पुराने उत्तराखंडी गीत
"रामी".....(बलदेव प्रसाद "दीन")
------------------------------------------------
"बीरा"........(जीत सिंह नेगी)
------------------------------------------------
"सतपुली"......रचियता..अज्ञान्त
------------------------------------------------
अपने पहाड़ का चिरपरिचित गीत "मोती ढ़ागूँ" अपने बचपन की याद दिला देता है.....किलैकि रामलीलाओं मां यू टकळेर गीत कू मंचन होन्दु थौ......मोती ढांगा फर अगर गीत बणि त जरूर रै होलु.... श्री भीष्म कुकरेती जी को पुराने गीतों की की बहुत याद आ रही है ......कोशिश करूंगा और भी पुराने गीत प्रस्तुत करने की.....खोजिक-खोजिक अर् पूछि-पूछिक....
"मोती ढ़ागूँ" कवि.....अज्ञांत
------------------------------------------------
रचनाकर अग्यांत.....पहाड़ में मैठाला कहाँ है जरूर बताएं.....ऐसा लगता है रचनाकार मैठाला गौं के हों....
रामलीलाओं में इस गीत को गाया और मंचन किया जाता था......
"मदुली रुमा झूम"
koi bhi link open nahi hota.
ReplyDelete