नेताजी नतमस्तक होकर, कर रहे करुणा पुकार,
अपना मत हमको देना, जा रहे हैं जनता के द्वार.
जनता सब कुछ जानती, महंगाई की मार,
नेता कुछ नहीं देते हैं, जनता पर हैं भार.
लोकतंत्र पर है आस्था, जो है जनता का अधिकार,
हर पांच वर्ष के लिए चुनते हैं, मत करके सरकार.
चुनाव का महासमर जारी है, कहते "जनता तेरी जय हो",
देंगे ऐसी सरकार तुम्हें, जहाँ भूख और न भय हो.
जनता तो है चाहती, बने ऐसी सरकार,
भारत अपना खूब चमके, सपने हों साकार.
सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिग्यांसु"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास:संगम विहार,नई दिल्ली
(27.4.2009 को रचित)
दूरभाष: ९८६८७९५१८७
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