा जिसके लिए
कभी मेरा स्वाभिमान अटल था,
शफ़क़, उजला, निश्छल, निर्भीक नहीं रहा अब मैं
ऐसा क्या हुआ कि मैं बिक गया हूँ
अनेक रंगो के लिए,
मैं इतना खुदगर्ज क्यों हो गया हूँ,
मैंने अब दो दो चेहरों से सौदा किया है
सौदा प्रलोभन का, महत्वाकांक्षा का,
और आत्मसम्मान को गिरवी रखने का,
झूठ को दिखाकर सच को छुपाने का
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ज्योत्स्ना जोशी
तुम कृष्ण हो ।
तुम कृष्ण हो ।
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तुम उन्मुक्त अल्हड़ बेफिक्र
प्रेम की दास्तान हो,
बंद कमरो में पनपती
हवस की भूख नहीं ,
तुम यमुना के तीर की
विरह वेदना की तीस हो
जरूरत की चादर में लिपटा
आलिंगन नहीं,
तुम राधा का समर्पण हो
उसके निश्छल नयन का ग़ुरूर हो
समझौता और पश्चाताप की अग्नि में
जलती हुई भूल नहीं,
तुम बंशी के रन्ध्रों से आह्लादित स्वर
और चहुँ दिशा में विद्यमान प्रेयसी के लबों पर
विश्वास से सजा गीत हो ,
कि वो हर साज पर गाये
हाँ मैं प्रेम में हूँ !!!!!!!!!
क्योंकि तुम कृष्ण हो ।
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ज्योत्स्ना जोशी
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ये मेरा अभागा पहाड़
ये मेरा अभागा पहाड़
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अश्कों की बरसा
हर बरसात करता ,
त्राही त्राही कर लाचारों को
बेघर करता,
हुक्मरान की झूठी संवेदनाओ तले
अपने बेबस अधरों को शीलता हुआ,
गिरता, सम्भलता फिर कण कण बिखरता,
आपदाओं का इतिहास पन्ना दर पन्ना गढ़ता
जीने को बिलखता, जीवन को तरसता
नयनो के सम्मुख सब लुटता देखता
सरकती जमी पर सियासत का आडम्बर सहता
शिलान्यास के मुखोटे पर वेदना की अनंत
चादर लपेटता,
अंजान, अबोले इंसानों को ताकता,
रोदन, मर्म ,किलकारियों से गूंजता
ये मेरा अभागा पहाड़,,
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ज्योत्स्ना जोशी
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अबके सावन
अबके सावन ,,,,,,,,,,,,
,,,,, अबके सावन में हमदम
हम यूँ जज़्बात में भीगेगे ,,,,
तुम दूर रहो या पास रहो
हम ख्य़ालो में थिरकेंगे ,,,,,
एक एक बूँद से आपना पन हो
यूँ फुहारों संग बात करेंगे ,,,,,
घन उमड़ आये जब रिक्त व्योम पर
तब हम खुद को सम्पूर्ण समझेंगे ,,,,
आभासे यूँ उदगार हृदय का
जब बदरा अपने मद में गरजेगा ,,,,
जीत लिया है एक दूजे को
उत्कंठित होता इन्द्रधनुष तब क्षितज
से झांकेगा ,,,,,,
रोम रोम यूँ गीत गाये
वन उपवन मुस्कायेगा ,,,,,,
कलरव करते खग चित्त खोल रहे
वो अन्तर्मन तक बस जायेगा ,,,,,
मौसम की अंगड़ाई पर तुम
मुझमें होकर मुझको खोजोगे ,,,,,
अभिनंदन कर नूतन सृजन सृष्टि का
उर विहंग होकर प्रीति लुटायेगा ,,,,,,
अबके सावन में हमदम
हम जज़्बात में भीगेगे ,,,,,,,,,,
.............. ज्योत्स्ना जोशी ..................
Wednesday, September 18, 2019
पौराणिक गढ़वाली लोकगीत
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Sunday, September 15, 2019
शिक्षा पर्यटन के प्रेरक कारक
शिक्षा पर्यटन के प्रेरक कारक
Motivational factors for Education Tourism Development
उत्तराखंड में शिक्षा पर्यटन संभावनाएं - 8
Education Tourism Development in Uttarakhand -8
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 411
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management - 411
आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
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शिक्षा पर्यटन के मुख्य प्रेरक कारक मुख्य हैं -
स्थान की छवि ( जात -पांत ; भेदभाव आदि )
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कम रिस्क
विदेशी भाषा ज्ञान प्राप्ति
भौगोलिक सुगमता या सुलभता
सांस्कृतिक सुगमता
उच्च शिक्षा में उच्च छवि अथवा विशेष शिक्षा जो देस में उपलब्ध न हो
सुरक्षा
अंतरास्ट्रीय संस्कृति तक पंहुच
देस में विशेष शिक्षा का आभाव
रोजगार प्राप्ति में सुगमता या अधिक लाभ
प्रवेश व वीसा आदि की सुगमता
शिक्षा व रहवास की कीमत
शिक्षा स्थल में शिक्षा के साथ कमाई के साधन
शिक्षा उपरान्त विदेश में वसने की सुविधा
समाज का प्रभाव
Copyright@ Bhishma Kukreti 2019
Developing Education Tourism in Pauri Garhwal , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Haridwar Garhwal , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Dehradun Garhwal , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Uttarkashi Garhwal , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Tehri Garhwal , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Chamoli Garhwal , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Rudraprayag Garhwal , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Udham Singh Nagar Kumaon , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Nainital Kumaon , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Almora Kumaon , Uttarakhand; Developing Education Tourism in Pithoragarh Kumaon , Uttarakhand; गढ़वाल में शिक्षा पर्यटन विकास ; कुमाऊं में शिक्षा पर्यटन विकास , हरिद्वार में शिक्षा पर्यटन विकास ; देहरादून में शिक्षा पर्यटन विकास , उत्तरी भारत में शिक्षा पर्यटन विकास की स्म्भावनाएँ ; हिमालय , भारत में शिक्षा पर्यटन की संभावनाएं