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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, May 28, 2009

भाग की भताग

भाग की भताग छोरी, भाग की भताग,
तेरी मुखड़ी देखि मेरी, ज्युकड़ी मा आग,
ज्युकड़ी मा आग, हे ज्युकड़ी मा आग,
ज्यु बोन्नु छ मेरु, तू मैकु तैं जाग.......

भलि कतै नि होन्दि छ, जवानी की आग,
लग्द बग्द रन्दि सदानी, भाग की भताग,
द्वी दिन की जिंदगी छ, नि लगौण दाग,
भाग की भताग छोरी, भाग की भताग,
तेरी मुखड़ी देखि मेरी, ज्युकड़ी मा आग,
ज्युकड़ी मा आग, हे ज्युकड़ी मा आग,
ज्यु बोन्नु छ मेरु, तू मैकु तैं जाग.......

जिंदगी जंजाळ छ, न मार तू फाळ,
भाग अपणु जू ठीक छ, कर सैन्त समाळ,
बग्त आलु यनु भी, करि ली तू जाग,
भाग की भताग छोरी, भाग की भताग,
तेरी मुखड़ी देखि मेरी, ज्युकड़ी मा आग,
ज्युकड़ी मा आग, हे ज्युकड़ी मा आग,
ज्यु बोन्नु छ मेरु, तू मैकु तैं जाग.......

अपणा हाथु सी ही बण्दु, देख अपन्णु भाग,
होंणी खाणी होन्दु रौ, भाग की भताग,
तेरी मुखड़ी देखि मेरी, ज्युकड़ी मा आग,
ज्युकड़ी मा आग, हे ज्युकड़ी मा आग,
ज्यु बोन्नु छ मेरु, तू मैकु तैं जाग.......

सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिग्यांसु"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
२६.५.२००९

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