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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, November 2, 2009

बर्तालाप

मैंने ,
मन्दिर में स्थापित
भगवान् से कहा .....

तुम,
मेरे आराध्य नही हो सकते ?
जो स्वयं कैद हो ,
वो,
मेरा भगवान् कैसे हो सकता है ?

मेरा भगवान् तो ....
आज का कम्प्यूटर है
जो कुछ भी कर सकता है
कुछ भी ......!

जीवन दे सकता है
जीवन ले सकता है
उदाहरण के लिए
अल्ट्रा साउंड .
अगर -,
लड़की दिखी तो , मार दो
अगर , लड़का दिखा तो , आने दो
क्या तुम ये कर सकते हो ?

नही ना ...????

अगर तुम ये नहीं कर सकते
तो तुम भगवान् कैसे ?

पराशर गौर
२७ अक्तूबर ०९ ११.३० दिन में न्यू मार्केट

2 comments:

  1. पराशर ji bahut achha likha hai aapne lekin hamen yah harigij nahi bhulana chahiye ki bhagwan kisi na kisi roop mein ham aapke beech vidyamaan rahate hai.

    ReplyDelete
  2. parashar ji likha to apne theek hai lekin devbhooki ke hi log agar aise hi lekh likhne lagenge to devbhoomi ko kon samjhega. computer to ek machine hai jisko ham hi jaise log chala rahe hai.

    ReplyDelete

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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